धार्मिक स्वतंत्रता पर भारत की अमेरिका को खरी-खरी, रिपोर्ट को खारिज कर हस्तक्षेप न करने की दी हिदायत
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धार्मिक स्वतंत्रता पर भारत की अमेरिका को खरी-खरी, रिपोर्ट को खारिज कर हस्तक्षेप न करने की दी हिदायत

विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण है तथा वोटबैंक की राजनीति से प्रेरित बताया

by WEB DESK
Jun 28, 2024, 07:35 pm IST
in भारत, विश्व
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नई दिल्ली । भारत ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और पक्षपातपूर्ण करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि मानवाधिकारों के नाम पर दूसरे देशों की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। जायसवाल ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट-2023 पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे पक्षपातपूर्ण है तथा वोटबैंक की राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत इस रिपोर्ट को पूरी तरह अस्वीकार करता है।

रिपोर्ट पर भारत की प्रतिक्रिया

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रिपोर्ट जारी करते हुए भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता जताते हुए धर्म परिवर्तन विरोधी कानून, अल्पसंख्यकों के मकानों और उपासना स्थलों को निशाना बनाने और नफरत भरी बयानबाजी को प्रमुख मुद्दे के रूप में उठाया।

भारतीय प्रवक्ता ने कहा कि इस रिपोर्ट में गलतबयानी और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है।

रिपोर्ट पूर्वाग्रह से ग्रसित स्रोतों का उपयोग कर तैयार की गई है, और इसके निष्कर्ष पहले से ही तय किए गए थे। जायसवाल ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत के सामाजिक ताने-बाने की अज्ञानता पर आधारित है और भारत के कानून की वैधता तथा विधायिका के अधिकारों पर सवाल उठाती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रिपोर्ट भारत की न्यायपालिका के फैसलों को भी चुनौती देती है।

अमेरिका को आईना दिखाया

भारत ने अमेरिका को आईना दिखाते हुए कहा कि अमेरिका में नफरत पर आधारित अपराध, भारतीय नागरिकों एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर नस्लीय हमले, पूजा स्थलों को निशाना बनाया जाना और पुलिस द्वारा हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं होती हैं। 2023 में द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भारत ने ऐसे मामलों को उठाया था। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अमेरिका में उग्रवाद और आतंकवाद को भी राजनीतिक स्थान मुहैया कराया जाता है।

द्विपक्षीय वार्ता की अहमियत

भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच मानवाधिकारों और विविधतापूर्ण समाज के मुद्दों पर विचार-विमर्श होता रहता है। हालांकि, इस वार्ता को दूसरे देश में हस्तक्षेप करने का लाइसेंस नहीं माना जाना चाहिए। प्रवक्ता ने धन की आवाजाही और इसके दुरुपयोग पर निगरानी के लिए बनाए गए नियमों और कानूनों का पक्ष लेते हुए कहा कि अमेरिका में इस मामले में कहीं अधिक सख्त कानून हैं।

बात दें कि भारत ने अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को न केवल खारिज किया है, बल्कि इसके पीछे की मंशा और तथ्यों की सटीकता पर भी सवाल उठाए हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा।

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