पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न, मारपीट और यौन शोषण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला पाकिस्तान के फैसलाबाद का है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्थानीय मुस्लिमों को 76 वर्ष से बंद पड़े एक गुरुद्वारे के पुनर्निर्माण का विरोध करते हुए देखा गया। वे कह रहे हैं, “सिख मुसलमानों के हत्यारे हैं। हम फैसलाबाद में किसी भी सिख गुरुद्वारे को बनने नहीं देंगे। अगर सिख इसे बनाने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें अल्लाह के बंदों का सामना करना पड़ेगा।” आप नमाज के लिए सभी गुरुद्वारे खोल सकते हैं। लेकिन आप काफिर ही रहेंगे और शरिया में आपको कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
दरअसल, पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने फैसलाबाद में गुरुद्वारा बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन वहां के मुस्लिम इसके पक्ष में नहीं हैं। वे सड़कों पर हिंदुओं और सिखों के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। वीडियो में फैसलाबाद का उप मेयर अमीन बट भी अल्पसंख्यकों का विरोध करते हुए नजर आ रहा है। वह कह रहा है, “मुझे ईद के तीसरे दिन पता चला कि फैसलाबाद में सरकार ने गुरुद्वारा बनाने की इजाजत दे दी है, जो यहां के मुस्लिमों के साथ अन्याय है। जहां यह गुरुद्वारा बना रहे हैं, वहां करोड़ों का कारोबार है। उस जगह पर सैकड़ों गरीब लोग काम करके अपना पेट पाल रहे हैं। यहां गरीब लोगों के बच्चे पढ़ रहे हैं, वे बेचारे कहां से फीस देंगे। हम गुरुद्वारा नहीं बनने देंगे।”
बट ने आगे कहा, “ये वो सिख हैं, जब पाकिस्तान बना था उस वक्त इन्होंने मुस्लिम मां, बहनों पर ज्यादती की थी। बाबरी मस्जिद को तोड़ मंदिर बनाया है। हम फैसलाबाद में कोई भी गुरुद्वारा नहीं बनने देंगे। गुरुद्वारा बनाने के लिए हमारी लाशों के ऊपर से गुजरना होगा। हम इन्हें किसी भी हालत में गुरुद्वारा नहीं बनाने देंगे।” वायरल वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पाकिस्तान अनटोल्ड के अधिकारिक पेज पर गुरुवार (27 जून 2024) को शेयर किया गया है।
ह्यूमन राइट वॉच के मुताबिक, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। यहां के ईशनिंदा कानूनों का अक्सर दुरुपयोग किया जाता है और इसके जरिए धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है, जिससे उन्हें हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
बीते दिनों पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद यह बात कबूल की है कि उनके देश में अल्पसंख्यकों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है। उनका रोज कत्ल किया जा रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज के लोग बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने साथ ही यह भी माना है कि उनके यहां मजहब के नाम पर अल्पसंख्यकों के साथ लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है, जिससे दुनियाभर में पाकिस्तान की बदनामी हो रही है।
बता दें कि पाकिस्तान में हाल के वर्षों में सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों और इन समुदायों के पूजा स्थलों में तोड़फोड़ के विरोध बाद कई बार पाकिस्तानी राजनयिकों को तलब किया गया। इसके बावजूद इस तरह के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। अप्रैल से जून 2023 के बीच यहां चार सिखों की हत्या की जा चुकी है। ऐसे में पाकिस्तान को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को नजरअंदाज करने से बचना होगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी, ताकि वे धार्मिक उत्पीड़न के डर के साये में जीने को मजबूर न हो।
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