मुंबई: कॉलेज ने हिजाब-बुर्के को किया बैन, भड़के मुस्लिम, बॉम्बे हाई कोर्ट बोला-मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं
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मुंबई: कॉलेज ने हिजाब-बुर्के को किया बैन, भड़के मुस्लिम, बॉम्बे हाई कोर्ट बोला-मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं

कोर्ट ने मामले में स्कूल प्रशासन के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। 

by Kuldeep Singh
Jun 27, 2024, 09:28 am IST
in महाराष्ट्र
Bombay High court

बॉम्बे हाई कोर्ट

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कर्नाटक का हिजाब विवाद तो सभी की जेहन में होगा ही। हो भी क्यों न ये वो विवाद था, जिसे इस्लामिक कट्टरपंथियों ने जानबूझकर गढ़ा था। ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र के मुंबई शहर में करने की कोशिशें की जा रही हैं। जहां शहर के एक कॉलेज ने परिसर के भीतर हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके खिलाफ मुस्लिम छात्राओं का एक समूह बॉम्बे हाई कोर्ट चला गया। जहां कोर्ट ने मामले में स्कूल प्रशासन के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।

क्या है पूरा मामला

मुंबई में चेम्बुर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित एक कॉलेज है, नाम है एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज। इस कॉलेज ने बीते दिनों एक निर्देश जारी किया, जिसके तहत कॉलेज में हिजाब, नकाब, स्टॉल, बुर्का, बैज और टोपी पहनने पर रोक लगा दिया था। कॉलेज ने इसे मनमाना, अनुचित और नियमों के खिलाफ करार दिया था।

कॉलेज प्रशासन के इस फैसले से इस्लामवादियों को चिढ़ हो गई। कुछ छात्राएं इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गईं। वहां याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ऐसा निर्देश उनके मजहब का पालन करने के मौलिक अधिकारों, निजता और पसंद के अधिकारों का उल्लंघन है और इस कारण से वो इसे नहीं मान सकती हैं।

क्या कहा कोर्ट ने

बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें इनका दावा था कि हिजाब, नकाब और बुर्का इस्लाम में अनिवार्य है। जस्टिस एएस चंदुरकर और राजेश पाटिल की पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने ये भी कहा कि उनके विचार में निर्धारित ड्रेस कोड को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता) के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है।

कोर्ट ने मुस्लिमों को झटका देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास कंज-उल-इमान और सुमन अबू दाऊद के अंग्रेजी अनुवाद के आधार यह कहने के अलावा कि यह इस्लाम का आवश्यक धार्मिक अभ्यास है, इसके अलावा उनके पास कोई तार्किक सामग्री नहीं है। हाई कोर्ट कहता है कि इस तरह के फैसले से कॉलेज केवल ड्रेस कोड निर्धारित कर रहा था, जिसे अनुशासन बनाए रखने की दिशा में आवश्यक कदम माना जाना चाहिए। कॉलेजों को ये अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) और अनुच्छेद 26 के तहत एक शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और प्रशासन के मान्यता प्राप्त मौलिक अधिकार के तहत दिया गया है।

Topics: Bombay High Courtबॉम्बे हाई कोर्टमुंबई हिजाब विवाद#hijabस्कूल में हिजाब पर बैन#islammumbai hijab controversyइस्लामban on hijab in schoolहिजाबहिजाब विवादHijab Controversyburqaबुर्का
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