पाकिस्तान के दूसरे राज्यों में रहने वाले सिख समुदाय के लोग भी पंजाब आकर अपने विवाह को पंजीकृत करा सकते हैं। रमेश सिंह ने यह भी कहा है कि जल्दी ही मंत्रिमंडल के सामने हिंदू विवाह अधिनियम भी पेश किया जाने वाला है। उनका कहना है कि इससे हिन्दू समुदाय के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी। यहां बता दें कि हिन्दू और सिख पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों में आते हैं।
भारत के पड़ोसी इस्लामी देश के पंजाब प्रांत में बसे सिख समुदाय में तब हर्ष छा गया जब वहां के मंत्रीमंडल ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सिख विवाह अधिनियम 2024 को पारित किया। इस कानून में प्रावधान है कि सिख समुदाय के 18 वर्ष या इससे ज्यादा आयु के युगलों के विवाह अथवा तलाक का पंजीकरण हो सकता है। इस फैसले पर पंजाब प्रांत में मंत्री सरदार रमेश सिंह अरोड़ा काफी प्रसन्न हैं और उन्होंने इस दिन को सिख समुदाय के लिए ऐतिहासिक बताकर पूरे समुदाय की ओर धन्यवाद दिया।
पाकिस्तानी पंजाब में सरकार के पास यह कानून लंबे समय से लंबित था। सिख समुदाय की ओर से बार बार अपील की गई थी कि सिख विवाह अधिनियम 2024 लागू किया जाना चाहिए। सरकार में पहली बार एक सिख रमेश सिंह के मंत्री बनने के बाद से ऐसा आभास हो रहा था कि शायद अब मंत्रिमंडल इस अधिनियम को पारित कर देगा। और वही हुआ है। अब सिख समुदाय में 18 साल या उससे ऊपर के लड़के—लड़कियों का विवाह पंजीकृत कराए जाने का रास्ता साफ हुआ है। इसी तरह इस समुदाय में इसी आयु या इससे अधिक आयु वाले तलाक का भी पंजीकरण करा सकते हैं।
पंजाब प्रांत के मंत्रिमंडल की मुख्यमंत्री मरियम नवाज की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस अधिनियम को पारित करने का प्रस्ताव रखा गया था और आखिरकार यह पारित हो गया। मंत्रीमंडल ने पंजाब सिख आनंद कारज विवाह रजिस्ट्रार और विवाह नियम 2024 को मंजूर किया और इसको लागू करने की घोषणा की।
पंजाब प्रांत में मंत्री सरदार रमेश सिंह इस अधिनियम के पारित होने पर अत्यधिक प्रसन्न हैं। उनकी ही तरह सिख समुदाय के लोग भी इसे यादगार दिन बता रहे हैं। रमेश सिंह के अनुसार, पाकिस्तान का पंजाब प्रांत दुनिया में ऐसा पहला प्रांत बना है, जहां यह पंजाब सिख विवाह अधिनियम लागू हुआ है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के दूसरे राज्यों में रहने वाले सिख समुदाय के लोग भी पंजाब आकर अपने विवाह को पंजीकृत करा सकते हैं। रमेश सिंह ने यह भी कहा है कि जल्दी ही मंत्रिमंडल के सामने हिंदू विवाह अधिनियम भी पेश किया जाने वाला है। उनका कहना है कि इससे हिन्दू समुदाय के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी। यहां बता दें कि हिन्दू और सिख पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों में आते हैं।
जैसा पहले बताया, 2017 से ही इस सिख विवाह अधिनियम के पारित होने की आस देखी जा रही थी। पंजाब प्रांत में मरियम नवाज सरकार ने एक फैसला यह थी किया है कि स्कूलों की किताबों में अगर कोई पाठ नफरत फैलाने का सबक देता है तो उस पाठ को हटाया जाएगा। उसकी जगह शांति की बात करने वाले पाठ को जोड़ा जाएगा।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का सिख विवाह अधिनियम कहता है कि 18 साल या उससे ऊपर के सिख लड़के और लड़की विवाह योग्य माने जाएंगे। उनके विवाह को पंजीकृत किया जाएगा। उनके विवाह में किसी प्रकार की दिक्कत या अड़चन के आने पर पांच सदस्यों वाली सिखों की एक संगत उस समस्या का हल निकालेगी।
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