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गुजरात : चार साल में ₹9680 करोड़ का ड्रग्स जब्त, सरकार ने लॉन्च किया एंटी ड्रग्स कैंपेन

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सोनल अनडकट

गुजरात में ड्रग्स हेराफेरी के बढ़ते मामलों को देख गुजरात सरकार और खास तौर पर राज्य के गृह विभाग ने नशे की बुराई पर अंकुश लाने के लिए एंटी ड्रग्स केम्पेइन शुरू किया है। इस केम्पेइन के तहत स्कूल, कॉलेज और ट्यूशन क्लासिस में अवेर्नेस कार्यक्रम भी किये जायेंगे।

पिछले कुछ सालों में गुजरात में ड्रग्स जब्ती के बढ़ते केस को देखकर लगता है कि गुजरात सरकारने ड्रग्स के खिलाफ एक मुहिम ही छेड़ दी है। पिछले चार सालों में गुजरात में ₹9680 करोड़ के नशीले पदार्थ जब्त किये गये है। गुजरात गृह विभाग की इस मुहिम पर बातचीत करते हुए गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ का जंग मानव और दानव के बीच का जंग है। ड्रग्स आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है। वेस्टर्न कंट्रीज में ड्रग्स का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन वह देश ड्रग्स के खिलाफ का जंग हार चुके हैं। उन्होंने कुछ ड्रग्स को कानूनी भी कर दिया है। दूसरी ओर भारत के आसपास के पड़ोसी देश भारत में ज्यादा से ज्यादा ड्रग्स घुसेडने के प्रयास में लगे हुए हैं। ऐसे हालात में गुजरात सरकार पिछले 4 साल से भी ज्यादा समय से ड्रग्स के खिलाफ जंग लड़ रही है। इस दिशा में और एक नया कदम उठाते हुए गुजरात सरकार एंटी ड्रग्स कैंपेन शुरू कर रही है जिसके तहत आने वाले दिनों में राज्य के सीनियर आईपीएस अधिकारी एक एक जिले को गोद लेकर उस जिले के स्कूल, कॉलेज में एवं सरकारी कार्यक्रमों के जरिए ड्रग्स के सेवन को रोकने के लिए अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित करेंगे। जिला कक्षा के इन कार्यक्रमों में मंत्री भी शामिल होंगे। इसके अलावा ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उनकी संपत्ति भी अब जब्त की जाएगी।

हर्ष संघवी ने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि गुजरात में पिछले 4 सालों में सबसे ज्यादा ड्रग्स जब्ती की गई है। इस बात को सकारात्मक रूप से लेने की बजाय विपक्ष पॉलीटिकल माइलेज के लिए गुजरात को गलत तरीके से बदनाम कर रहा है। गुजरात को ‘उड़ता गुजरात’ कहने वाले विपक्ष उनकी सरकार वाले राज्य में ड्रग्स जब्ती के आंकड़े देखें तो उन्हें पता चलेगा कि गुजरात में ड्रग्स के खिलाफ की मुहिम का नतीजा क्या है। गुजरात में जब्त किये गए ड्रग्स के आंकड़ों को देखकर ‘उड़ता गुजरात’ कहने वाले विपक्ष को यह समझना चाहिए कि यह ड्रग्स लोगों के हाथों तक पहुंचने से पहले ही पुलिस के हाथों जब्त हो रहा है।

गुजरात ड्रग्स के कारोबार का केंद्र बना है ऐसे विपक्ष के दावे के जवाब में गृह राज्य मंत्री ने बताया कि राज्य की तमाम पुलिस और एजेंसिया चुनौतियों का सामना कर जानकारी के आधार पर ड्रग्स जब्त कर रही है। ड्रग्स की तस्करी और अतिक्रमण को रोकने के लिए राज्य के संवेदनशील समुद्री सीमा पर लगातार पेट्रोलिंग किया जा रहा है। केंद्रीय एजेंसी के साथ गुजरात पुलिस अलग-अलग टीम बनाकर ड्रग्स के कारोबार को खत्म करने की दिशा में एवं ड्रग्स माफिया का नेटवर्क तोड़ने की दिशा में लगी हुई है। पुलिस के अधिकारी समुद्र में 15 से 20 दिन तक रुक कर भी ड्रग्स के कंसाइनमेंट को पकड़ते हैं। ड्रग्स का सिर्फ अतिक्रमण ही नहीं लेकिन गुजरात के अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों में ड्रग्स को घुसेड दिया गया है। तब ड्रग्स के नेटवर्क को तोड़ने के लिए स्थानीय स्तर पर भी अभियान चलाए जा रहे हैं और इसमें पुलिस को सफलता भी मिली है।

ड्रग्स के प्रकार और उत्पादन

ड्रग्स तीन प्रकार के होते है, नेचुरल, सेमी सिंथेटिक और सिंथेटिक। विश्व के 90% ड्रग्स का उत्पादन अकेले अफगानिस्तान में ही होता है, जो पॉपी और हेरोइन का उत्पादन करते हैं। कोका का उत्पादन साउथ अफ्रीका में होता है जबकि भारत में सिंथेटिक ड्रग्स और अफीम देखने को मिलते हैं। कोलंबिया (54%), पेरू (30%) और बोलीविया (15%) लगभग सभी कोकीन उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं।

विश्व में 296 मिलियन ड्रग्स यू

UNODC- United Nations Office on Drugs and Crime के साल 2023 के रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 296 मिलियन ड्रग यूजर्स है। 15 से 64 साल की आयु के 5% लोग ड्रग्स लेते है। अगर ड्रग्स के प्रकार के हिसाब से यूजर्स देखे तो कैनबिस 219 मिलियन, एम्फ़ैटेमिन 36 मिलियन, ओपियोइड 60 मिलियन, कोकीन 22 मिलियन और एक्स्टसी 20 मिलियन यूजर्स लेते है।

गुजरात की सीमाएं ड्रग्स मामले में बड़ी चुनौती

ड्रग्स के मामले में गुजरात के लिए उसकी सरहदे एक चुनौती समान है। गुजरात के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर जिलों में पॉपी कल्टीवेशन यानी कि अफ़ीम की खेती को मान्यता प्राप्त है। जिसके चलते इन्हीं राज्यों में ब्राउन शुगर और हेरोइन बनकर गुजरात मे आने की संभावना बढ़ जाती है। अब तो पड़ोसी राज्य राजस्थान से ड्रोन ड्रॉपिंग यानी कि ड्रोन के जरिये गुजरात मे ड्रग्स भेजने की घटनाएं भी सामने आई है। इसके अलावा गुजरात के पास 1600 किलोमीटर की समुद्री सीमा भी है। इस सीमा पार से ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान जैसे देशों से मेरीटाइम एक्सेस के जरिये ड्रग्स गुजरात में घुसेड़ा जा रहा है। गुजरात मे 30,000 रजिस्टर्ड बोट है जो सालभर हाई सी में फिशिंग करती है। इन सभी बोट पे सवार मछुआरे भी ड्रग्स से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो जाने की संभावना है।

नार्को टेररिज्म बड़ी चुनौती

ड्रग्स के कारोबार ने विश्व मे नार्को टेररिज्म को बढ़ावा दिया है। ड्रग्स के जरिए मिलनेवाला अनाधिकृत धन आतंकवाद को प्रोत्साहित करने के लिए खर्च किया जा रहा है। जिसके चलते आज गुजरात समेत पूरे विश्व के समक्ष नार्को टेररिज्म एक बड़ी चुनौती है।

ड्रग्स के खिलाफ सरकार के कदम

केन्द्रीय स्तर पर NCORD- Narco Coordination Centre कार्यरत है, जो हर एक राज्य और उसके जिलों में फैला हुआ है। इसकी कमिटी की हर महीने बैठक होती है। National Integrated Database on Arrested Narco-offenders पोर्टल तैयार किया गया है, जिस पर ड्रग्स के साथ जुड़े हुए आरोपियों की डिटेल्स रखी जाती है। ड्रग्स के कारोबार में एकबार जो  आरोपी पकड़ा गया वह फिरसे वही काम करेगा इसकी संभावना ज्यादा रहती है। जिसके चलते इस पोर्टल पर आरोपियों की डिटेल्स रखी जाती है जो हर एक राज्य की एजेन्सियों के लिये महत्वपूर्ण साबित होती है। केन्द्रीय स्तर पर ANTF- Anti Narcotics Task Force का भी गठन किया गया है, जो समुद्र सीमा पर एवम जिलों में कार्यरत है।

मुख्यमंत्री ने की नार्को रिवॉर्ड पॉलिसी की पहल

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने सितम्बर 2021 में नार्को रिवॉर्ड नीति की घोषणा की। गुजरात एनडीपीएस मामलों में मुखबिरों और पुलिस अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए इनाम योजना की घोषणा करने वाला पहला राज्य है। इस नीति के तहत गुजरात की प्रत्येक पुलिस इकाई को अपना केसलोड बढ़ाने का निर्देश दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप 2021 से गुजरात पुलिस के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। अब तक कुल 105 पुलिस कर्मियों को ₹16 लाख के पुरस्कार दिये गए है।

गृह मंत्री की अध्यक्षता में एक पहल

मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने 2022 में सात समीक्षा बैठकें और 2023-24 में 15 समीक्षा बैठकें की। जिसमें ड्रग्स के खिलाफ के अभियान में प्रशासनिक प्रावधानों, बजट और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने इस अभियान में जीरो टॉलरेंस की नीति के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने समुद्र में राष्ट्र-विरोधी ताकतों के खिलाफ अपनी जान जोखिम में डालने वाले एटीएस कर्मियों के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा भी की है। ड्रग्स के खिलाफ की कार्यवाही के अभियान में असाधारण प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया जाता है, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है।

गुजरात में होती है टॉप टू बॉटम और बॉटम टू टॉप जांच

ड्रग्स का कारोबार और राष्ट्रीय सुरक्षा एकदूसरे से सीधा जुड़े हुए है। ड्रग्स का अवैध धन आतंकी प्रवृत्ति में जाने की संभावना को देखते हुए गुजरात में ड्रग्स के हर एक केस की जांच टॉप टू बॉटम और बॉटम टू टॉप की जाती है। ड्रग्स कहां से आया, किसने लिया, कहां भेजना था इस प्रकार के सभी सवालों के जवाब कड़ी जांच के जरिये खंगाले जाते है, जिससे ड्रग्स सप्लाई का चैन तोड़ा जा सके।

गुजरात में ड्रग्स समेत के नशीले पदार्थो की बरामदगी

• साल 2021

मामले 465, आरोपी 727, मादक पदार्थ 21,754.576 किलोग्राम, रु. 2346.25 करोड़

• साल 2022

मामले 512, आरोपी 785, मादक पदार्थ 32,590.845 किलोग्राम, रु. 5338.81 करोड़

• साल 2023

केस 558, आरोपी 742, मादक पदार्थ 23, 499.440 किलोग्राम, रु. 1514.80 करोड़

• साल 2024

केस 251, आरोपी 353, मादक पदार्थ 9760.65 किलोग्राम, रु. 480.10 करोड़

इस प्रकार चार साल में कुल 1786 मामलो में 2607 आरोपी को गिरफ्तार किया गया। इन केसों में कुल 87,605.49 किलो नशीले पदार्थ जब्त कर कुल रु. 9679.96 करोड़ की जब्ती की गई।

•  साल 2024 की तिमाही 2 (अप्रैल-जून, 2024) में पंजीकृत नारकोटिक्स ड्रग मामले देखे तो पूरे गुजरात मे 128 मामले दर्ज हुए। जिसमे 169 आरोपियों को गिरफ्तार कर ₹ 2,22,07,34,589.00 की जब्ती की गई।

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