पिछले कुछ दिन से ताइवान को लेकर चीन लगातार आंखें तरेरता आ रहा है। जमीन, आसमान और समुद्र के रास्ते ताइवान को घेरने की धमकियां दी जा रही हैं। बीजिंग आक्रामक बयानबाजी कर रहा है। ताइवान को ‘देख लेने’ की बातें कहीं जा रही हैं। इसी कड़ी में चीन ने ताइवान के लोकतंत्र समर्थकों को इस ‘अपराध’ के लिए मौत की सजा देने तक की धमकी दी थी। लेकिन इसके जवाब में ताइवान के राष्ट्रपति ने चीन को जो खरी खरी सुनाई है, उससे हर देशभक्त ताइवानी का सीना चौड़ा हो गया है।
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने साफ कहा है कि अपराध लोकतंत्र नहीं है, बल्कि अपराध तानाशाही है। चीन के हाथ में ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि खुलकर अपना मत प्रकट करने वाले ताइवानियों को किसी प्रकार का दंड दे सके।
लाई ने कहा कि मैं बलपूर्वक कहना चाहता हूं कि लोकतंत्र का समर्थक होना किसी भी तरह अपराध नहीं है। लेकिन इसके विपरीत निरंकुशता जरूर एक अपराध है। राष्ट्रपति ने कहा कि चीन को इस बात का अधिकार नहीं है कि वह लोकतंत्र समर्थक ताइवानी जनता को किसी प्रकार की सजा देने की हिम्मत करे।
कूटनीति के विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान का यह करारा पलटवार चीन के विदेश विभाग और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अंदर तक हिला गया होगा। ताइवान की आजादी के समर्थकों की बड़ी संख्या है और वे चीन के विरुद्ध मुखरता से बोलते आ रहे हैं। राष्ट्रपति लाई खुद लोकतंत्र और ताइवान की अखंडता के धुर समर्थक हैं। यही वजह है कि लोकतंत्र की बात करने वालों को चीन द्वारा सजाए मौत जैसी सजा की कामना करना उनके गले नहीं उतरा और उन्होंने उसी तीखेपन के साथ चीन को आईना दिखा दिया। ताइवान के अखबारों ने राष्ट्रपति का यह बायान खूब प्रखरता से प्रकाशित किया।
ताइवानी राष्ट्रपति ने चीन को इंगित करते हुए अपनी यह बात एक प्रेस कॉन्फ्रेस में कही। पत्रकारों ने चीन द्वारा मौत की सजा की धमकियां दिए जाने पर उनका जवाब मांगा था जिस पर उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि जिसकी गूंज बीजिंग तक सुनाई दी। लाई ने कहा कि मैं बलपूर्वक कहना चाहता हूं कि लोकतंत्र का समर्थक होना किसी भी तरह अपराध नहीं है। लेकिन इसके विपरीत निरंकुशता जरूर एक अपराध है। राष्ट्रपति ने कहा कि चीन को इस बात का अधिकार नहीं है कि वह लोकतंत्र समर्थक ताइवानी जनता को किसी प्रकार की सजा देने की हिम्मत करे।
लाई ने आगे कहा कि चीन कहता है कि चीन के ‘एकीकरण’ के पक्ष में न होना ताइवान की आजादी की बात करने जैसा ही है। ऐसे लोग चाहे चीन के हों या ताइवान के, उनका अर्थ ताइवान की आजादी का समर्थन करना ही माना जाएगा। इसलिए ताइवान की सत्ता के साथ ही विपक्षियों को भी एकजुटता दिखाते हुए चीन की इस धमकी के लिए उसका प्रतिरोध करना ही चाहिए।
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