पूरे यूरोप में इन दिनों अवैध शरणार्थियों का हंगामा और महिलाओं के साथ किया जा रहा शोषण तेजी से पैर पसार रहा है, परंतु उससे भी अधिक वहाँ की न्याय व्यवस्था एवं प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम हैरान करने वाले हैं। ऐसा ही एक मामला जर्मनी से आया है। जहां पर एक महिला को केवल इसलिए सजा न्यायालय द्वारा दी गई क्योंकि उसने ऐसे व्यक्ति के प्रति कुछ अपमानजनक कह दिया था, जिसे बलात्कारी साबित होने के बाद भी जेल नहीं हुई थी।
A woman in Germany has been sentenced to prison after "insulting" a migrant who participated in the horrific gang rape of a young girl in 2020.
The woman has now received more jail time than 8 of the 9 men convicted for the gang rape.https://t.co/PscrHvsl0X
— ThePublica (@ThePublicaNow) June 23, 2024
यह घटना वर्ष 2020 की है और इसमें कई शरणार्थी पुरुष सम्मिलित थे। दरअसल उन दिनों कोरोना फैला हुआ था। पूरे विश्व में लॉकडाउन की स्थिति थी और उन्हीं दिनों जर्मनी में हैम्बर्ग स्टैडपार्क में एक लड़की अपने दोस्तों के साथ थी। यह पार्क उन दिनों काफी लोकप्रिय हो गया था। मगर जल्द ही पुलिस ने वहाँ आकर लोगों को सोशल डिस्टेंसिग के कारण अलग-थलग कर दिया। 14 वर्षीय वह किशोरी समझ नहीं पाई कि क्या करना है और फिर वह उन शिकारियों के हत्थे चढ़ गई।
उसके सामने चार लोग आए, जिन्होनें काफी देर तक उसके साथ बलात्कार किया। वे उससे उसका पर्स और फोन भी छीनकर ले गए। लड़की बहुत डर गई थी और इस पहले हमले से सम्हल भी नहीं पाई थी और वह किसी से मदद भी नहीं मांग सकती थी। उसके बाद उसकी इस स्थिति को देखकर और दो लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया।
सबसे परेशान करने वाली बात यह थी कि उसके साथ बलात्कार करने वाले लोगों ने अपने अपने चैट समूहों में लड़की के बारे में खबर बताते हुए बुलाना शुरू कर दिया कि पार्क में यह लड़की अकेली है और कोई भी गवाह नहीं है। उसके बाद उस लड़की पर तीसरी बार एक आदमी ने और चौथी बार तीन और आदमियों ने हमला किया और जो उसे झाड़ियों में घसीटकर ले गए और उसके साथ बलात्कार किया।
अंत में वह बच्ची किसी तरह से अपनी जान बचाकर भागने में सफल हुई और सड़क तक पहुंची जहां पर लोगों ने उसे बेचैन, डरी हुई और बदहवास स्थिति में पाया और फिर पुलिस को बुलाया। इस पूरी घटना में कुल 11 लोग शामिल थे। मगर दो लोगों को डीएनए न मिलने के कारण छोड़ दिया गया। उन नौ लोगों का सीमन लड़की के शरीर पर पाया गया, मगर उनमें से भी आठ लोगों को “प्रोबैशन” पर रिहा कर दिया गया। माने उन्होंने एक भी दिन जेल में नहीं काटा। नौवें व्यक्ति को दो साल और नौ महीने की सजा बिना पेरॉल के सुनाई गई।
जो भी ये लोग पकड़े गए थे उनमें से पाँच लोगों के पास जर्मनी का पासपोर्ट था और शेष लोग जर्मनी के नागरिक नहीं थे। जिन लोगों को दोषी पाया गया था, उनमें से कोई भी जर्मनी का मूल निवासी नहीं था। बलात्कारियों की पहचान एक पोलिश, एक मिस्र, एक लीबिया, एक कुवैत, एक ईरान, एक आर्मेनिया, एक अफगानिस्तान, एक सीरिया के नागरिक के रूप में हुई थी। इन आदमियों की बेगुनाही साबित करने के लिए 20 वकीलों की फौज थी।
लड़की के साथ पहले और तीसरे बलात्कार का वीडियो भी बलात्कारियों ने अपने व्हाट्सएप के संपर्कों में साझा किया था, मगर न्यायालय में सुनवाई से पहले ही वह वीडियो नष्ट कर दिए गए। मीडिया की रिपोर्ट्स में यह बहुत स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि जब इस मामले की सुनवाई चल रही थी और लड़की अपनी गवाही दे रही थी, तो उन नौ लोगों में से किसी के भी चेहरे पर कोई पछतावा नहीं था और एक आदमी तो सुनवाई के दौरान सो भी गया था।
जैसे ही इस मामले में निर्णय आया तो जर्मनी में लोगों में उबाल आ गया। घटना जितनी भयानक थी, सजा उतनी ही कम। इसके परिणाम स्वरूप एक आदमी का फोन नंबर और नाम कुछ लोगों ने स्नैपचैट पर साझा कर दिया। इस घटना के विषय में सुनकर एक बीस वर्षीय महिला ने इस नंबर पर संदेश भेजा और उसे “असम्मानित रेपिस्ट पिग” एवं “शर्मनाक गर्भपात” कहा। उसने यह भी लिखकर भेजा कि “क्या तुम्हें खुद को आईने में देखकर शर्म नहीं आती?”
वह बलात्कारी पुलिस के पास गया और उसने उस महिला की शिकायत पुलिस से की कि उसने उसे अपमानजनक संदेश भेजे। महिला पर मुकदमा हुआ और महिला को अब दोषी पाया गया है, जिसमें उसे दो सप्ताह जेल में बिताने होंगे। हालांकि, महिला ने न्यायालय में अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी और कहा कि वह इस घटना को जानकर उद्वेलित हो गई थी।
परंतु जर्मनी की मीडिया के अनुसार वह महिला अकेली नहीं है, जिसे बलात्कारी को अपमानजनक कहने पर सजा हुई है, अभी कुल 140 लोग और ऐसे हैं, जिनपर कार्यवाहियों की तलवार लटकी है, क्योंकि उन्होनें भी उन बलात्कारियों के लिए कुछ अपमानजनक कहा था, किसी ने धमकी दी थी या फिर कुछ और कहा होगा। वे 140 लोग भी जेल जा सकते हैं।
टिप्पणियाँ