केरल की वामपंथी सरकार ‘केरल’ राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करना चाहती है। इसको लेकर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की सरकार ने राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें केंद्र सरकार से राज्य का नाम बदलने को लेकर अनुरोध किया गया है।
केरल कौमुदी की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को विधानसभा में राज्य का नाम बदलने को लेकर प्रस्ताव लाया गया, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। बताया जाता है कि मलयालम में प्रदेश का नाम ‘केरलम’ ही है, लेकिन संविधान की पहली अनुसूची में इसका नाम केरल के तौर पर दर्ज किया गया है। राज्य विधानसभा द्वारा पारित किए गए प्रस्ताम में राज्य का नाम केरल से केरलम करने को लेकर तत्काल कार्रवाई करने की मांग केंद्र सरकार से की गई है।
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पिछले वर्ष पेश किया गया था प्रस्ताव
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रदेश के नाम बदलने को लेकर एक प्रस्ताव 9 अगस्त 2023 को ही सदन में पेश किया था। उस दौरान प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से संविधान की पहली और आठवीं अनुसूची में राज्य का नाम ‘केरल’ से बदलकर ‘केरलम’ करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की थी। हालांकि, उस दौरान केरल को भेजे जबाव में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया था कि इसके लिए संविधान की पहली ही अनुसूची में संशोधन की आवश्यकता है, जिसको लेकर विधानसभा में सोमवार को एक और प्रस्ताव पास किया गया।
ये दोगलापन क्यों?
वामपंथी सरकार के इस कदम से एक सवाल खड़ा होता है और वो ये कि जब भाजपा शासित राज्यों में जगहों के नाम उनके वर्तमान नाम की जगह असली पहचान पर रखे जा रहे थे तो फिर यही वामपंथी रूदन क्यों कर रहे थे? सवाल ये भी है कि आखिर क्यों वामपंथी सरकार केरल का नाम बदलना चाहती है? गौरतलब है कि जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया, इलाहाबाद को उसका पुराना नाम प्रयागराज दिया था तब कथित लिबरल्स और वामपंथियों व इस्लामिस्टों की जमात इस बात पर रूदन कर रही थी आखिर नाम बदलने से क्या होगा? अब खुद ही उसी रास्ते पर चल रही है। खास बात ये है कि इस पर अब तक कांग्रेस, सपा या फिर मुस्लिम संगठनों ने चुप्पी साध रखी है।
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