नेपाल, जो एक समय में एकमात्र हिंदू राष्ट्र के रूप में जाना जाता था, अब एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। इस परिवर्तन ने नेपाल में कई लोगों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। हाल ही में, नेपाल के प्रमुख नेता शंकर भंडारी ने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने भारत के सनातनी समाज से अपील की है कि वे नेपाल को पुनः हिंदू राष्ट्र बनाने में सहयोग करें।
शंकर भंडारी की अपील
शंकर भंडारी, जो नेपाल के एक प्रभावशाली राजनीतिक और धार्मिक नेता हैं, हाल ही में एक सभा में यह बयान दिया कि भारत के सनातनी समाज को नेपाल को पुनः हिंदू राष्ट्र बनाने में सहयोग करना चाहिए। उनके अनुसार, नेपाल का हिंदू इतिहास और संस्कृति बहुत गहरी और महत्वपूर्ण है, जिसे पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “नेपाल और भारत के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं। हमारे देश की पहचान हिंदू राष्ट्र के रूप में है और इसे पुनः स्थापित करने में भारत के सनातनी समाज का सहयोग महत्वपूर्ण होगा।”
भारत और नेपाल के संबंध
भारत और नेपाल के बीच विशेष संबंध हैं, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर आधारित हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच धार्मिक तीर्थयात्राओं का आदान-प्रदान होता रहता है। पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल) और काशी विश्वनाथ मंदिर (भारत) जैसे धार्मिक स्थलों के माध्यम से दोनों देशों के बीच एक गहरा धार्मिक संबंध है।
धार्मिक पुनरुत्थान का महत्व
शंकर भंडारी का यह बयान नेपाल के उन हिस्सों में गूंज रहा है जहाँ हिंदू धर्म के अनुयायी आज भी इसे अपने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा मानते हैं। भंडारी का मानना है कि हिंदू राष्ट्र के रूप में नेपाल की पुनर्स्थापना न केवल धार्मिक संतुलन को बनाएगी बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी मजबूत करेगी।
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