भारतीय भाषाओं में शिक्षा ही स्वतंत्र बोध देगी : डॉ आनंद पांडेय
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होम भारत पश्चिम बंगाल

भारतीय भाषाओं में शिक्षा ही स्वतंत्र बोध देगी : डॉ आनंद पांडेय

भारतीय ज्ञान प्रणाली में शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य बनाना है - निदेशक प्रो वीरेन्द्र कुमार तिवारी

by WEB DESK
Jun 23, 2024, 07:01 pm IST
in पश्चिम बंगाल
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भारतीय ज्ञान परंपरा में शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य बनाना है, जिससे व्यक्ति, परिवार, सणाज और राष्ट्र का गौरवशाली विकास हो और अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति उस शिक्षा परंपरा को आगे बढ़ा रही है। यह सौभाग्य की बात है कि भारतीय ज्ञान परंपरा का उत्कृष्ट केंद्र होने का गौरव भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर को प्राप्त है। आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. वीरेंद्र कुमार तिवारी ने यह बात कही।

अखिल भारतीय बौद्धिक मंच प्रज्ञा प्रवाह की पश्चिम बंगाल शाखा लोक प्रज्ञा की शनिवार रविवार की दो दिवसीय कार्यशाला लोकप्रज्ञा अनुभव दर्शन 18 के उद्घाटन के अवसर पर प्रो तिवारी संस्थान के एस एन बोस सभागार में बोल रहे थें । संस्थान और लोक प्रज्ञा के साझे में ‘”भारतीय ज्ञान प्रणाली में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका” पर यह कार्यशाला आयोजित थी । प्रज्ञा प्रवाह के पूर्व क्षेत्र संपर्क प्रमुख डॉ आनंद पांडेय ने कहा कि जिस दिन बौध्दिक मंच पर ज्ञान विज्ञान की चर्चा भारत की बहुजनसंख्य भाषा हिन्दी और राज्य की मातृभाषा में होगी , उसी दिन पूर्ण स्वतंत्रता का बोध हम भारतवासियों में होगा, अभी तो 77 साल से स्वाधीनता बोध तक है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसका संकेत है।

इसीलिए इस कार्यशाला की विशिष्टता कार्यक्रम की प्रस्तुति से विद्वत वक्तव्य की भाषा संस्कृत , बांग्ला और हिंदी है। इस अवसर पर स्वागत भाषण भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग के चेयरमैन और सीओई प्रो. कमल लोचन पाणिग्राही ने दिया जबकि मंचस्थ अतिथियों में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान एनआईटी भोपाल के पूर्व प्रो. सदानंद दामोदर सप्रे, विश्व भारती के अर्थशास्त्र और राजनीति विभाग के पूर्व प्रो. प्रणव चट्टोपाध्याय, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी शिक्षक प्रशिक्षण अनुसंधान संस्थान (एनआईटीटीटीआर) साल्टलेक के निदेशक प्रो देवी प्रसाद मिश्र और लोक प्रज्ञा के राज्य विज्ञान प्रमुख प्रो रासबिहारी भर का परिचय भारतीय ज्ञान प्रणाली विभाग के प्रो. के.महेश ने दिया। दीपक खुराना ने समारोह का संचालन किया और डॉ रासबिहारी भर ने धन्यवाद जताया।

प्रतिभागियों की 400 से अधिक संख्या को देखते हुए छह पुस्तकों के लोकार्पण के पूर्व रमन कक्ष मे निदेशक प्रोफेसर तिवारी के विज्ञान शिक्षा सैवा के पचास वर्ष पूर्ति पर अभिनंदन मंचस्थ अतिथियों ने किया। डॉ पांडेय ने प्रो तिवारी को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत, छात्र वत्सल अध्यापक, निपुण प्रशासक और राष्ट्र समर्पित पूर्ण मनुष्य बता कर अभिनंदन पत्र प्रदान किया जबकि शाल ओढ़ाकर प्रो सप्रे ने अभिनंदनीय व्यक्तित्व बताया।

इसके पहले शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति श्रीमती दीपाली कुलकर्णी का रहा जबकि तबले पर प्रो दीपेश कतिरा और अजय गांगुली ने हारमोनियम से संगत दिया।कार्यशाला के दूसरे दिन मौलाना अबुल कलाम आजाद एशियाई अध्ययन संस्थान साल्टलेक के निदेशक सरूप प्रसाद घोष ने भारतीय मानवतावादी शिक्षा पर वक्तव्य रखा। पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा परिषद और उच्च माध्यमिक शिाक्षा परिषद के सर्वोच्च अंक प्राप्त छात्र छात्राओं के साथ चार आईएससीई के कुल 60 छात्र छात्राओं को प्रमाणपत्र प्रदान कर उनके माता वा पिता को उत्तरीय प्रदान कर रत्नगर्भा मातृ सम्मान से सम्मानित किया गया।

विशेष उपस्थिति विश्वभारती विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रो विप्लव लह चौधरी की थी , विशेष सम्मान कार्यशाला के एक दिन पहले उप-निदेशक पद भार ग्रहिता प्रो रिन्टू बनर्जी का सम्मान शाल ओढ़ाकर राज्य मातृशक्ति प्रमुख सुतपा बसाक भर ने किया। कार्यशाला का संयोजन प्रज्ञा प्रवाह पूर्व क्षेत्र संयोजक अरविंद दास का, और मंच संचालन मिलन दे ने किया।

प्रो अरिजीत दे,पंकज गुप्ता, माधवी गुप्ता, संदीप कुलकर्णी,विजय कुमार कन्नौजिया के अलावा आईआईटी के तक़रीबन 50 अध्यापक ,छात्र, सुरक्षाकर्मियों व कर्मियों के सहयोग की चर्चा करते हुए समापन वक्तव्य के बाद डॉ पाण्डेय ने धन्यवाद जताया।

Topics: लोकप्रज्ञा की कार्यशालालोकप्रज्ञा अनुभव दर्शनडॉ आनंद पांडेयLokpragya workshopLokpragya Anubhav DarshanDr. Anand Pandeyपश्चिम बंगाल समाचारwest bengal news
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