रूस में पाकिस्तान के राजदूत खालिद जमाली ने रूस की एक समाचार एजेंसी के सामने इस बात का उल्लेख किया कि खुद राष्ट्रपति पुतिन ने पाकिस्तान को इस परियोजना में शामिल होने का आमंत्रण दिया था और पाकिस्तान ने उनका आमंत्रण स्वीकारा है।
सर्वविदित है कि भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंध एक विशेष गर्मजोशी वाले रहे हैं। गत 10 साल में तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दोस्ताना नीतियों ने दोनों देशों को और करीब ला दिया है। दोनों के संबंधों को प्रगाढ़ करने वाला साझा अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साऊथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर अपनी मिसाल आप देने वाला है। लेकिन इसको लेकर रूस में पाकिस्तान के राजदूत ने जो उत्साह दिखाया है और जिस प्रकार की ‘जानकारी’ दी है उससे भारत के विदेश विभाग को शायद इस बारे में और सतर्क होने की जरूरत है।
रूस में पाकिस्तान के राजदूत खालिद जमाली ने रूस की एक समाचार एजेंसी के सामने इस बात का उल्लेख किया कि खुद राष्ट्रपति पुतिन ने पाकिस्तान को इस परियोजना में शामिल होने का आमंत्रण दिया था और पाकिस्तान ने उनका आमंत्रण स्वीकारा है। जमाली की बात में कितनी सचाई है इसकी पुष्टि तो हो ही जाएगी, लेकिन अगर पाकिस्तान के प्रतिनिधि अपनी आदतों से उलट जाकर कुछ अंश भी सच बोल रहे हैं तो इससे भारत को चिंता पैदा होना स्वाभाविक ही होगा।
जमील की ‘पुष्टि’ के अनुसार, भारत—रूस के बीच बन रहे अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साऊथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से अगर पाकिस्तान जुड़ता है और ऐसा अगर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कहने पर होता है तो सोचने वाली बात यह है कि आखिर पुतिन उस पाकिस्तान पर इतने मेहरबान क्यों हो रहे हैं जो उनके निकट मित्र भारत से चिढ़ता है और यहां आतंकवाद फैलाता है?
जमील के अनुसार पाकिस्तान ने इस साझेदारी के लिए प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। जमील कहते हैं कि पाकिस्तान इस परियोजना में आर्थिक साझेदार के नाते शामिल होने जा रहा है। जिन्ना के जिस कंगाल देश के पास रोटी खाने के लिए पैसे नहीं हैं, वह और आर्थिक साझेदारी करेगा! जमील की यह बात हजम होने के लायक तो नहीं है।
भारत और रूस के बीच की यह परियोजना दरअसल 7200 किमी लंबी मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क के रूप में है। यह नेटवर्क रूस तथा उत्तरी यूरोप को भारत, खाड़ी देशों तथा अफ्रीकी देशों को जोड़ता हुआ बनेगा। यह मार्ग अजरबैजान और ईरान के रास्ते होकर जाएगा। बताया गया है कि इस नेटवर्क के पूरा हो जाने पर वक्त भी बचेगा और पैसे भी। माना जा रहा है इसके जरिए रूस अमेरिकी प्रतिबंधों से बेअसर रहेगा।
जमील के कहे से एक कदम और आगे जाते हुए कुछ विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वक्त में इस नेटवर्क के चीन और पाकिस्तान की सीपीईसी परियोजना से भी जुड़ने की संभावना है। यह वही परियोजना है जिसमें भारत शामिल नहीं है और इसका सख्त विरोध करता आ रहा है, क्योंकि यह भारत के उस पीओजेके क्षेत्र से गुजरता है जिसे भारत को पुन: अपनी वैध सीमा में शामिल करना है।
रूसी समाचार एजेंसी को पाकिस्तानी राजदूत जमील ने यह भी बताया कि ऐतिहासिक रेशम मार्ग को पुन: चालू करने पर भी काम जारी है। पाकिस्तान के जानकार कहते हैं कि सीपीईसी से जुड़कर पाकिस्तान को आर्थिक फायदे होंगे क्योंकि उसके सामने नए बाजार होंगे और देश में निवेश भी आ सकता है।
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि भारत अपने मित्र रूस से सबसे ज्यादा सैन्य हथियार खरीदता आ रहा है। रूस के पाकिस्तान को इतना महत्व देने से पाकिस्तान का रणनीतिक महत्व बढ़ेगा। यही वजह है कि पाकिस्तान तो जैसे भारत—रूस के बीच की इस बहु माध्यम नेटवर्क से जुड़ने को उतावला है। कुछ विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि आने वाले वक्त में रूस पाकिस्तान को ब्रिक्स में शामिल करने की पैरवी कर सकता है।
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