नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत के आदेश पर रोक लगाने वाली ईडी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस सुधीर कुमार जैन की वेकेशन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि दो-तीन दिन में फैसला आएगा। हाई कोर्ट ने फैसला आने तक जमानत के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
ईडी की ओर से पेश एएसजी राजू ने कहा कि मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत अभियोजक को पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने ईडी को जमानत याचिका विरोध करने का पर्याप्त मौका नहीं दिया। तब केजरीवाल की ओर से विक्रम चौधरी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ईडी को पूरा मौका दिया गया।
राजू ने जमानत के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने कहा है कि दोनों ओर से काफी बड़ी मात्रा में दस्तावेज पेश किए गए हैं, जिसका कोई महत्व नहीं है। ट्रायल कोर्ट दस्तावेज देखे बिना कैसे कह सकती है कि उनका महत्व है कि नहीं। राजू ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गलत तथ्यों और गलत तिथियों के आधार पर फैसला दे दिया। इस फैसले में ईडी की दलीलों को शामिल नहीं किया गया।
राजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केवल ये कहा है कि केजरीवाल ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका दायर सकते हैं, लेकिन ये नहीं कहा कि हाई कोर्ट ने जो कहा है, उसको ध्यान में नहीं रखा जा सकता है।
राजू ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने ईडी पर पूर्वाग्रह से केजरीवाल के खिलाफ केस बनाने का आरोप बिना तथ्यों के लगाया है। हाई कोर्ट के आदेशों पर गौर करने के बाद केजरीवाल के पक्ष में फैसला नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ईडी की ओर से कोई पूर्वाग्रह नहीं है। राजू ने कहा कि गवाहों को माफ करना और उन्हें सरकारी गवाह बनने की अनुमति देना जांच एजेंसी का काम नहीं है, बल्कि वो न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
राजू ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि ईडी केजरीवाल के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं दे सकी। राजू ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में ये गलत तथ्य दिया है। ईडी ने अपने जवाब में राघव मगुंटा के बयान का जिक्र किया है, जिसमें केजरीवाल की ओर से सौ करोड़ रुपये मांगने की बात कही गई है। राजू ने कहा कि मनी लांड्रिंग कानून के तहत जमानत देना कोर्ट का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि धारा 45 के तहत अगर आरोपित निर्दोष है, तभी जमानत दी जा सकती है।
राजू ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का ये कहना कि ईडी ये बताने में नाकाम रही कि गोवा चुनाव में अपराध के पैसे का किस तरह इस्तेमाल किया गया। ये पूरी तरह से गलत है। चनप्रीत सिंह ने पैसे लिए, जिसका सबूत दिया गया है, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इसकी अनदेखी की। आम आदमी पार्टी ने अपराध किया है, जो केजरीवाल की सहमति से हुआ है। ऐसे में केजरीवाल को भी दोषी माना जाना चाहिए, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इसकी अनदेखी की।
राजू ने कहा कि विनोद चौहान और केजरीवाल के निजी संबंध थे। विनोद चौहान ने सागर पटेल को 25 करोड़ रुपये गोवा में देने के लिए दिए। राजू ने करंसी नोट का जिक्र किया, जो बिना पैन कार्ड या दूसरे दस्तावेज के दिए गए। राजू ने कहा कि केजरीवाल गोवा के ग्रैंड हयात जैसे सेवन स्टार होटल में रुके। उसका खर्चा आंशिक तौर पर दिल्ली सरकार ने दिया और बाकी का भुगतान चनप्रीत सिंह ने किया। इन सबके साक्ष्य दिए गए हैं, लेकिन उसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने कहा कि ईडी के पास कोई साक्ष्य नहीं हैं।
इसके बाद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज पर आरोप लगाना सही नहीं है। ट्रायल कोर्ट ईडी की सभी दलीलों की हर लाइन और हर बयान को पूर्णविराम समेत नहीं लिखेगा। ये तरीका सही नहीं है। सिंघवी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में राजू ने सवा चार घंटे दलीलें रखीं, जबकि विक्रम चौधरी ने सवा घंटे दलीलें रखीं। फिर भी वो कह रहे हैं कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिला। सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना दृष्टिकोण रखा है, जबकि ट्रायल कोर्ट ने जमानत पर अपना फैसला सुनाया है। सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट ने भी कहा कि वो जमानत याचिका की सुनवाई नहीं कर रही है। ऐसे में ईडी उस आदेश का उदाहरण कैसे दे सकती है।
सिंघवी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई के अपने आदेश में खुद कहा कि केजरीवाल ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर सकते हैं और ट्रायल कोर्ट उस पर कानून के मुताबिक फैसला कर सकती है। अगर ईडी हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र कर रही है तो सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट जाने की छूट कैसे दे सकता है।
सिंघवी ने कहा कि ईडी के वकील राजू ट्रायल कोर्ट के फैसले पर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रायल कोर्ट जमानत याचिका पर मिनी ट्रायल नहीं कर सकती है। जमानत देना और जमानत निरस्त करना दो अलग-अलग चीजें हैं। अगर कोर्ट ये समझे कि आरोपित का पहले से आपराधिक चरित्र है, या वो भाग जाएगा या कोई और आशंका है, तभी जमानत नहीं देगी। ऐसे में ईडी केवल भ्रामक तर्क दे रही है। ईडी का ये कहना कि उसकी दलील पर गौर नहीं किया गया, ये सही नहीं है। हर कोई अलग-अलग तरीके से फैसला लिखता है।
सिंघवी ने कहा कि ईडी ने ट्रायल कोर्ट में ये कहीं नहीं कहा कि केजरीवाल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। अगर ईडी ने ऐसी कोई दलील नहीं दी है तो अब विरोध क्यों कर रहे हैं। केजरीवाल को जब 21 दिनों की जमानत मिली थी तो उन्होंने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया था।
सिंघवी ने कहा कि कोर्ट जमानत पर रोक नहीं लगा सकती है। कोर्ट को अगर लगे कि असाधारण परिस्थिति पैदा हुई है तो वो दोबारा जेल भेज सकती है। केजरीवाल को न तो सीबीआई ने आरोपित बनाया है और न ही ईडी की ईसीआईआर में उनका नाम है। इस मामले की जांच 2022 में शुरू हुई, जिसमें केजरीवाल का नाम नहीं है। शरतचंद्र रेड्डी के नौ बयान हुए, जिसमें केजरीवाल को आरोपित नहीं बताया। केस दर्ज हुआ 2022 में और समन जारी किए गए 2023 में और गिरफ्तारी की जाती है मार्च 2024 में।
केजरीवाल की ओर से दलीलें खत्म होने के बाद राजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई अंतरिम जमानत खत्म होने के बाद उसे बढ़ाया नहीं गया। अंतरिम जमानत चुनाव प्रचार के लिए दी गई थी। ट्रायल कोर्ट ने ये कहीं नहीं कहा कि केजरीवाल धारा 45 के तहत निर्दोष हैं। ऐसे में ट्रायल कोर्ट को जमानत देने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
दरअसल, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी। उनकी जमानत का जब फैसला सुनाया जा रहा था तो ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने कोर्ट से बेल बांड भरने के लिए 48 घंटे का वक्त देने की मांग की थी, ताकि वे इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकें। ट्रायल कोर्ट का आदेश आज सुबह अपलोड होने और बेल बांड भरने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही ईडी ने जमानत आदेश को रोकने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
टिप्पणियाँ