भोपाल, (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग का सर्वे मंगलवार को 89वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के आठ अधिकारियों की टीम 38 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे। मंगलवार को राजा भोज के वंशज भी भोजशाला पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह संस्कृत महाविद्यालय था।
ज्ञानवापी की तर्ज पर जारी सर्वे के 89वें दिन एएसआई की टीम ने भोजशाला सहित आसपास के परिसर में काम किया। भोजशाला के गौरव की पुनर्स्थापना को लेकर भोज उत्सव समिति द्वारा यहां पर प्रति मंगलवार सत्याग्रह किया जाता है। आज भी पूजा-अर्चना के लिए बडी संख्या में हिंदू समाज के लोग यहां पहुंचे और गर्भगृह में मां वाग्देवी सहित भगवान हनुमान का तेल चित्र रखकर पूजन किया। इस दौरान सरस्वती वंदना सहित सुंदरकांड करते हुए आरती की गई और प्रसादी का वितरण भी किया गया।
मंगलवार को राजा भोज के वंशन और राजा भोज कल्याण जन कल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र सिंह पंवार भी भोजशाला पहुंचे और हनुमान चालीसा के पाठ में शामिल हुए। उन्होंने 12 वर्षों के शोध के बाद परमार-पंवार राजवंश पर एक पुस्तक भी लिखी है। पंवार ने कहा कि राजा भोज के काल में भोजशाला की संस्कृत महाविद्यालय के रूप में प्रसिद्धि थी। यह संस्कृत महाविद्यालय था। यहां पर छात्र पढ़ने के लिए आते थे। राजा भोज एक विद्वान पंडित थे।
मंगलवार होने के चलते अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया था। पूजा-अर्चना के दौरान भी सर्वे रोका नहीं गया, टीम के सदस्य बाहरी क्षेत्र में अपना काम करते रहे। गर्भगृह के उत्तरी-पूर्व दिशा में मिट्टी हटाने का काम किया गया। इस दौरान दीवार और खंभों के पांच अवशेष मिले, जिन्हें एएसआई की टीम ने संरक्षित कर लिया है। इसके अलावा गर्भगृह में फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी भी की गई है।
सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि आज दिनभर गर्भगृह में काम चला और जो कमरे से अवशेष मिले थे, उनकी वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी हुई है। आज बिल्डिंग के उत्तरी-पूर्वी भाग में मिट्टी हटाने के दौरान पांच अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो खंबे और दीवारों के अवशेष है। जिस पर कुछ चिंह बने हुए हैं, लेकिन स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं। इसके लिए इनकी सफाई कराई जाएगी। परिसर में पानी निकासी की व्यवस्था की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि भोजशाला में एएसआई सर्वे 22 मार्च को शुरू हुआ था, जो निरंतर जारी है। यहां एक दिन भी काम बंद नहीं किया गया है। सर्वे को बुधवार, 19 जून को तीन महीने पूरे हो जाएंगे। अब तक यहां छोटे-बड़े मिलाकर करीब 1800 अवशेष मिल चुके हैं। इनमें लगभग 550 बड़े आकार के हैं, जबकि 30 मूर्तियां मिली है। इनमें अधिकांश खंडित मूर्तियां हैं। यह सर्वे 27 जून तक किया जाएगा। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में मामले की सुनवाई चार जुलाई को होनी है। उससे पहले एएसआई को सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है, इसलिए फिलहाल दस्तावेजीकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है।
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