करीब 49 साल पहले 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने देश को बंधक बना लिया था। संविधान का गला घोंट दिया गया था। न अखबार छप सकता था और न ही कोई इमरजेंसी के खिलाफ बोल सकता था। जिसने हिम्मत की उसे जेल में ठूंस दिया गया। जिस रायबरेली ने इंदिरा गांधी को असीम प्यार दिया उस रायबरेली की ही जनता ने इंदिरा गांधी की हिटलरशाही भी देखी। 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से सांसद निर्वाचित हुई थीं। जून 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा के लोकसभा निर्वाचन को रद कर दिया था। इसके बाद भारत ने लोकतंत्र की जगह हिटलरशाही देखी। बौखलाहट से 25 जून 1975 को उन्होंने देश को आपातकाल की आग में झोंक दिया। उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आए और हिटलरशाही का विरोध किया।
रायबरेली शहर से करीब चालीस किलोमीटर दूर जगतपुर भिचकौरा गांव में हमने आपातकाल के साक्षी नरदेव सिंह चौहान जी से बात की। वह अस्वस्थ हैं, बोलने में असमर्थ हैं, फिर भी आपातकाल पर खुद को बोलने से न रोक सके। नरदेव चौहान जी बताते हैं कि उस समय वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे। जिला बौद्धिक प्रमुख का दायित्व उनके पास था। आपात काल के समय संघ की दृष्टि से रायबरेली जिला था और बाद में इसे दो भागों में बाटा गया – रायबरेली एवं लालगंज। वह दैनिक शाखा जगतपुर भिचकौरा, बिशुनखेड़ा, पूरे मलंगा, अम्बारा पश्चिम, आनापुर, पूरे गुर्दी और साप्ताहिक शाखा ऐहार का पर्यवेक्षण करते थे। जगतपुर भिचकौरा की शाखा में 150 तक स्वयंसेवक आते थे। आपातकाल से वह आहत हुए।
नरदेव सिंह चौहान ने चार लोगों के साथ वह लालगंज थाने पहुंचे और आपातकाल के विरोध में गिरफ्तारी दी। इसके बाद उन्हें रायबरेली की जेल में बंद कर दिया गया। वह 22 दिन तक जेल में बंद रहे। उस समय कांग्रेस का बहुत ज्यादा खौफ था। विरोध करने की या आवाज उठाने की किसी में हिम्मत नहीं थी। डर की वजह से इन 22 दिनों में उनसे कोई मिलने तक नहीं आया, जमानत भी किसी ने नहीं ली। 22 दिन बाद वह जेल से छूटे। इसके बाद फिर उन्हें एक महीने के लिए जेल में डाल दिया गया। आपातकाल के बारे में और कुरेदने पर वह कहते हैं कि बोला नहीं जा रहा है। इसके बाद इतना ही कहा कि – देश के विरोध में कुछ भी बर्दाश्त नहीं था।
रायबरेली की जनता ने इंदिरा गांधी की हिटलरशाही का जवाब वोट से दिया। इसके बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी को रायबरेली से हार का सामना करना पड़ा।
टिप्पणियाँ