अमन की गिरफ्तारी का विरोध करते लोग
झारखंड में रामनवमी का जुलूस निकालना अब अपराध की श्रेणी में आने लगा है क्या ? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 12 जून को झारखंड पुलिस ने अमन कुमार नाम के एक हिंदू कार्यकर्ता को पटना जाकर गिरफ्तार कर लिया। अमन पर बीते 17 अप्रैल को रामनवमी के दिन बरकागांव के मुस्लिम बहुल इलाके महूदी से जुलूस निकालने का आरोप है। बताया गया कि जिला प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद अमन ने जुलूस निकाला था। गिरफ्तारी की पटकथा ऐसी लिखी गई जैसे अमन कोई गंभीर अपराध कर इलाके से फरार हो गया हो, जिसे पकड़ने के लिए झारखंड पुलिस को पटना जाना पड़ा । हालांकि इस मामले को लेकर पूरे देश भर में अब चर्चा का माहौल है। हिंदू कार्यकर्ता अमन की गिरफ्तारी और प्रशासन के खिलाफ प्रतिदिन प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस मामले पर हिंदू कार्यकर्ताओं का कहना है कि झारखंड सरकार का हिंदू विरोधी चेहरा फिर से एक बार समाज के सामने आ चुका है। विधानसभा का चुनाव नजदीक आते ही तुष्टिकरण में लिप्त सरकार अब उन सभी हिंदू कार्यकर्ताओं को निशाने पर ले रही है, जो हिंदुत्व के लिए अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
क्या है पूरा मामला
रामनवमी के दौरान 17 अप्रैल को 40 वर्षों के प्रतिबंध के बावजूद बड़कागांव के महूदी से रामनवमी का अष्टमी जुलूस शांतिपूर्वक निकाला जा रहा था। सुबह के समय जुलूस गांव से गुजरा तबतक किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। जुलूस जब वापस जाने लगा तो मुस्लिम समाज के लोग उग्र हो गए और वे जुलूस को जाने से रोकने लगे। मुस्लिम समाज के लोगों का कहना था कि जुलूस को अपने गांव से वापस जाने नहीं देंगे। यह देखकर जुलूस में शामिल लोग धरने पर बैठ गए। इसके बाद मुसलमानों ने जुलूस पर पथराव करना शुरू कर दिया और भगदड़ मच गई। इसी मामले में 2 महीने के बाद जुलूस में शामिल अमन कुमार और अजय सिंह को गिरफ्तार कर 13 जून को अदालत में पेश किया गया। न्यायालय ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
अमन की गिरफ्तारी के बाद उनकी मां पूनम देवी ने कहा कि उनका बेटा सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करता रहता है, जिसकी वजह से सनातन विरोधी सरकार को खतरा महसूस हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अमन ने चुनाव के दौरान हजारीबाग, चतरा, दुमका, गोड्डा, रांची सहित कई जिलों में भाजपा का भी सक्रिय तरीके से प्रचार किया था। यही कारण है कि सरकार उससे चिढ़ी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना अब अपराध की श्रेणी में आ चुका है क्या?
अमन की गिरफ्तारी के बाद हिंदू कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। हजारीबाग में कई जगहों पर गिरफ्तारी के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है। गिरफ्तारी के विरोध में हजारीबाग के बड़ा अखाड़ा प्रांगण से बुढ़वा महादेव मंदिर तक एक संकल्प यात्रा निकाली गई। इस दौरान हिंदू कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया कि जब तक अमन जेल से छूटकर बाहर नहीं आते तब तक हम इसी तरह विरोध दर्ज करवाते रहेंगे।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हज़ारीबाग में रामनवमी जुलूस के आयोजकों की गिरफ़्तारी की निंदा की है। उन्होंने कांग्रेस-झामुमो-राजद गठबंधन सरकार पर बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की है । श्री मरांडी ने चेतावनी दी कि अगर रामभक्तों को रिहा नहीं किया गया तो सनातन समाज आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएगा।
पहले भी घट चुकी है इस तरह की घटना
इसी गांव में वर्ष 2018 में रामनवमी के दौरान शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकाला गया था। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय कथावाचक दीदी साध्वी सरस्वती जी के महूदी आने की सूचना थी। साध्वी उस गांव में प्रवेश न कर सकें इसके लिए प्रशासन ने हर प्रकार के हथकंडे अपनाए थे। इस दौरान बजरंग दल के तत्कालीन संयोजक संजय चौबे समेत सैकड़ो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस दौरान यह भी बताया जा रहा था कि कथा वाचक दीदी साध्वी सरस्वती को भी गिरफ्तार किया गया था।
क्यों लगाया गया था प्रतिबंध?
बरकागांव का महूदी मुस्लिम बहुल इलाका है। वर्ष 1984 से पहले तक इस क्षेत्र में जुलूस एवं शोभायात्रा महूदी की विभिन्न गलियों से होकर गुजरता था। इस शोभा यात्रा में आसपास के 84 गांव के राम भक्त शामिल हुआ करते थे। 1984 में ही इसी तरह के एक विवाद के कारण दो हिंदुओं ( कार्तिक महतो और देवल महतो) की मौत हो गई थी। इसके बाद वहां पर किसी भी प्रकार के जुलूस और शोभा यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि इसके बाद भी 5 वर्ष पूर्व 2018 में पूर्व विधायक लोकनाथ महतो के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। इसके बावजूद वहाँ पर हर वर्ष रामनवमी के दौरान प्रशासन द्वारा उक्त मार्ग पर बैरिकेडिंग की जाती है।
इस घटना को देखते हुए यह सवाल उठता है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में हिन्दू भी रहते हैं और भारत का संविधान हर किसी को जुलूस या शोभायात्रा निकालने की अनुमति देता है, तो ऐसे में महुदी के अंदर पिछले 40 वर्षों से रोक क्यों लगाई गई थी ? इसके साथ ही यह भी सवाल उठना स्वाभाविक है कि जुलूस पर पथराव करने वाले को छोड़कर जुलूस निकालने वाले आयोजकों पर कार्रवाई क्यों की गई?
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