एनसीईआरटी ने बहुत बड़ा फैसला लेते हुए 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के सिलेबस में कुछ बदलाव किए हैं। एनसीईआरटी के इस कदम के बाद मुस्लिमों में कोहराम मच गया है। दरअसल, NCERT ने राजनीति विज्ञान की किताबों से बाबरी ढांचे और गुजरात दंगे से जुड़े कुछ कहानियों को बदल दिया है। इसी पर अब बवाल मचा हुआ है।
मुस्लिमों और कुछ सियासी पार्टियों ने इसे इतिहास से छेड़छाड़ करार दिया है। वहीं राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने भी इस मामले में दो टूक कहा है कि हमें छात्रों को दंगों के बारे में पढ़ाना ही क्यों चाहिए?
परिषद के निदेशक दिनेश शकलानी इतिहास के भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। अगर कोई भी चीज अप्रासंगिक है तो उसे बदलना ही होगा। उन्होंने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में जो भी बदलाव किए गए हैं, वो सभी तथ्यों और सबूतों के आधार पर किए गए हैं।
बाबरी और गुजरात दंगों को लेकर किए गए बदलाव के सवाल पर सकलानी कहते हैं कि आखिर हम छात्रों को दंगों की शिक्षा ही क्यों दें। हम इतिहास इसलिए पढ़ाते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी को उसके तथ्यों के बारे में पता चले, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए। कोर्स में बदलाव वैश्विक है औऱ शिक्षा के हित में है।
मुस्लिम मौलाना का चढ़ा पारा
एनसीईआरटी द्वारा किए गए बदलावों से मुस्लिमों में उबाल है। इसी क्रम में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन बरेलवी ने केंद्र सरकार पर इतिहास से छेड़छाड़ करने और इस्लामिक उदय के पाठ्यक्रमों को भी हटा दिया गया है। बरेलवी का दावा है कि इससे पहले मुगल बादशाहों को भी इतिहास के चैप्टर को हटा दिया गया था। मौलवी ने इसे बहुत ही अफशोसनजक घटना करार दिया है।
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