कल बकरीद है। एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष पूर्णिया प्रमंडल में 2 लाख से अधिक जानवरों का कत्ल किया जाएगा। इसमें बकरा, बकरी से लेकर बछड़े तक शामिल हैं। औसतन देखा जाए तो एक जानवर से 2 लीटर खून बहता है और इस प्रकार पूर्णिया प्रमंडल में 4 लाख लीटर खून बहेगा।
हर पंचायत में लगे थे हाट
किशनगंज के वरिष्ठ पत्रकार सुबोध साह के अनुसार पूर्णिया प्रमंडल में कुल 801 ग्राम पंचायतें हैं। पूर्णिया जिले में 226, अररिया में 212, कटिहार में 238 और किशनगंज जिले में 125 ग्राम पंचायतें हैं। अपवाद को छोड़ दें तो किशनगंज के सभी पंचायतें मुस्लिम बहुल हैं। इसी प्रकार कटिहार जिले की 110 से अधिक पंचायतें मुस्लिम बहुल और अररिया की 90 तथा पूर्णिया की भी 80 से 90 पंचायतें मुस्लिम बहुल हैं। बकरीद में मुस्लिम बच्चे के प्रतीक के तौर पर जानवरों की बलि देते हैं। बेजुबान जानवरों को जबह किया जाता है जिसे देखकर छोटे बच्चे तालियां बजाते हैं और इस प्रकार नृशँसता का पाठ यहां से प्रारंभ होता है।
पूर्णिया की 801 में से 370 पंचायतें मुस्लिम बहुल हैं । इन सभी पंचायतों में जानवरों के लिए गत एक सप्ताह से हाट लगे हुए थे। एक पंचायत में अमूमन 300 जानवरों की बिक्री हुई। इसके अलावा मुर्गी जैसे पक्षियों की भी खूब बिक्री हुई है।
शहरी क्षेत्र में इससे बड़े मेले लगे हुए थे। पूर्णिया प्रमंडल में कुल 46 प्रखंड और चार जिले हैं – पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज। पूर्णिया जिले में 14 प्रखंड हैं, अररिया में 9, कटिहार में 16 और किशनगंज में 7 प्रखंड हैं । इन सभी 46 प्रखंडों में बड़े पशुओं के हाट लगे हुए थे। कई प्रखंडों में एक से अधिक पशु हाट लगे हुए थे। इन मेलों ने तो पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सबसे रोचक बात यह है कि इन हाटों में अधिकांश सरकारी तौर पर अधिकृत नहीं थे। इसके अलावा किशनगंज के पोठिया में एबीजेड नाम से मान्यता प्राप्त क़त्लगाह भी है जहां से जानवरों को कत्ल कर निर्यात किया जाता है।
मानकों का नहीं रखा जाता ख्याल
बिहार सरकार ने कत्ल किए जाने वाले जानवरों के बारे में कुछ दिशा निर्देश तय कर रखे हैं। इसमें दुधारू जानवर और अल्प वयस्क जानवरों का कत्ल वर्जित है। इसी प्रकार कत्ल करने के पूर्व सरकारी तौर पर जानवर की जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि जानवर में किसी प्रकार का कोई संक्रमण तो नहीं है। सार्वजनिक स्थलों पर जानवरों का कत्ल करना भी अवैध है लेकिन बिहार में इन मानकों की कोई कद्र नहीं है। यहाँ जमकर इन मानकों की अपेक्षा की जाती है।
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