प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश रक्षा के क्षेत्र में नित नई उंचाइयां छू रहा है। इसी क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस साल के लिए रक्षा निर्यात के लिए लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के तहत 50,000 करोड़ रुपए अधिक के सैन्य निर्यात का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को मेक इन इंडिया के तहत हासिल किया जाएगा।
अगले कुछ सप्ताह में रक्षा मंत्री इंडीजीनियस रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन की गई प्रमुख डिफेंस प्रोडक्शन पहलों और प्रमुख योजनाओं की समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पिछले साल 2023-24 में हुए रक्षा निर्यातों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले साल 21,083 करोड़ रुपए के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया गया था। यह अपने आप में ऐतिहासिक रक्षा निर्यात था। रक्षा मंत्री कहते हैं कि अब हमारा लक्ष्य 2028-29 तक 50,000 करोड़ रुपए से अधिक के रक्षा निर्यात का लक्ष्य होना चाहिए।
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इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने इस बात की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को और अधिक अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित करना ही हमारा लक्ष्य है ताकि वे बड़ी से बड़ी चुनौतियों का आसानी से सामना कर सकें।
हमारा लक्ष्य सुरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूत करना है, जिसमें रक्षा और विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर दिया जाएगा।
पता चला है कि आर्मेनिया, फिलीपीन्स और वियतनाम जैसे देशों को कई प्रमुख देशों को सैन्य निर्यात फिलहाल पाइपलाइन में है। जल्द ही इन रक्षा सौदों पर भी हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। रक्षा मंत्री के मुताबिक, मंत्रालय जल्द ही एक नई रक्षा निर्यात संवर्धन एजेंसी स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है, जो कि विदेशी हथियारों की बिक्री पर ध्यान केंद्रित करेगी। गौरतलब है कि हाल के दिनों में भारत सरकार ने कई देशों को 155 एमएम की तोपें, ब्रम्होस मिसाइलें, मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम और गोला-बारूद का निर्यात किया गया है।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय के लिए रक्षा मंत्री ने आगामी 100 दिनों की कार्ययोजना को तैयार करने के लिए समीक्षा बैठक की है।
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