वामपंथ की कमर लगातार टूट रही है। वामपंथ का गढ़ माना जाने वाला केरल इसका एक जीता-जागता सबूत है। वामपंथी अपने वजूद पर मंडरा रहे खतरे को खुद ही स्वीकार कर रहे हैं। इसी क्रम में CPM के पोलित ब्यूरो के सदस्य ए विजयराघवन ने स्वीकार किया है कि पिछले एक दशक से देश में वाम मोर्चे के अस्तित्व को बड़ा झटका लगा है।
सीपीएम मेंबर ए विजय राघवन शिफा कन्वेंशन सेंटर, पेरिंथलमन्ना में आयोजित सेमिनार ‘ईएमसिन्ते लोकम’ में बोल रहे थे। उसी दौरान उन्होंने इस बात को स्वीकार किया। विजयराघवन ने कहा कि देश की संसद में वाम मोर्चे ताकत लगभग खत्म हो गई है। हम 43 सीटों से घटकर तीन पर आ गए हैं। दूसरी ओर वामपंथियों के प्रभाव में कमी आने का सीधा फायदा भाजपा को हुआ है। भाजपा ने जबरदस्त वृद्धि हासिल की है।
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विजय राघवन के मुताबिक, हालांकि यह एक बड़ी उपलब्धि है कि केरल में लगातार दूसरी बार वामपंथी सरकार सत्ता में है, लेकिन ये सत्य है कि हिन्दू और मुस्लिमों को ये पसंद नहीं है कि वामपंथी सरकार सत्ता में बनी रहे। वामपंथी नेता ने अपने मन को संतोष देते हुए कहा कि दक्षिणपंथियों के दबदबे वाले भारत में यह आंकड़ा भी कम नहीं है।
सीपीएम नेता ने कहा कि वामपंथ को उसके प्रभाव वाले क्षेत्र में खत्म करना ही भारतीय शासक वर्ग का एजेंडा है। वामपंथी ने इस बात को स्वीकार किया कि केरल में वामपंथ के लिए हालात ये हो गए हैं कि यहां भी दक्षिणपंथी विचार हावी हो रहे हैं। इस बात को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। भले ही वामपंथ को लोकसभा इलेक्शन में बड़ी जीत नहीं मिली है, लेकिन फिर भी हम इससे हार नहीं मानेंगे।
संसद के बाहर विरोध का हिस्सा बनें
गौरतलब है कि ए विजयराघवन का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी केवल संसद के सदस्यों से नहीं बनी है, ऐसे में हम लोगों को संसद के बाहर बड़े पैमाने पर प्रतिरोध करना चाहिए। देश की 15 फीसदी वाली मुस्लिम आबादी के संसद में केवल 4 सदस्य हैं। लेकिन, अगर हम कुछ कहते हैं तो इसे मुस्लिम तुष्टिकरण माना जाता है।
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