नई दिल्ली। दिल्ली गंभीर जल संकट से जूझ रही है। लोग पानी को तरस रहे हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कह दिया कि वह टैंकर माफिया पर कार्रवाई नहीं कर सकती है। वहीं, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी अपनी बात से पलट गई। उसने कहा कि वह दिल्ली को 136 क्यूसेक पानी नहीं दे सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों के बीच यमुना जल के बंटवारे से संबंधित मुद्दा एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट के पास फॉर्मूला तय करने की विशेषज्ञता नहीं है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे आज शाम पांच बजे तक अपर यमुना रिवर बोर्ड के समक्ष अपनी मांग रखे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपर यमुना रिवर बोर्ड को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली सरकार का आवेदन मिलने के बाद कल शाम बैठक कर इस मामले को जितना जल्द हो सके सुलझाए। जरूरत पड़ने पर बोर्ड रोजाना बैठक कर सकता है।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसमें उसने कहा है कि वह टैंकर माफिया पर कार्रवाई नहीं कर सकती। वजह यह है कि टैंकर माफिया यमुना के दूसरे किनारे से पानी ले रहे हैं, जो हरियाणा में पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से क्या कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा था कि अगर टैंकर माफिया के खिलाफ आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हम दिल्ली पुलिस को आदेश देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वह यह बताए कि पानी की बर्बादी रोकने को क्या कदम उठाए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश ने वापस लिया बयान
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश की सरकार ने अपना पिछला बयान वापस ले लिया। उसने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उसके पास अतिरिक्त पानी नहीं है। वह 136 क्यूसेक पानी दिल्ली को नहीं दे सकती है।
हरियाणा दे रहा पानी लेकिन दिल्ली में आते ही गायब
हरियाणा तय मात्रा से ज्यादा पानी मूनक नहर में छोड़ रहा है। बवाना आने तक यह पानी 20 प्रतिशत तक कम हो रहा है। अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाइआरबी) के अधिकारियों ने रविवार को दिल्ली एवं हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ मूनक नहर में पानी का निरीक्षण किया था। इस दौरान यह बात निकल कर आई कि हरियाणा उचित मात्रा में पानी दे रहा है लेकिन पूरा पानी दिल्ली पहुंच ही नहीं रहा है। करीब 20 प्रतिशत तक पानी रास्ते में गायब हो जाता है। रविवार को हरियाणा की ओर से 1161 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, लेकिन बवाना 960.78 क्यूसेक पानी ही पहुंचा। हरियाणा को दिल्ली के लिए 1050 क्यूसेक पानी छोड़ना है। लेकिन वह तय सीमा से ज्यादा पानी छोड़ रहा है।
कहां चला गया पानी, यह पता नहीं
अब बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली को पानी कैसे मिलेगा? हिमाचल प्रदेश की सरकार अपनी बात से पीछे हट गई, दिल्ली सरकार टैंकर माफिया पर कार्रवाई नहीं कर सकती। और हरियाणा से आ रहा पानी गायब हो गया है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के मंत्रियों से कहा है कि वे यह पता लगाएं कि यह पानी कहां गायब हो रहा है। उन्होंने आम आदमी पार्टी की सरकार में जल मंत्री आतिशी और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के साथ बैठक की। एलजी सक्सेना ने उनसे कहा कि हरियाणा के रास्ते से जो पानी दिल्ली आ रहा है वह कहां गायब हो रहा है।
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