भारत में इस्लामिक कट्टरपंथ को लगातार बढ़ाने की साजिश की जा रही है। इस मामले इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि ये भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश रची है। पीएफआई ने ताकत का इस्तेमाल करते हुए सरकार को आतंकित करने की कोशिश की है।
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क्या है पूरा मामला
दरअसल, मामला तीन पीएफआई मेंबर का है, जिनका नाम रजी अहमद खान, उनैस उमर खैय्याम पटेल और कय्यूम अब्दुल शेख ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत मिले हैं।
कोर्ट ने इस बात को भी माना कि आरोपी पीएफआई के सदस्य हैं और लगातार देश को तोड़ने की साजिशें रच रहे हैं। पीठ ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस बात के सबूत मिल चुके हैं कि आरोपी व्यक्ति देश के खिलाफ नफरत फैलाने के साथ ही राष्ट्र विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने में शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों का उद्येश्य भारत सरकार के खिलाफ नफरत का माहौल बनाना और उन्हें बांटना चाहते थे। आरोपी भारत सरकार के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में नफरत पैदा करना चाहते थे।
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इसके साथ ही आरोपियों ने मुस्लिमों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भड़काने के लिए कई सारी बैठकें की थीं। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र एटीएस ने पीएफआई के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए UAPA के तहत केस दर्ज किया था।
2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की है साजिश
गौरतलब है कि कुछ साल पहले एनआईए की टीम ने बिहार में पीएफआई के ठिकानों पर छापा मारा था। जिसमें जांच टीम को कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसमें पता चला था कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने बनाने की साजिश रच रहे थे।
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