इस बार भी झारखंड में लोकसभा चुनाव के परिणामों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही छाप दिखी। मोदी का ही प्रभाव रहा कि राज्य में भाजपा आठ सीटों पर विजयी रही। हालांकि 2019 की तुलना में भाजपा को तीन सीटों का नुकसान हुआ है। 2019 में भाजपा को 51 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे, लेकिन इस बार यह प्रतिशत घटकर 44.60 प्रतिशत रह गया है। पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस और झामुमो को ज्यादा वोट मिले हैं। कांग्रेस की सीटें 1 से बढ़कर 2 और झामुमो की सीटें 1 से बढ़कर 3 हो गई हैं।
2019 में कांग्रेस को 15.83 प्रतिशत मत मिले थे,जो इस बार बढ़कर 19.19 प्रतिशत हो गया है। झामुमो का मत प्रतिशत 11.61 से बढ़कर 14.60 प्रतिशत हो गया है। आजसू को पिछली बार 4.39 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि इस बार उसे 2.62 प्रतिशत मत मिले हैं।
जनजाति बहुल 5 सीटों पर भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं जीत पाया। पिछली बार लोहरदगा, खूंटी और दुमका में भाजपा की जीत हुई थी। इस बार ये तीनों सीट भाजपा के हाथ से निकल गई। सिंहभूम और राजमहल में भी भाजपा के प्रत्याशी हार गए। भाजपा ने इस बार छह सीटों पर अपने उम्मीदवार बदले थे। चतरा, दुमका (एसटी), सिंहभूम (एसटी), हजारीबाग, धनबाद, लोहरदगा (एसटी), राजमहल (एसटी) पर उसने नए लोगों को टिकट दिया। इनमें से चतरा, धनबाद और हजारीबाग को छोड़ सभी उम्मीदवार हार गए। खूंटी (एसटी) सीट पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को एक बार फिर से टिकट मिला, लेकिन वे कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से 1,49,675 मतों से हार गए।
अर्जुन मुंडा की हार के कई कारण रहे। सबसे बड़ा कारण रहा चर्च और मिशनरी। पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान जेल की सजा भुगतने वाले चर्च के लोगों की भी इसमें अहम भूमिका रही। पहली बार चर्च ने खुलकर भाजपा के विरोध में प्रचार किया। कई लोगोें ने बताया कि पत्थलगड़ी से जुड़े एक प्रभावशाली पादरी ने सुदूरवर्ती इलाकों में जाकर कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने की लोगों से अपील की। चर्च के लोगों ने यह भी दुष्प्रचार किया कि यदि भाजपा जीत गई तो आरक्षण खत्म कर देगी।
बता दें कि खूंटी वह क्षेत्र है, जहां बड़े पैमाने पर लोभ-लालच और छल-कपट से जनजातियों को ईसाई बनाया गया है। ये सब चर्च के इशारे पर ही हर कार्य करते हैं। मतदान भी इन लोगों ने चर्च के कहने पर कांग्रेस के पक्ष में किया। रांची में भाजपा के संजय सेठ, जमशेदपुर में विद्युत वरण महतो, गोड्डा में निशिकांत दुबे, कोडरमा में अन्नपूर्णा देवी, पलामू में विष्णु दयाल राम और गिरिडीह में आजसू के चंद्र प्रकाश चौधरी ने जीत दर्ज की है। कोडरमा से केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी सबसे ज्यादा 3,77,014 मतों से जीती हैं।
धनबाद में बाघमारा के विधायक ढुलू महतो ने 3,31,583 मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को पराजित किया। गोड्डा से लगातार तीन बार जीत चुके निशिकांत दुबे पर भाजपा ने एक बार फिर भरोसा जताया। निशिकांत ने यह सीट 1,01,813 मतों के अंतर से जीत ली। उन्होंने कांग्रेस के प्रदीप यादव को पराजित किया। हजारीबाग में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का टिकट काटकर विधायक मनीष जायसवाल को मैदान में उतारा था। मनीष जायसवाल ने कांग्रेस जेपी भाई पटेल को 2.76 लाख से अधिक मतों से हरा दिया।
जमशेदपुर में भी दो दोस्तों की लड़ाई थी। झामुमो ने विद्युत वरण महतो के पुराने मित्र समीर मोहंती को मैदान में उतारा था। समीर मोहंती को विद्युत ने 2,59,782 मत से पराजित किया। पलामू में एक बार फिर विष्णु दयाल राम ने अपनी बादशाहत साबित की। उन्होंने राजद प्रत्याशी ममता भुइयां को हराया। इस बार भाजपा ने कांग्रेस की पूर्व सांसद गीता कोड़ा को सिंहभूम (एसटी) से चुनाव लड़वाया। वे झामुमो की जोबा मांझी से हार गईं। भाजपा ने शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को दुमका से चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन वे हार गईं। इस बार कांग्रेस और झामुमो के साथ चर्च ने भी भाजपा को हराने के लिए खुलकर काम किया।
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