देहरादून: चकराता वन विभाग के कोटी कनासर वन कंपाउंड पर कड़ी सुरक्षा में रखे 28 देवदार के स्लीपर चोरी हो गए। मामले में विभागीय अधिकारियों पर अब मिली भगत के आरोप लग रहे हैं।
दरअसल चकराता वन प्रभाग में तकरीबन 10 महीने पहले बड़े पैमाने पर देवदार के पेड़ों के अवैध कटान का घोटाला उजागर हुआ था। विभागीय जांच के दौरान तकरीबन 4000 से अधिक देवदार के स्लीपर अलग-अलग जगह से बरामद हुए थे। यहां तक कि लोगों के घरों, पानी के टैंक, सीवर टैंक आदि जगहों से भी बड़ी संख्या में देवदार के स्लीपर बरामद हुए। वन विभाग ने उस वक्त तकरीबन 17 लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज करते हुए मामले की जाँच शुरू की थी।
शासन के आदेश पर संलिप्त कर्मचारियों पर आरोप लगे और उन्हें सस्पेंड भी किया। लेकिन, आज तक वन विभाग इस मामले की जांच को पूरा नहीं कर सका है। जिसके चलते इस गंभीर मामले में आरोपी आज भी मौज से घूम रहे हैं। वन विभाग ने अवैध कटान घोटाले में जांच के दौरान जप्त किए 4000 से अधिक देवदार के स्लिपरों को चकराता जंगलात चौकी व कोटी कनासर वन कंपाउंड पर जमा किए हुए थे। लेकिन, दो दिन पहले कोटी कनासर वन चौकी से देवदार के 28 स्लीपर चोरी हो गए।
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वन विभाग की नाक के नीचे से हुई इस बड़ी चोरी पर अब विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। चोरी के इस मामले में वन विभाग पर भी मिली भगत के गंभीर आरोप लग रहे हैं। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राम शरण नौटियाल जिन्होंने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था, का कहना है कि वन विभाग के कैंपस से स्लीपर चोरी चले जाने की घटना शर्मनाक है।
वहीं मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में जाने के बाद अब जांच की बात कही जा रही है। लेकिन, वन विभाग की नाक के नीचे हुए इस बड़े घोटाले में बड़े सफेद पोशों को बचाने के चक्कर में विभागीय अधिकारी व कर्मचारी लगातार घोटाले पर घोटाले को जन्म देते जा रहे हैं। वहीं वन कटान मामले में धीमी गति से चल रही जांच में अब 17 लोगों पर किए गए मुकदमों में 15 लोगों की चार्ज शीट कोर्ट में वन विभाग ने भेज दी है दो आरोपीयों की अभी भी जानी बाकी है।
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बहरहाल, अब देखना ये होगा कि चोरी की गई लकड़ी वन विभाग कब तक बरामद कर पाता है और चोरी संलिप्त लोगों पर क्या कार्यवाही करता है, साथ ही देखना होगा कि चर्चित वन कटान घोटाले में कब तक वन विभाग जांच पूरी कर पाता है।
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