राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदा जल संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को जमकर फटकारा। कोर्ट ने कहा कि टैंकर माफिया के खिलाफ उसने क्या कदम उठाए हैं। लोग परेशान हैं। हम हर समाचार चैनल पर इसकी तस्वीरें देख रहे हैं। अगर गर्मियों में पानी की कमी एक बार-बार होने वाली समस्या है, तो पानी की बर्बादी को रोकने के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं। शीर्ष कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर आप टैंकर माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हम दिल्ली पुलिस से उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहेंगे।
बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार इस साल दिल्ली जरूरत हर दिन 32.1 करोड़ गैलन प्रति दिन पानी की कमी से जूझ रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक राज्य को रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है। लेकिन गर्मियों में केवल 96.9 करोड़ गैलन प्रति दिन ही मांग पूरी हो पा रही है। ऐसे में दिल्ली लगातार पानी की कमी से जूझ रही है। दिल्ली की आबादी की तुलना में पानी की सप्लाई पहले से ही कम है। दिल्ली का अपना कोई जल स्रोत भी नहीं है। पानी के दिल्ली उत्तर प्रदेश और हरियाण पर निर्भर है।
हरियाणाने रविवार को मुनक नहर से दिल्ली के लिए 1161 क्यूसेक पानी छोड़ा था। जबकि छोड़ना सिर्फ 1050 क्यूसेक पानी होता है। तय मात्रा से ज्यादा पानी छोड़ा गया, लेकिन कुल 960.78 क्यूसेक पानी ही बवाना तक पहुंच सका। हरियाणा द्वारा छोड़े गए पानी में से 20 प्रतिशत के करीब पानी रास्ते में ही गायब हो गया। याचिका में इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई कि यदि आप लोग पानी की बर्बादी और पानी माफिया को नहीं रोक सकते हैं तो हम इस मामले में दिल्ली पुलिस से कार्रवाई के लिए कहेंगे।
बुधवार को दिल्ली में पानी की कमी हो लेकर न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि इस न्यायालय के सामने झूठे बयान क्यों दिए गए ? हिमाचल प्रदेश से पानी आ रहा है तो दिल्ली में पानी कहां जा रहा है ? यहां इतनी बर्बादी हो रही है, टैंकर माफिया यहां पर सक्रिय है। इस मामले में आपने क्या कदम उठाए हैं।
अब इस मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। बता दें कि बढ़ती गर्मी के बावजूद दिल्ली में जल संकट बरकरार है। दिल्ली सरकार पानी माफिया पर लगाम लगाने में नाकामयाब रही है। दिल्ली सरकार ने अपनी नाकामियों को ठीकरा दूसरों के सिर पर फोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें हरियाणा को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा दिल्ली को छोड़ा गया पानी हरियाणा से छोड़ दे।
वहीं हरियाणा ने रविवार को मुनक नहर से दिल्ली के लिए 1161 क्यूसेक पानी छोड़ा था। जबकि छोड़ना सिर्फ 1050 क्यूसेक पानी होता है। तय मात्रा से ज्यादा पानी छोड़ा गया, लेकिन कुल 960.78 क्यूसेक पानी ही बवाना तक पहुंच सका। हरियाणा द्वारा छोड़े गए पानी में से 20 प्रतिशत के करीब पानी रास्ते में ही गायब हो गया। याचिका में इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई कि यदि आप लोग पानी की बर्बादी और पानी माफिया को नहीं रोक सकते हैं तो हम इस मामले में दिल्ली पुलिस से कार्रवाई के लिए कहेंगे।
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