देहरादून: राज्य में मदरसों की मैपिंग किए जाने के निर्देशों का क्या गंभीरता से पालन नहीं किया जा रहा है? राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो द्वारा राज्य प्रशासन के गुमसुम व्यवहार से संतुष्ट नहीं है।
राज्य में 416 मदरसे पंजीकृत है,जिन्हें सरकार अनुदान दे रही है, कायदे से यहां एनसीईआरटी शैक्षिक पाठ्यक्रम लागू होना चाहिए, मदरसों को चलाने वालों को भवन,मैदान और अन्य मानक पूरे करने चाहिए। आयोग का मानना है कि उत्तराखंड में मदरसे इन मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं, इस लिए राज्य प्रशासन को इनकी मैपिंग करने के लिए निर्देशित किया गया था। कई माह बीत जाने के बाद भी मैपिंग का काम पूरा नहीं किया गया तो आयोग ने सभी जिलों के डीएम को दिल्ली मुख्यालय में तलब कर लिया था जहां तेरह में से बारह जिलों के डीएम ने अपने प्रतिनिधि भेजे, रुद्रप्रयाग के डीएम ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया,जिस पर आयोग ने चीफ सेक्ट्री उत्तराखंड को पत्र लिखा है।
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हरिद्वार जिले में मदरसों में 176 से अधिक हिंदू बच्चों की मौजूदगी पर आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि इस मामले में राज्य सरकार ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। जबकि प्रशासन का कहना है कि इस समस्या का समाधान निकाला जा रहा है। उधर ये भी जानकारी सामने आई है कि राज्य में सैकड़ों की संख्या में अवैध मदरसे भी चल रहे हैं। इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पहले भी कई बार निर्देशित कर चुके हैं कि इनकी जांच पड़ताल की जाए, किंतु शासन प्रशासन के द्वारा इस बारे में गुमसुम व्यवहार अपना लिया जाता रहा है।
दरअसल, इस जांच में ये बात सामने आ जाएगी कि ज्यादातर अवैध मदरसे सरकारी भूमि पर,अवैध निर्माण करके बनाए गए हैं ये किसके संरक्षण में पनपे और चल रहे हैं? इस बात की पोलपटी खुल जाने के भय से ये रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। ये भी जानकारी में आया है कि मदरसों में अध्यनरत बच्चों के साथ हो रहे शोषण और अन्य गतिविधियों के राज भी जांच पड़ताल में सामने आ जायेंगे। बरहाल मदरसों के विषय में अभी भी राज्य प्रशासन की गंभीरता को लेकर सवाल उठ रहे हैं जिनका उत्तर खोजना अभी बाकि है।
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हरिद्वार मदरसे में हिंदू बच्चे
हरिद्वार जिले में 176 हिंदू बच्चों के मदरसों में पढ़ने की खबरे सामने आने पर शुरू की जांच के बाद डीएम हरिद्वार धीराज गर्ब्याल ने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर सभी हिंदू बच्चों के अभिभावकों से शपथ पत्र ले लिए गए हैं, जिनमें ये कहा गया है कि उन्हें यहां बच्चे पढ़ाने में कोई एतराज नहीं है। डीएम ने बताया कि इन मदरसों में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के अनुसार ही पढ़ाई कराई जा रही है, ये मदरसे दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में है, यहां शासन स्तर से नए बेसिक शिक्षा देने के लिए विद्यालय खोले जाने की योजना है।
उन्होंने बताया कि इस बारे में समस्त,जांच आख्या और जानकारी, हमारे प्रतिनिधि के रूप में जिला प्रोविजन अधिकारी द्वारा आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर दे दी गई है। हम इन बच्चों को आरटीई के तहत अन्य स्कूलों में भर्ती कराना चाहते है किंतु स्कूल दूर होने की वजह से उनके अभिभावक इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले में चल रहे मदरसों की मैपिंग का कार्य भी गतिमान है।
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