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अंतरिक्ष यान उड़ाने वाली पहली महिला बनीं सुनीता विलियम्स

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने पिछले दिनों उस समय नया इतिहास रच दिया, जब वह अंतरिक्ष में परीक्षण मिशन पर नए अंतरिक्ष यान को उड़ाने वाली पहली महिला बन गई।

by योगेश कुमार गोयल
Jun 12, 2024, 10:04 am IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक
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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री 58 वर्षीया सुनीता विलियम्स ने 6 जून को उस समय नया इतिहास रच दिया, जब वह अंतरिक्ष में परीक्षण मिशन पर नए अंतरिक्ष यान को उड़ाने वाली पहली महिला बन गई। सुनीता ने 5 जून को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से नासा के अंतरिक्ष यात्री बैरी बुच विल्मोर के साथ बोइंग के ‘स्टारलाइनर’ कैप्सूल पर उड़ान भरी थी, जो लांचिंग के करीब 26 घंटे बाद 6 जून को अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के साथ जुड़ गया था। उसी के साथ वह एक नए चालक दल वाले अंतरिक्ष यान का संचालन और परीक्षण करने वाली पहली महिला बन गई। सुनीता की अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की यह तीसरी यात्रा थी। इससे पहले उन्होंने 2006-2007 और 2012 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अपने मिशन के दौरान एक महिला द्वारा सबसे अधिक सात स्पेस वॉक और 50 घंटे 40 मिनट स्पेस वॉक टाइम का रिकॉर्ड बनाया था। 2012 में वह आईएसएस की दूसरी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष में ट्रायथलॉन पूरा करने वाली पहली महिला बनी थी। उस दौरान उन्होंने भारोत्तोलन मशीन का उपयोग करके वहां तैराकी का अनुकरण किया था और हार्नेस से बंधे हुए ट्रेडमिल पर भी दौड़ी थी। अपने पिछले मिशन के दौरान वह भगवान गणेश की मूर्ति और भगवद् गीता को भी अंतरिक्ष में ले गई थी।

सुनीता के माता-पिता गुजरात के अहमदाबाद में रहते थे, जो सुनीता के जन्म के पहले ही 1958 में अमेरिका के बोस्टन में बस गए थे। 19 सितंबर 1965 को सुनीता विलियम्स का जन्म अमेरिका के ओहियो के क्लीवलैंड में हुआ था। मैसाचुसेट्स से हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने 1987 में संयुक्त राष्ट्र की नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया और फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी 1995 में इंजीनियरिंग प्रबंधन में उन्होंने एम.एस.की डिग्री ली। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में उनका चयन जून 1998 में हुआ था, जिसके बाद अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्होंने कठिन प्रशिक्षण लिया और वह पहली बार वर्ष 2006 में अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में गई। उनके प्रशिक्षण में अभिविन्यास ब्रीफिंग और दौरे, वैज्ञानिक और तकनीकी ब्रीफिंग, शटल और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन प्रणालियों में गहन निर्देश, टी-38 उड़ान प्रशिक्षण के लिए तैयार करने के लिए शारीरिक प्रशिक्षण और ग्राउंड स्कूल, साथ ही साथ पानी तथा जंगल में जीवित रहने की तकनीकें सीखना शामिल था। प्रशिक्षण और मूल्यांकन की अवधि के बाद सुनीता ने अंतरिक्ष स्टेशन में रूसी योगदान पर और पहले अभियान चालक दल के साथ मास्को में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ काम किया। अभियान-1 की वापसी के बाद उन्होंने स्टेशन के रोबोटिक आर्म और फॉलो-ऑन स्पेशल पर्पस डेक्सटेरस मैनिपुलेटर पर रोबोटिक्स शाखा में काम किया। एक एमईईएमओ2 चालक दल के सदस्य के रूप में वह 9 दिनों तक एक्वेरियस आवास में पानी के नीचे भी रही।

अंतरिक्ष यात्री होने के साथ-साथ सुनीता विलियम्स अन्य विधाओं में भी परिपक्व हैं, जो नौसेना पोत चालक, हेलीकॉप्टर पायलट, पेशेवर नौसैनिक, मैराथन धावक भी रही हैं। वह हरियाणा की कल्पना चावला के बाद भारतीय मूल की दूसरी अंतरिक्ष महिला यात्री हैं। कल्पना चावला सहित अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की 2003 में कोलंबिया हादसे में दुखद मृत्यु हो गई थी। उस हादसे के कारण नासा के अंतरिक्ष मिशनों में देरी हुई थी और उसी कारण सुनीता का मिशन भी लंबे समय तक टलता रहा था। आखिरकार वह 2006 में पहली बार अंतरिक्ष जाने में सफल हुई थी। नासा का उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 9 दिसम्बर 2006 को शुरू हुआ था, जब नासा ने एसटीएस-116 के चालक दल के साथ अपना अंतरिक्ष यान छोड़ा था, जो 11 दिसंबर 2006 को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ गया था। सुनीता ने उस मिशन में चालक दल के सदस्य के रूप में फ्लाइट इंजीनियर के रूप में कार्य किया था। अंतरिक्ष यान में सवार होने के दौरान उन्होंने 29 घंटे और 17 मिनट की अतिरिक्त सक्रियता के साथ चार अंतरिक्ष चहलकदमी करके महिलाओं के लिए विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया था, जिसे 2008 में अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन ने कुल पांच अंतरिक्ष चहलकदमी करके तोड़ा था। सुनीता अपने पहले अंतरिक्ष मिशन में चालक दल के सदस्य के रूप में अपना कर्त्तव्य पूरा कर 22 जून 2007 को कैलिफोर्निया के एडवर्ड्स एयरफोर्स बेस पर उतरने के लिए एसटीएस-117 चालक दल के साथ पृथ्वी पर लौट आई थी।

14 जुलाई 2012 को सुनीता ने रूसी सोयुज कमांडर यूरी मालेनचेंको और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के फ्लाइट इंजीनियर अकिहिको होशिदे के साथ कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से प्रक्षेपण किया, जो 17 जुलाई 2012 को नासा के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा। अपने उस दूसरे अंतरिक्ष मिशन के दौरान सुनीता ने परिक्रमा करने वाली प्रयोगशाला में अनुसंधान और अन्वेषण में करीब चार महीने बिताए और अंतरिक्ष में कुल 127 दिन बिताने के बाद वह 18 नवंबर 2012 को कजाकिस्तान में वापस उतरी। अपनी पहली पारी में सुनीता विलियम्स अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में 195 दिनों तक रही थी और उसी के साथ उन्होंने इतने लंबे समय तक अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में रहने का रिकॉर्ड बनाया था। उनसे पहले वह रिकॉर्ड शैनौन ल्यूसिड के नाम दर्ज था, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में 188 दिन 4 घंटे बिताए थे। अपने पहले और दूसरे अंतरिक्ष मिशन में सुनीता कुल 321 दिन 17 घंटे और 15 मिनट तक अंतरिक्ष में रही। उन्होंने न केवल अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रूकने का रिकॉर्ड बनाया था बल्कि 50 घंटे से भी ज्यादा समय तक स्पेस वॉक करने का भी रिकॉर्ड बनाया था और ऐसा करने वाली वह अभी तक की पहली अंतरिक्ष यात्री हैं।

बहरहाल, अपने तीसरे अंतरिक्ष मिशन के दौरान सुनीता ने एक और बेहद महत्वपूर्ण नई उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है। जैसे ही सुनीता अपनी तीसरी यात्रा के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंची, वहां पहुंचते ही उन्होंने नृत्य कर इस उपलब्धि का जश्न मनाते हुए आईएसएस पर सवार सातों अंतरिक्ष यात्रियों को गले लगाया और आईएसएस की पुरानी परंपरा के अनुसार आईएसएस पर पहुंचते ही घंटी बजाकर विलियम्स और विल्मोर का स्वागत किया गया। सुनीता का ‘बोइंग क्रू फ्लाइट टेस्ट’ नामक यह मिशन इसीलिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि सुनीता और विल्मोर ‘स्टारलाइनर’ में उड़ने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री हैं और बोइंग के ‘स्टारलाइनर’ कैप्सूल को डिजाइन करने में सुनीता ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें सात चालक दल बैठ सकते हैं। नासा द्वारा यह मिशन कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के रूप में लांच किया गया, जो अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रेग्युलर क्रू फ्लाइट के मद्देनजर स्टारलाइनर को प्रमाणित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नासा के मुताबिक सुनीता विलियम्स और विल्मोर अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर अपने अभियान जारी रखेंगे और स्टारलाइनर पर उनका मिशन कमर्शियल पार्टनरशिप के माध्यम से अंतरिक्ष तक मानवता की पहुंच का विस्तार करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। नासा हमेशा से ही अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए ‘स्पेसएक्स’ क्रू मॉड्यूल का एक विकल्प चाहता था और बोइंग ‘स्टारलाइनर’ कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के हिस्से के रूप में इसे आकार दे रहा है। नासा का यह मिशन सफल रहने पर यह ‘स्पेसएक्स’ के क्रू ड्रैगन के बाद ‘स्टारलाइनर’ को अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष कक्षा में लैब से लाने और ले जाने वाला दूसरा निजी अंतरिक्ष यान बन जाएगा। जहां तक सुनीता विलियम्स की बात है तो नासा के अलावा सोसायटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलेट्स, सोसायटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स, अमेरिकी हेलीकॉप्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से जुड़ी सुनीता को करीब 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 3 हजार से भी ज्यादा उड़ान घंटों का अनुभव प्राप्त है। सुनीता विलियम्स को भारत सरकार द्वारा 2008 में साइंस और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘पद्म भूषण’ सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

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