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ध्रुवीकरण के बावजूद भाजपा आगे

पूर्वोत्तर में ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं के धु्रवीकरण के बावजूद लोगों ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग गठबंधन पर भरोसा जताया है। इस क्षेत्र में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने 25 में से 16 सीटों पर मुस्लिम-ईसाई ध्रुवीकरण के बावजूद जीत दर्ज की है

by दिब्यकमल बोरदोलोई
Jun 12, 2024, 01:10 pm IST
in अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय
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पूर्वोत्तर में मत-मजहब के आधार पर मतदाताओं के वोटों का ध्रुवीकरण नई चुनौती पेश कर रहे हैं। मुस्लिम-ईसाई ध्रुवीकरण के कारण खासतौर से असम भाजपा व राजग के लिए राह आसान नहीं है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा के नेतृत्व में राजग ने पिछले प्रदर्शन में सुधार करते हुए 11 सीटें जीती हैं।

असम में कांग्रेस ने जिन सीटों पर जीत हासिल की है, वे मुस्लिम बहुल हैं। भाजपा को इस बार 14 में से 9, जबकि असम गण परिषद (अगप) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) को एक-एक सीट मिली है। अगप और यूपीपीएल राजग के घटक हैं। यानी राजग के खाते में 14 में से 11 सीटें आई हैं। पिछली बार भाजपा ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2019 में राजग को 39 प्रतिशत वोट मिले थे, जो इस बार 7 प्रतिशत बढ़कर लगभग 46 प्रतिशत हो गया है।

असम में वोटों के ध्रुवीकरण पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की टिप्पणी प्रदेश के विविध समुदाय के मतदाताओं राज्य के विविध मतदाताओं के बीच भाजपा के नाजुक संतुलन को रेखांकित करता है। जनसाख्यिंकीय परिवर्तन से देसज समुदायों पर बढ़ता खतरा और राजनीतिक स्थिरता का उस पर पड़ने वाले प्रभाव चिंताजनक हैं। इसलिए भाजपा और राजग को मतदाताओं के ध्रुवीकरण के अंतर्निहित कारणों को पर ध्यान देने की जरूरत है।

ईसाई और मुस्लिम समुदायों के समर्थन से पूर्वोत्तर में कांग्रेस का पुनरुत्थान क्षेत्र की राजनीतिक गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। संक्षेप में, पूर्वोत्तर में 2024 के चुनाव परिणाम क्षेत्र की अनूठी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिशीलता को समझने और संबोधित करने के महत्व को रेखांकित करते हैं। पांथिक, जातीय और सांस्कृतिक कारकों के जटिल अंतर्संबंधों को समझने की क्षमता इस विविध और गतिशील क्षेत्र में स्थाई राजनीतिक सफलता प्राप्त करने की कुंजी साबित होगी।

असम में कांग्रेस ने मुस्लिम बहुल धुबरी व नगांव सीट पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने भाजपा के तपन गोगोई को हराकर जोरहाट सीट पर जीत हासिल की है। नगांव सीट पर कांग्रेस के प्रद्युत बोरदोलोई ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की, जबकि धुबरी में कांग्रेस के रकीबुल हुसैन ने एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को हराया। जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री कहते हैं, ‘‘कांग्रेस नेता रकीबुल हुसैन की 10 लाख वोटों से जीत ने राज्य के देसी समुदायों के लिए संभावित खतरे को दर्शाता है। यह मध्य और निचले असम में जनसांख्यिकीय बदलावों को रेखांकित करता है और भविष्य में हमारे अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगाता है?’’ उन्होंने मुस्लिम समुदाय के ‘खतरनाक’ सांप्रदायिक मतदान का भी उल्लेख किया।

मणिपुर, मेघालय व नागालैंड जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में मतदाताओं का ‘हृदय परिवर्तन’ इस तथ्य की ओर रेखांकित करता है कि इस क्षेत्र में पांथिक नेता और सामुदायिक गतिशीलता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मणिपुर में लंबे समय से चली आ रही हिंसा के प्रभाव को भी कमतर नहीं आंका जा सकता। इस कारण राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बहुत बदल गया है।

इसके विपरीत, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में भाजपा का मजबूत प्रदर्शन दर्शाता है कि चुनौतियों के बावजूद कुछ क्षेत्रों में उसे समर्थन मिल रहा है, जिससे पार्टी मजबूत हो रही है। अरुणाचल और त्रिपुरा में बड़ी जीत और सिक्किम में निरंतर प्रभुत्व, इन क्षेत्रों में भाजपा के लचीले और रणनीतिक कौशल को प्रदर्शित करता है। मणिपुर में बीते एक वर्ष से जारी राजनीतिक और सामाजिक अशांति ने निस्संदेह चुनाव परिणामों को प्रभावित किया है। इसके कारण मणिपुर में मतदाताओं के रुख में बदलाव दिखा है।

नागालैंड, मिजोरम, मेघालय जैसे ईसाई बहुल राज्यों और मणिपुर के कुकी और नगा-बहुल पहाड़ी जिलों में भाजपा और राजग के विरुद्ध ईसाइयों और चर्च ने जोरदार प्रचार किया और चुनाव लड़े। बहुसंख्यक हिंदू मैतेई समुदाय ने पहले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन किया था, पर इस बार कांग्रेस के पक्ष में चला गया। इस कारण भाजपा के कब्जे वाली इनर मणिपुर सीट और राजग के घटक नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के कब्जे वाली आउटर मणिपुर सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लंबे समय तक हिंसा ने न सिर्फ मणिपुर, बल्कि क्षेत्र के अन्य ईसाई-बहुल राज्यों में मतदान पैटर्न को बहुत प्रभावित किया है।

असम के मुख्यमंत्री और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के संयोजक हिमंता बिस्व सरमा ने पराजय पर कहा, ‘‘एक खास रिलीजन के नेताओं ने नागालैंड, मणिपुर और मेघालय में भाजपा और राजग के विरुद्ध खुलकर प्रचार किया। इन राज्यों में उस रिलीजन के जबरदस्त अनुयायी हैं। इसी कारण चुनाव परिणाम पर फर्क पड़ा।’’

मेघालय में राजग के घटक और मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को तुरा और शिलांग, दोनों सीटों पर पराजय का सामना करना पड़ा। तुरा सीट पर लंबे समय से संगमा परिवार का गढ़ रहा है। यहां से मुख्यमंत्री की बहन अगाथा संगमा सांसद थीं, लेकिन इस बार वह चुनाव हार गईं और यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। इसी तरह, एनपीपी प्रत्याशी को शिलांग में एक नई क्षेत्रीय पार्टी वॉयस आफ द पीपुल पार्टी (वीओटीपी) ने हराया। यहां भी ईसाई मतदाताओं ने राजग के विरुद्ध निर्णायक भूमिका निभाई।

उधर, नागालैंड में राजग के घटक नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने अपनी सीट गंवा दी। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत में चर्च की भूमिका महत्वपूर्ण रही। हाल के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद ईसाइयों के समर्थन से इस चुनाव में जीत हासिल की है। वहीं, कांग्रेस के पक्ष में धु्रवीकरण वाले मणिपुर, मेघालय और नागालैंड के विपरीत मिजोरम में सत्तारूढ़ जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने जीत हासिल की है। यह जीत ईसाई मतदाताओं के बीच क्षेत्रीय दलों को निरंतर समर्थन को दर्शाता है।

पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में असफलताओं के बावजूद भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में असाधारण प्रदर्शन किया। अरुणाचल विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 60 में से 46 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस पूरी तरह से बाहर हो गई। भाजपा ने दोनों संसदीय सीटें भी बरकरार रखीं। अरुणाचल पश्चिम से किरेन रिजिजू और तापिर गाओ ने अरुणाचल पूर्व में कांग्रेस उम्मीदवारों को हराया। इसी तरह, त्रिपुरा में पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव ने पश्चिम त्रिपुरा से बड़े अंतर से जीत हासिल की, जबकि भाजपा की ही कृति देवीदेब बर्मन ने पूर्वी त्रिपुरा सीट से जीत हासिल की है।

उधर, सिक्किम की एकमात्र संसदीय सीट सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने जीती, जिसने विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल कर राजग के घटक के तौर पर लगातार दूसरी बार सत्ता में आई थी। कुल मिलाकर भाजपा ने पूर्वोत्तर की 25 में से 13 सीटों पर, जबकि इसके सहयोगियों ने 3 सीट पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने 7 और क्षेत्रीय दलों (वीपीपी व एनडीपीपी) ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा की यह जीत पूर्वोत्तर में ईसाई-मुस्लिम मतदाताओं के ध्रुवीकरण किए जाने के बावजूद मिली है।

Topics: हृदय परिवर्तनमजबूत प्रदर्शनईसाई और मुस्लिम समुदायमुस्लिम-ईसाई ध्रुवीकरणChange of heartstrong performanceChristian and Muslim communitiesMuslim-Christian polarisationपाञ्चजन्य विशेष
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