ऊपर दी गई फोटो देखिये। यह फोटो विवेकानंद कैंप की है। यह महिला शायद घर के सारे खाली केन उठा लाई होगी। दो हाथों में पांच केन कैसे लेकर जाएगी, यह पता नहीं। लेकिन, भरने की जल्दी इसलिए कि कहीं पानी खत्म न हो जाए और कल टैंकर आए कि न आए। यह तस्वीर दिल्ली के उस इलाके की है, जिसके पास कई देशों के दूतावास हैं। विवेकानंद कैंप पॉश इलाके चाणक्यपुरी में आता है। यहां से सीएम कार्यालय की दूरी करीब दस किलोमीटर है। सीएम का आवास भी 15 किलोमीटर की जद में आता है। दिल्ली को पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री शराब घोटाले में जेल में बंद हैं। वह कुछ दिनों के लिए जेल से बाहर आए थे, लेकिन चुनावी मौसम के लिए, प्रचार के लिए, वह पंजाब भी गए। लेकिन चुनाव जैसी सक्रियता उन्होंने गर्मी के मौसम के लिए नहीं दिखाई। नतीजा सभी के सामने है। दिल्ली की जनता पानी को लेकर त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है।
यह हाल महज विवेकानंद कैंप का नहीं है। लगभग पूरी दिल्ली इस भीषण गर्मी में दो घूंट पानी के लिए परेशान है। आम आदमी पार्टी के मंत्रियों ने सोमवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की थी। आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि हरियाणा पर्याप्त पानी नहीं दे रहा है। इस पर उपराज्यपाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी से बात की। उन्होंने दोहराया कि दिल्ली को आवंटित हिस्सेदारी के अनुसार पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। गर्मी को देखते हुए हरियाणा की जरूरतों के बावजूद हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है।
हद तो यह हो गई कि मई तक दिल्ली के लिए समर एक्शन प्लान भी नहीं बनाया गया था। दिल्ली के उपराज्यपाल ने सोशल मीडिया के जरिये इस बात की जानकारी साझा की थी। उन्होंने पानी की समस्या के लिए दिल्ली सरकार के मिसमैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया था। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बताया कि दिल्ली के 54 प्रतिशत पानी का हिसाब ही नहीं है। करीब 40 प्रतिशत पानी दिल्ली की जर्जर पाइपलाइन से बर्बाद हो जाता है। इसके लिए उन्होंने पिछले साल ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर सचेत कर दिया था। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार गर्मी का इंतजार कर रही थी कि जब पानी का संकट खड़ा होगा तो काम किया जाएगा।
एक दिन छोड़कर आ रहा पानी
रोहिणी उत्तर के रहने वाले नरेश ने बताया कि उनके यहां एक दिन छोड़कर पानी आ रहा है। इतनी भीषण गर्मी में पानी न होने से काफी परेशानी होती है। किशनगढ़ (वसंत कुंज) के रहने वाले विजयपाल कहते हैं कि पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। महिपाल पुर के अशोक कुमार, कापसहेड़ा के पंकज, बिजवासन से रमेश, आयानगर से विजय , घिटोरनी से धर्मपाल, डेरामंडी से आनंद, छतरपुर से राजेश, फतेहपुर से अरुण कुमार, भाटी माइंस से रमेश, फ्रीडम फाइटर कॉलोनी से सुनील सोढी, चिराग दिल्ली से संजय और बदरपुर से डॉ धर्मवीर बताते हैं कि उनके क्षेत्र में पानी का संकट बना हुआ है।
इन इलाकों में पानी की जबर्दस्त किल्लत
आया नगर, घिटोरनी, जौनापुर गांव, मांडी गांव, भीम बस्ती, शांति कैंप, शंभू कैंप, जवाहर कॉलोनी, डेरा गांव, भाटी कलां, भाटी खुर्द, भाटी माइंस, असोला गांव, फतेहपुर बेरी गांव, चंदन होला और देवली समेत कई गांवों और कॉलोनियों में पेयजल का संकट।
ईस्ट पटेल नगर की पंजाबी बस्ती, नेहरू नगर, गायत्री कॉलोनी में पानी की समस्या है। यहां के लोग पानी भरने के लिए भी दूसरा काम छोड़कर बैठते हैं। टैंकर से पानी भरने के लिए लोगों को सुबह से शाम तक लाइन में लगना पड़ता है। टैंकरों की भी कमी है। पश्चिमी दिल्ली में टैंकर माफिया सक्रिय हैं।
पानी की बड़ी समस्या पूर्वी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली, नई दिल्ली और बाहरी दिल्ली में है। इन इलाकों में कई जगह पानी की पाइप लाइन भी नहीं है। पानी के टैंकर पर निर्भर रहना पड़ता है। इन इलाकों में पहले की तरह टैंकर भेजे जा रहे हैं जबकि पानी की मांग करीब दोगुनी हो चुकी है। ओखला फेज-2 में भी जल संकट है। लोगों को खाली बर्तन लेकर लौटना पड़ता है।
दिल्ली में पानी की जरूरत
दिल्ली आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, दिल्ली में अनुमानित मांग 1,290 एमजीडी है। एक गैलन में 3.47 लीटर पानी होता है। एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में हर व्यक्ति औसतन 60 गैलन पानी का इस्तेमाल करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली में प्रतिदिन 20-30 एमजीडी पानी की कमी हो रही है।
क्या कहते हैं कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 31 मई को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि आज दिल्ली में लोग जान जोखिम में डालकर टैंकरों के पीछे भागते दिख रहे हैं। एसे दृश्यों की कभी कल्पना भी नहीं की गई होगी। सीएम ने 24 घंटे पानी देने का वादा किया था। दिल्ली में पानी की समस्या की सबसे बड़ी वजह यह है कि जो पानी प्रोड्यूस हो रहा है उसके 54 प्रतिशत का हिसाब ही नहीं है। 40 प्रतिशत पानी सप्लाई के दौरान पुरानी और जर्जर पाइप लाइन की वजह से बर्बाद हो जाता है। पिछले दस साल में दिल्ली सरकार द्वारा हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद न तो इन्हें बदला गया और न ही मरम्मत की गई। पर्याप्त पाइप लाइन भी नहीं डाली गई। दुर्भाग्य की बात है कि टैंकर माफिया गरीबों को पानी बेच रहा है। एक तरफ दिल्ली के अमीर इलाकों में औसतन प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 550 लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है, वहीं गांव और कच्ची बस्तियों में करीब औसतन प्रति व्यक्ति 15 लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है।
वजीराबाद को छोड़कर सभी ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। वजीराबाद के बराज का जलाशय पूरी तरह से सिल्टेड है, इसिलये यहां से पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। इसकी क्षमता 250 एमजीडी हुआ करती थी वह अब 16 रह गई है। वर्ष 2013 तक हर साल इसकी सफाई होती थी और गाद निकाली जाती थी। पिछले दस साल में एक बार भी इसकी सफाई नहीं कराई गई। इस मामले में मैंने स्वयं सीएम को पत्र लिखा था। दिल्ली सरकार अपनी हर नाकामी के लिए दूसरे को दोष देने की आदत हो गई है। दिल्ली में पानी की कमी सिर्फ और सिर्फ सरकार के मिसमैनेजमेंट का नतीजा है।
उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा
धूल चेहरे पर थी आईना साफ करता रहा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी दिल्ली सरकार ने ध्यान नहीं दिया
दिल्ली में पानी के संकट के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 10 जून को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई कि दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट के आदेश के बावजूद याचिका की खामियों को दूर नहीं किया। सुनवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश की तरफ से बताया गया कि दिल्ली सरकार की याचिका में त्रुटि थी, जोकि ठीक नहीं की गई। इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि हम आपकी याचिका खारिज कर देंगे। आप मामले पर जल्द सुनवाई को लेकर आए थे और आराम से बैठ गए।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को निर्देश दिया था कि वो 7 जून से हर दिन 137 क्यूसेक पानी दिल्ली को दे। हरियाणा सरकार से कहा था कि वह अपने क्षेत्र में पड़ने वाली नहर से पानी दिल्ली तक पहुंचने में सहयोग करे। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि दिल्ली में पानी की बर्बादी बड़ा मसला है। दिल्ली को दिए जाने वाले पानी में से 52 फीसदी की बर्बादी होती है। टैंकर माफिया सक्रिय हैं और उद्योग पानी की चोरी भी करते हैं।
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