पड़ोसी कंगाल देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की हालत न घर की और न घाट की जैसी है। कर्जे, चंदे की आस में कटोरा लिए एक से दूसरे देश भटकते प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ मौके—बेमौके बीजिंग जाकर अपना दुखड़ा सुनाते और बदले में चंद सिक्के पाते रहे हैं। लेकिन इस बार सुनने में आया है कि शरीफ का कटोरा खाली ही लौटा है। बीजिंग अब पाकिस्तान को लेकर अनमना और बेरुखा हो चला है, उसे उस देश से कोई बहुत ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
प्रधानमंत्री शरीफ की इस बार की चीन यात्रा को लेकर उनके देश में एक बड़ा शिगूफा खड़ा किसा गया था कि इस बार वे चीन में बीआरआई और सीपीईसी पर कोई महत्वपूर्ण सौगात लेकर लौटने वाले हैं, लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं दिखा है। खबर है कि बीजिंग ने जिन्ना के कंगाल देश की कंगाली को कम करने के लिए कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है, कोई नई संधि नहीं की है। इससे विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि शायद राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब पाकिस्तान के हुक्मरानों की ‘काबिलियत’ को समझ चुके हैं और अब उन्हें ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं।
पिछले हफ्ते बीजिंग पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को उम्मीद थी कि शायद उनका वहां जोरदार स्वागत होगा। इस यात्रा को लेकर पाकिस्तान का विदेश विभाग मीडिया के जरिए खूब माहौल बनाने में जुटा था। उम्मीद की जा रही थी कि शरीफ चीन के साथ कोई बड़े समझौते करके लौटेंगे जिनसे आर्थिक लाभ पहुंचेगा। परन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ।
पाकिस्तान को लेकर बीजिंग में अब वह गर्मजोशी नहीं दिख रही है। पाकिस्तान को यह उम्मीद भी थी कि आर्थिक गलियारे को लेकर ही कुछ परियोजनाएं घोषित करके पैसा मिल जाएगा, लेकिन अभी तो उसका भविष्य भी डावांडोल है और बीजिंग की बेल्ट एंड रोड योजना पर संकट है। चीन के 65 अरब डॉलर इसमें फंसे हुए हैं, लेकिन पाकिस्तान के हिस्से में अशांति इसे सांसत में डाले है।
चीन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बैरंग लौटा दिया। हालांकि यह जरूर है कि राजधानी बीजिंग में शरीफ से राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके प्रधानमंत्री सहित कई प्रमुख लोगों ने वार्ता तो की परन्तु सबने शरीफ को किसी नई संधि वगैरह को लेकर टका सा जवाब देकर भेज दिया। दिलचस्प तथ्य यह है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अकेले नहीं गए थे, वे साथ में सेना अध्यक्ष असीम मुनीर को भी ले गए थे। लेकिन ‘आका’ जिनपिंग ने मुनीर को भी कोई मोल न दिया।
पाकिस्तान को लेकर बीजिंग में अब वह गर्मजोशी नहीं दिख रही है। पाकिस्तान को यह उम्मीद भी थी कि आर्थिक गलियारे को लेकर ही कुछ परियोजनाएं घोषित करके पैसा मिल जाएगा, लेकिन अभी तो उसका भविष्य भी डावांडोल है और बीजिंग की बेल्ट एंड रोड योजना पर संकट है। चीन के 65 अरब डॉलर इसमें फंसे हुए हैं, लेकिन पाकिस्तान के हिस्से में अशांति इसे सांसत में डाले है। पाकिस्तान में आतंकी धमकियों के चलते गलियारे का काम मंद हो चुका है। चीन की इसे लेकर नाराजगी जगजाहिर हो चुकी है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ मानते हैं कि अब चीन सीपीईसी परियोजना में और निवेश नहीं करना चाहता। कारण पाकिस्तान की तरफ से शंका बनी रहती है। अभी तक लगा पैसा भी डूबता नजर आ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस परियोजना पर चीन का सिर्फ दिखावा भर रह गया है। चीन चाहता है कि दुनिया इस भ्रम के रहे कि परियोजना पर काम जारी है।
पाकिस्तानी विदेश विभाग और मीडिया ने तो पूरा हौवा खड़ा किया था कि शरीफ बीजिंग से मोटी रकम का आश्वासन लेकर लौटेंगे। लेकिन चीन के दौरे से लौटने के बाद, जो वहां किए कामों की जो जानकारी दी गई उसमें दोनों देशों के दर्ज बयान यही दिखाते हैं कि न कोई समझौता हुआ, न हाथ में कुछ नकद आया।
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