झारखंड टेंडर घोटाले के मामले में जेल की हवा खा रहे झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने आखिरकार मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। इस बात की पुष्टि आलमगीर के बेटे तनवीर आलम ने की है।
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आलमगीर आलम के सचिव के नौकर के घर से 37 करोड़ रुपए से भी अधिक कैश छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त किया था। इसी को लेकर जब मंत्री से पूछताछ की तो जांच एजेंसी के सामने उन्होंने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
मामले की जांच के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी थी कि जिस फ्लैट से 32.2 करोड़ रुपए का भारी भरकम कैश बरामद हुआ था वह जहांगीर आलम के नाम से रजिस्टर्ड था, लेकिन वो कैश आलमगीर आलम से संबंधित है। आलमगीर आलम के निर्देश पर उनके सचिव संजीव कुमार लाल के नौकर ने जहांगीर ने ये कैश इकट्ठे किए थे। बता दें कि आलमगीर आलम झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री थे।
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कौन हैं आलमगीर आलम
गौरतलब है कि झारखंड की राजनीति में आलमगीर आलम एक बड़ा नाम है। झारखंड की पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र से वह कांग्रेस के लगातार चार बार मंत्री रहे और वर्तमान सरकार में संसदीय कार्य और ग्रामीण विकास मंत्रालय संभाल रहे थे। उन्होंने सियासी मैदान में सरपंच के चुनाव में जीत के साथ पदार्पण किया था। उसके बाद से आलमगीर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह प्रदेश के 2006 से 2009 तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। पहली बार वो 2000 में विधायक बने थे। हालांकि, कांग्रेस का हाथ पकड़कर चलने वाले आलमगीर ने 2014 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया। उसके बाद से वह जेएमएम के ही नेता रहे।
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