लोकसभा चुनाव के बाद अब जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। चुनाव आयोग विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान इसी माह कर सकता है। चुनाव आयोग राजनीतिक दलों से कहा है कि वे अपने उम्मीदवारों के लिए सामान्य प्रतीकों का उपयोग करने के लिए अप्लाई करना शुरू कर दें।
रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनावों के दौरान केंद्रशासित प्रदेश में जिस तरीके से वोटिंग परसेंटेज काफी हाई रहा है, उसे देखते हुए चुनाव आयोग चाहता है कि राज्य में इस सकारात्मक माहौल के बीच विधानसभा चुनाव करा लिया जाय। माना जा रहा है कि हो सकता है कि अगस्त के मध्य तक जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव करा लिया जाए।
खास बात ये है कि चुनाव आयोग के मुताबिक, राज्यभर में जो भी राजनीतिक प्रदेश में रजिस्टर्ड तो हैं, लेकिन उन्हें क्षेत्रीय दलों के तौर पर मान्यता नहीं मिली है। लेकिन, वे अब भी एक ही चुना चिन्ह पर अपने उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनावों के दौरान 58.58 फीसदी कुल मतदान और घाटी में 51.05 फीसदी मतदान हुआ था। बीते 3-4 दशकों के बाद पहली बार घाटी में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हुआ है।
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उल्लेखनीय है कि परिसीमन के बाद मतदाता सूची में सुधार हो चुका है। आय़ोग एक बार फिर से संक्षिप्त पनरीक्षण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि परिसीमन के बाद विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं में भी बदलाव किया गया है। ऐसा होने से प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो गई है। इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानि कि POK की 24 सीटें कम हो गई हैं। प्रदेश में माता वैष्णों देवी समेत 90 सीटें शामिल हैं।
गौरतलब है कि साल 2018 में जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया गया था। तब से अब तक नई विधानसभा का गठन नहीं हो सका है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने के बाद केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर तक जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया था। बीते 3 जून को देश के मुख्य चुनाव आय़ोग राजीव कुमार ने 3 जून को कहा था कि जल्द ही कश्मीर में चुनाव कराए जाएंगे।
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