न्यूयॉर्क । संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थायी सदस्य चुन लिया है। पाकिस्तान का कार्यकाल 1 जनवरी 2025 से शुरू होगा और वह अगले दो साल तक यूएनएससी का सदस्य बना रहेगा। इसके साथ ही डेनमार्क, ग्रीस, पनामा और सोमालिया भी अस्थायी सदस्यों के रूप में चुने गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने नए सदस्य देशों का ऐलान करते हुए बताया कि ये देश जापान, इक्वाडोर, माल्टा, मोजाम्बिक और स्विटजरलैंड की जगह लेंगे, जिनकी सदस्यता 31 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रही है।
पाकिस्तान की सदस्यता की आठवीं बार
पाकिस्तान, 1 जनवरी 2025 को एशियाई सीट पर काबिज जापान का स्थान लेगा। यह पाकिस्तान की आठवीं बार सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यता है। पाकिस्तान ने अपनी इस सदस्यता को महत्वपूर्ण अवसर बताया है और अपने लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी दी है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने इस अवसर पर कहा, “देश के चयन से संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। हम वैश्विक शांति और सुरक्षा, विकास और मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करेंगे।”
डेनमार्क, ग्रीस, पनामा और सोमालिया की प्राथमिकताएं
डेनमार्क, ग्रीस, पनामा और सोमालिया भी नए अस्थायी सदस्य के रूप में चुने गए हैं। इन देशों ने अपने-अपने प्राथमिकताओं और लक्ष्यों को रेखांकित किया है। डेनमार्क ने जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता देने की बात कही है, जबकि ग्रीस ने पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर जोर दिया है। पनामा ने लैटिन अमेरिका के मुद्दों और सोमालिया ने अफ्रीका के स्थायित्व और विकास को प्राथमिकता में रखा है।
यूएनएससी की भूमिका और महत्व
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वैश्विक शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें से पांच स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम) हैं, जबकि दस अस्थायी सदस्य होते हैं, जिन्हें महासभा द्वारा दो वर्षों के लिए चुना जाता है।
पाकिस्तान और अन्य नए सदस्यों का चयन वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास में उनके योगदान को और अधिक सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस निर्णय के साथ, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले वर्षों में ये नए सदस्य देश वैश्विक मुद्दों पर किस प्रकार से योगदान देंगे और सुरक्षा परिषद में अपनी भूमिकाओं का निर्वहन करेंगे।
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