इस बार लोकसभा चुनाव के नतीजे कई राज्यों में चौंकाने वाले रहे। जहां कुछ राज्यों में भाजपा की सीटें घटी हैं, वहीं 5 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी ने क्लीन स्वीप किया है। दक्षिण भारत के केरल में पहली बार कमल खिला है। केरल में बीजेपी अब तक किसी भी चुनाव में कोई भी सीट नहीं जीत सकी थी, लेकिन इस बार मलयालम फिल्म स्टार सुरेश गोपी ने त्रिशूर लोकसभा सीट जीतकर भाजपा का खाता खोला है। केरल में सबसे अधिक सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जबकि दूसरे नंबर पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग रही है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कांग्रेस गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का बड़ा सहयोगी है। मुस्लिम लीग को देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की पार्टी से जोड़कर देखा जाता है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ने केरल में इस्लामिक चरमपंथी संगठन इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) को लुभाने की हरसंभव कोशिश की थी। आइए जानते हैं कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच क्या संबंध है।
कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच का संबंध
कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच क्या संबंध है, इसे बताने से पहले हम पिछले वर्ष अमेरिका के 6 दिवसीय दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी द्वारा मुस्लिम लीग पर दिए गए उनके चौंकाने वाले बयान पर बात करेंगे। जिसमें एक कार्यक्रम के दौरान केरल में कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को उन्होंने पूरी तरह सेक्युलर बताया था। केरल में मुस्लिम लीग के साथ कांग्रेस के गठबंधन पर एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा था, “मुस्लिम लीग पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। इसमें गैर-धर्मनिरपेक्ष कुछ भी नहीं है। मुझे लगता है कि व्यक्ति (संवाददाता) ने मुस्लिम लीग का अध्ययन नहीं किया है।” कांग्रेस और IUML ने 2019 के आम चुनाव में गठबंधन किया था। वायनाड में राहुल गांधी के रोड शो के दौरान हजारों मुस्लिम लीग के झंडे भी लहराए गए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग और केरल वाली मुस्लिम लीग एक ही हैं या इनमें कोई अंतर है?
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा बनाई गई पार्टी का पूरा नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (AIML) था। वर्ष 1906 में इसकी नींव ढाका (उस वक्त अखंड भारत का हिस्सा) में पड़ी। ये देश की पहली मुस्लिम राजनीतिक पार्टी थी। जो आजादी की बात करती थी, लेकिन इसके साथ ही मजहब के नाम पर बंटवारा इसका प्रथम उद्देश्य था। जिन्ना ने 1940 में कहा था कि हिंदू-मुस्लिम का एक देश में रहना नामुमकिन है। इसके बाद बंटवारे के खिलाफ रहते कुछ सदस्य पार्टी से टूट गए थे और कांग्रेस से जा मिले थे। इस तरह से देखा जाए तो अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (AIML) भारतीय संघ मुस्लिम लीग (IUML) का मूल संगठन है। पाकिस्तान में मुस्लिम लीग और भारत में भारतीय संघ मुस्लिम लीग ने अखिल भारतीय मुस्लिम लीग का स्थान लिया।
जिन्ना की मौत के बाद पाकिस्तान में फिर से मुस्लिम लीग पार्टी बनी। उसी दौरान पूर्वी पाकिस्तान (अब का बांग्लादेश) में ऑल पाकिस्तान अवामी मुस्लिम लीग तैयार हुई। इसके साथ ही भारत में भी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग बना। मोहम्मद इस्माइल को इसका नेता चुना गया। मुहम्मद इस्माइल वही है, जिसने मुस्लिमों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान बनाने प्रबल समर्थन किया था। यही नहीं देश के बंटवारे में भी मोहम्मद इस्माइल की सक्रिय भूमिका रही थी। जिन्ना की मुस्लिम लीग से लीग के अलग होने के बाद उन्होंने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके बाद ये (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) मेनस्ट्रीम राजनीति में आ गई। पहले लोकसभा चुनाव में इस पार्टी से एक नेता चुनकर लोकसभा में भी गया। राजनीति में अपनी पैठ स्थापित करने के लिए मुस्लिम लीग पहले सीपीआई-एम से भी जुड़ा, लेकिन फिर 1976 में इसने कांग्रेस से गठबंधन कर लिया। तब से लेकर केरल में इसका बोल बाला है। यही कारण है कि केरल में मुस्लिम लीग को कांग्रेस ने अपना सबसे बड़ी सहयोगी दल बनाया है।
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