नई दिल्ली । दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सात दिनों की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
फैसले के समय केजरीवाल के वकील ने केजरीवाल के स्वास्थ्य पर चिंता जताई। जिस पर कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को केजरीवाल के स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक टेस्ट कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर केजरीवाल को किसी भी समय स्वास्थ्य की चिंता हो, तो वे कोर्ट आ सकते हैं। कोर्ट ने एक जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान तर्क-वितर्क
सुनवाई के दौरान ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की ओर से एएसजी (अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल) एसवी राजू ने कहा कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 के तहत अंतरिम जमानत या नियमित जमानत के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस धारा के तहत अंतरिम जमानत और नियमित जमानत याचिका दोनों सुनवाई योग्य नहीं हैं।
राजू ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जैसे संवैधानिक कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 42 के तहत विशेष अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन ट्रायल कोर्ट को इन याचिकाओं पर सुनवाई करने का विशेष अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, केजरीवाल को अंतरिम जमानत के लिए हाई कोर्ट जाना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का तर्क
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी राजू की दलीलों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है, तो क्या ट्रायल कोर्ट उसमें परिवर्तन कर सकता है? मेहता ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने केजरीवाल की याचिका अस्वीकार कर दी थी और उसके बाद वे ट्रायल कोर्ट आए हैं, लेकिन उन्होंने इस तथ्य को छिपाया।
केजरीवाल के वकील का विरोध
मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए केजरीवाल की ओर से पेश वकील एन हरिहरन ने कहा कि सभी आरोप गलत हैं और तथ्यों पर संदेह नहीं किया जा सकता है। याचिका में स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत की मांग की गई है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही नियमित जमानत याचिका दायर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को एक जून तक की अंतरिम जमानत दी थी और दो जून को सरेंडर करने का आदेश दिया था। केजरीवाल ने दो जून को सरेंडर किया, जिसके बाद उन्हें पांच जून तक की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
टिप्पणियाँ