मानसून ने केरल में दस्तक दे दी है। अब आने वाले कुछ दिनों में मानसून देश के अन्य राज्यों में भी पहुंच जाएगा। महाराष्ट्र में 10 जून के आसपास मानसून के आने की संभावना है। महाराष्ट्र में मानसून में घूमने के लिए नासिक सबसे ज्यादा अच्छी जगह मानी जाती है। पर्यटक नासिक के पास में स्थित ऐतिहासिक और खूबसूरत जगहों पर घूमने का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके साथ ही मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। नासिक गोदावरी नदी के तट पर स्थित लोकप्रिय शहर है। हर 12 साल में यहां कुंभ का मेला लगता है। इसका इतिहास रामायण से जुड़ा हुआ है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर नासिक से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। नासिक तक आप कैसे पहुंच सकते हैं। यहां प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं, जहां आप दर्शन के किए जा सकते हैं। आपको दर्शन करने में कितना समय लगेगा। यहां घूमने, रहने, खाने के लिए कौन-कौन सी जगहें हैं और आपका कितना खर्चा आएगा। इसके बारे में हम आपको अपने लेख में बताने जा रहे हैं।
कैसे पहुंचे नासिक
देश के किसी भी हिस्से से आप नासिक तक आना चाहते हैं, तो आपके लिए नासिक रोड स्टेशन नजदीक पड़ेगा। देश के लगभग सभी छोटे-बड़े स्टेशन से आपको यहां तक पहुंचने के लिए ट्रेन आसानी से मिल जाएगी और रेलवे स्टेशन के बाहर से ही आपको पंचवटी पहुंचने के लिए बहुत सारी बसें मिल जाएगी। बाय रोड आने के लिए आप टैक्सी और बस भी ले सकते हैं। यहां से प्राइवेट ट्रैक्सी, बसें और सरकारी एसटी बसें भी चलती हैं, जो आपको तीन से चार घंटे में नासिक पहुंचा देंगी। पंचवटी में रहने के लिए आपको कई यात्री निवास, होटल, धर्मशाला मिल जाएंगे। जहां आपको 300 से 1000 रुपये के बीच में एसी और बिना एसी के रूम आसानी से मिल जाएंगे। होटल में आपको खाने-पीने के साथ पार्किंग की सुविधा भी मिलेगी। यहां के होटल से रामकुंड और पंचवटी कुछ ही दूरी पर हैं, जहां आप ऑटो लेकर पहुंच सकते हैं।
रामकुंड, पंचवटी और तपोवन
नासिक शहर रामायण से जुड़ा एक धार्मिक स्थल है। यहीं से रामायण का दूसरा अध्याय शुरू हुआ था। यहां भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता ने वनवास के दौरान काफी समय व्यतीत किया था। नासिक दर्शन के लिए तीन जगहें बेहद महत्वपूर्ण हैं। रामकुंड, पंचवटी और तपोवन। इन जगहों पर आपको प्रमुख मंदिरों के साथ और भी कई मंदिर मिलेंगे। रामकुंड दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी नदी के घाट पर है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम वनवास के दौरान इस घाट पर स्नान किया करते थे। आमतौर पर यहां आने वाले श्रद्धालु पहले इस घाट पर स्नान करते हैं फिर अपने नासिक दर्शन की यात्रा शुरू करते हैं। यहीं पर तीनों नदियों अरूणा, वरूणा और गोदावरी का संगम स्थल होने के कारण इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है।
गंगा गोदावरी का अनोखा मंदिर
रामकुंड में ही आपको गंगा गोदावरी का एक अनोखा मंदिर मिलेगा, जो कि हर 12 साल में एक बार बृहस्पति के सिंह राशि में प्रवेश करने पर खुलता है और उस पूरे साल खुला रहता है।
कपालेश्वर महादेव मंदिर
गोदावरी नदी के तट पर बना प्रसिद्ध कपालेश्वर महादेव मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां उनके वाहन नंदी मंदिर में स्थापित नहीं है। पौराणिक हिंदू कथाओं के अनुसार कपालेश्वर महादेव मंदिर में एक समय भगवान शिवजी ने निवास किया था। उस समय ब्रह्मदेव के पांच मुख थे। चार मुख से वे वेदोच्चारण करते थे और पांचवें से निंदा। निंदा वाले मुख से नाराज होकर भगवान शिव ने ब्रह्माजी के शरीर से उसे अलग कर दिया था, जिसके कारण उन पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। एक बछड़े ने उन्हें इस ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति का उपाय बताया था। वह बछड़ा कोई और नहीं बल्कि नंदी थे। नंदी के कारण ही शिवजी की ब्रह्म हत्या से मुक्ति हुई थी। सावन के महीने में इस मंदिर में अधिक भीड़ होने के कारण दर्शन में समय लगता है। वहीं अगर आप किसी और महीने में यहां आ रहे हैं, तो 15 से 20 मिनट में दर्शन कर सकते हैं।
सीता गुफा
कपालेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के बाद आप कुछ ही समय में पंचवटी पहुंच सकते हैं। कपालेश्वर मंदिर से पंचवटी 400 मीटर की दूरी पर है। यहां पर आपको सबसे पहले गोरेराम मंदिर मिलेगा। यहां पर भी आप जरूर दर्शन करिएगा। इसके बाद आपको 200 मीटर की दूरी पर सीता गुफा मिलेगी। यहां पर बरगद के पांच बहुत ही पुराने पेड़ दिखाई देंगे। ये पेड़ आपस में जुड़े हुए है। ऐसा कहा जाता है कि वनवास के दौरान माता सीता ने इसी गुफा में सबसे ज्यादा भगवान शिव की आराधना और तपस्या की थी।
त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग
नासिक रोड स्टेशन के बाहर से ही आपको त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग के लिए ग्रीन सीएनजी बसें मिलेंगी। इसके अलावा यहां से प्राइवेट बसें और ऑटो भी चलते हैं। अगर आप त्र्यम्बकेश्वर में ही रूककर भगवान शिव के दर्शन करना चाहते हैं, तो यहां आपको 300 से 1000 रुपये के बीच में होटल और धर्मशाला मिल जाएंगे। त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने के लिए सावन का समय सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस माह में भगवान शिव की पूजा करना और दर्शन करना शुभ होता है। इस दौरान ज्यादा भीड़ होने के कारण आप वीआईपी एंट्री के पास भी ले सकते हैं। यहां आप सुबह 5 बजे से लेकर रात 8 बजे के बीच दर्शन के लिए जा सकते हैं। मुकुट दर्शन के लिए सोमवार को शाम 4 बजे से 5 बजे के बीच जा सकते हैं।
अंजनेरी हिल्स
त्र्यंबकेश्वर से 10 किमी की चढ़ाई पर अंजनेरी हिल्स स्थित है। इस स्थान को भगवान हनुमान का जन्मस्थान माना जाता है। साथ ही यहां पर अंजनी माता का भी मंदिर स्थित है। यह मंदिर 4,200 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है और वहां पहुंचने के लिए तीन पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता है। यहां आने पर आपको अध्यात्म की एक नई अनुभूति होगी।
रतनवाड़ी
रतनवाड़ी नासिक के पास ही स्थित एक खूबसूरत जगह है। जून-जुलाई में यहां का मौसम काफी सुहावना रहता है। इस समय बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर घूमने के लिए पहुंचते हैं। यहां के प्राकृतिक दृश्य, पहाड़ और चारों ओर हरियाली ही हरियाली है जो आपका मन मोह लेगी। यहां आप आर्थर झील और रतनगढ़ फोर्ट जैसी जगहों पर घूमने के लिए जा सकते हैं।
तो देर किस बात की है। आप भी इस मानसून में नासिक घूमने का प्लान जरूर बनाएं और यहां की खूबसूरत जगहों का लुत्फ उठाएं।
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