बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मॉन्ट्रियल यूथ स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन से जुड़े हैं। उनका कहना है कि 300 से ज्यादा ऐसे स्नातक छात्र हैं जिनके वर्क परमिट खत्म होने में बस एकाध महीना ही बचा है। लेकिन बहुत से ऐसे भारतीय छात्र हैं जो यहीं रहने का मन बना चुके हैं। उनके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।
कनाडा में सरकार ने प्रवासन नीतियों में बदलाव किया है। इस बदलाव को लेकर वहां बड़ी संख्या में पढ़ रहे दूसरे देशों के छात्र, विशेषकर भारतीय छात्रों में चिंता बढ़ गई है। उन्हें लग रहा है कि शायद अब उन्हें कनाडा से निकलना पड़ सकता है।
नीतियों में ये बदलाव कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में देखने में आया है। वहां सरकार ने अप्रवासन के कायदे बदले हैं और इस बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव भारत के उन छात्रों पर पड़ने की आशंका बढ़ गई है, जो वहां रहकर पढ़ाई पूरी करने के बाद काम पर लगे हुए हैं। कायदे ऐसे बना दिए गए है कि शायद अब वे उस देश में ज्यादा न टिक पाएं।
नए नियमों के विरोध में दूसरे देशों के छात्र, जिनमें भारतीय छात्रों की अच्छी—खासी संख्या है, भूख हड़ताल तक करने को मजबूर हो गए हैं। ऐसा प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में देखने में आया है जहां बड़ी संख्या में भारत से वहां पढ़ने गए छात्र भूख हड़ताल कर रहे हैं।
कनाडा का यह प्रांत प्रिंस एडवर्ड आइलैंड के पूर्वी तट पर है। दूसरे देशों के छात्रों का एकजुट होकर नए नियमों के विरुद्ध चल रहा विरोध प्रदर्शन वहां सुर्खियों में छाया हुआ है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि इन नियमों के लागू होने से उनके आने वाले कल की तमाम उम्मीदें धरी रह जाएंगी, बहुत संभव है कि उन्हें उस देश से निकलना पड़े।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड के प्रशासन ने पिछले दिनों अपने प्रांत के नामांकित कार्यक्रम में फेरबदल की है। उस प्रांत की सरकार ने तय किया है कि साल 2024 में उक्त कार्यक्रम के अंतर्गत स्थायी रूप से बसने वाले नामांकित लोगों की संख्या 25 फीसदी कम करने का फेसला कर लिया है। यही एक कार्यक्रम है जिसके माध्यम से कनाडा में हमेशा के लिए बसने का प्रबंध होता था। लेकिन अब इसमें कटौती का सीधा असर उन भारतीय तथा अन्य देशों के छात्रों पर पड़ना तय माना जा रहा है, जो किसी नौकरी में लग कर वहीं बसना चाहते थे। इस नए नियम के विरुद्ध वहां पिछले लगभग 20—22 दिनों से छात्र विरोध जता रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन जब कोई सुनवाई होती नहीं दिखी तो छात्रों को भूख हड़ताल ही एकमात्र रास्ता सूझा और गत 28 मई से वे भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
प्रिंस एडवर्ड आइलैंड की सरकार ने इस बदलाव के पीछे वजह स्वास्थ्य सेवाओं पर असर और बसने के लिए घरों की कमी को बताया है। नए नियम गत फरवरी माह में घोषित किए गए थे। अब इनसे होगा ये कि दूसरे देशों के जो छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद ‘वर्क परमिट’ लेकर रीटेल, खानपान और होटल या रेस्तरां में काम कर रहे थे उनके परमिट खत्म होने पर उनके पास देश से जाने के अलावा शायद और कोई चारा नहीं बचेगा। यही भारतीय छात्रों के चिंता का विषय है क्यों कि इन सेवाओं में उनकी संख्या सबसे ज्यादा है।
बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मॉन्ट्रियल यूथ स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन से जुड़े हैं। उनका कहना है कि 300 से ज्यादा ऐसे स्नातक छात्र हैं जिनके वर्क परमिट खत्म होने में बस एकाध महीना ही बचा है। लेकिन बहुत से ऐसे भारतीय छात्र हैं जो यहीं रहने का मन बना चुके हैं। उनके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।
अचानक नियमों में आए इस बदलाव से छात्र सच में परेशान हैं। अब उनकी प्रमुख मांगें यही हैं कि नियमों में बदलाव से पहले से जो छात्र कनाडा में वर्क परमिट के तहत काम करते आ रहे हैं, उन्हें पहले जैसे बसने की इजाजत दी जाए। उनकी दूसरी मांग है कि प्वाइंट व्यवस्था के तहत विभिन्न सेवाओं को जोड़ा जाए जिससे 25 साल से कम उम्र वालों के लिए वर्क परमिट पाना आसान हो और जिनके पास पहले से वर्क परमिट है, उसकी मियाद बढ़ाई जाए। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि अगर ये मांगें नहीं मानी जातीं तो विरोध प्रदर्शन और तीव्र किए जाएंगे।
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