उत्तराखंड : एक नहीं, अनेक कारणों से लग रही या लगाई जा रही है जंगल में आग..!
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उत्तराखंड : एक नहीं, अनेक कारणों से लग रही या लगाई जा रही है जंगल में आग..!

नगर परिषद, ग्राम सभाओं की कूड़ा एजेंसियां भी लगा रही हैं जंगल में आग

by दिनेश मानसेरा
May 5, 2024, 11:52 am IST
in उत्तराखंड
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उत्तराखंड ब्यूरो / देहरादून । इस साल तेज गर्मी में पहाड़ के जंगल की आग ने कोहराम सा मचाया हुआ है। उत्तराखंड वन विभाग और समस्त सरकारी मशीनरी इस वनाग्नि की आपदा पर बेबस से दिखाई दे रहे है और बारिश भरोसे आग के बुझने का इंतजार कर रहे है।

इस साल आग ज्यादा क्यों लग रही है ? इस बारे में कुछ नए कारण सामने आए है। जानकारी के मुताबिक पहाड़ के शहर कस्बों और ग्राम सभाओं में कूड़े को एकत्र करने और उनका निस्तारण करने का काम नगर परिषदों जिला परिषदों ने निजी एजेंसियों को दिया हुआ है। ये एजेंसियां कूड़ा उठा कर पहाड़ की खाईयो  में फेंक कर उनमें आग लगा दे रही है। कागज पन्नी में लगी उड़ कर जंगलों तक पहुंच रही है जिस कारण आग की घटनाएं इस बार पहाड़ो में ज्यादा हुई है।

पहाड़ो में आग किसी रगड़ से नही लगती बल्कि मानव जनित होती है। यानि आग लगती नही लगाई जाती है। पहले कहते थे कि जंगल में बीड़ी सिगरेट के फेंके जाने से पिरुल या सूखे पत्तो से आग लगती थी, लेकिन अब आग तो कूड़े पर खुद एजेंसियां लगा रही है।

पूर्व में पेड़ो से बिरोजा लीसा निकालने वाले तस्कर भी जंगल में आग लगाते थे ताकि उनके पेड़ गिनती में न आएं।

ये भी बताया जाता था कि लोग जानवरो के नई हरी घास की लालच में चीड़ साल के जंगल में जमीनी आग लगा देते थे।

ये भी कहा जाता था कि वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारी भी अपनी वन संपदा की चोरी छिपाने के लिए खुद भी आग लगवाते थे। ऐसे कई कारण थे जिसकी वजह से पहाड़ के जंगल धधकते थे।

आग बुझाने के लिए वन विभाग हर साल सात से दस हजार लोगो को फायर वाचर के रूप में रखता है। बताया जाता है कि ये संख्या कागजी होती है और मौके पर आग बुझाने वाले श्रमिक एक चौथाई भी नहीं होते है।

वन विभाग को हर साल पहाड़ की आग का खतरा अप्रैल और मई में होता है।इसके पीछे कारण फरवरी  मार्च  माह में होने वाले पतझड़ रहता है। पेड़ो से गिरे इन सूखे पत्तो को एकत्र करने और उन्हे एक गड्डे में डाल कर जला देने की प्रकिया अपनाई  जाती है।

वन विभाग की लापरवाही से ये प्रक्रिया जब जब देरी से शुरू हुई उस साल आग की घटनाएं ज्यादा हुई है।

वन विभाग में अधिकारी अब फील्ड में कम जाते है उन्होंने पहाड़ की आग या वन संपदा के जलने चोरी होने की घटनाओं को रोजमर्रा की प्रक्रिया मान लिया है।

क्या कहते है फॉरेस्ट चीफ

उत्तराखंड फॉरेस्ट के पीसीसीएफ (हॉफ )डा धनंजय मोहन का कहना है कि इस बार आग की घटनाएं बढ़ने के कुछ नए कारण भी सामने आ रहे है इसकी रिपोर्ट मंगाई है,फिलहाल हमारी प्राथमिकता एक हफ्ते में फायर कंट्रोल करने की है, इसके लिए मुख्यालय के अधिकारियों को भी फील्ड में भेज दिया गया है। शासन प्रशासन से भी मदद ली जा रही है, आग प्रभावित क्षेत्रों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों से भी सहयोग मिल रहा है।उन्होंने बताया कि अबतक 360 केस,मानवजनित आगजनी के दर्ज किए गए है। इनमे 63 लोग नामजद है।अभी तक 886 आग की घटनाएं दर्ज हुई है और 1107 हैक्टेयर फॉरेस्ट आग से प्रभावित हुआ है।

अब तक चार की मौत

जंगल में लगी आग को बुझाने के प्रयासों में अभी तक चार लोगो की मौत हो चुकी है ये सभी एक ही परिवार के है और लीसा दोहन करने वाले नेपाली मजदूर बताए गए है , आग से झुलसने से  चार लोग घायल है।जिनका उपचार अल्मोड़ा और हल्द्वानी में चल रहा है।

सोशल मीडिया पर आग की पोस्ट वायरल, तीन युवक गिरफ्तार, अब तक अस्सी से ज्यादा गिरफ्तार

चमोली जिले में तीन युवकों को जंगल में आग लगाने कर वीडियो वायरल करने के आरोप में वन विभाग ने गिरफ्तार कर पुलिस को सौंप दिया है। गैरसैंण में इन युवकों सलमान,ब्रजेश और सुखलाल को पुलिस की मदद से पकड़ा गया है।

Topics: uttarakhand newsउत्तराखंड समाचारउत्तराखंड में आगfire in uttarakhandजंगलों में आग के कारणcauses of forest fire
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