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RBI ने वापस लिया अपना 100 टन सोना, एक ही झटके में कंगाल हुआ ब्रिटेन..!

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SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में ब्रिटेन से 100 टन सोना भारत में स्थानांतरित किया है, जो कि 1991 के बाद से सबसे बड़ी सोने की वापसी है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसे देश की वित्तीय स्थिरता को सुदृढ़ करने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1991 में, भारत को विदेशी मुद्रा संकट का सामना करना पड़ा था, जिसके चलते सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सहायता प्राप्त करने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। उस समय, यह फैसला आर्थिक संकट से निपटने के लिए आवश्यक था। अब, तीन दशकों के बाद, इस बड़े पैमाने पर सोने की वापसी ने देश की आर्थिक प्रगति को दर्शाया है।

मार्च 2024 के आंकड़े

मार्च 2024 तक आरबीआई के पास कुल 822.1 टन सोने का भंडार था, जिसमें से 413.8 टन विदेशों में जमा था। यह सोना विभिन्न विदेशी बैंकों और भंडारण सुविधाओं में रखा गया था, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय लेनदेन को सुगम बनाया जा सके।

वापसी की प्रक्रिया

आरबीआई ने इस वापसी प्रक्रिया को अत्यंत सावधानीपूर्वक और योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया। 100 टन सोने की यह वापसी न केवल देश की संपत्ति को सुरक्षित बनाने का कदम है, बल्कि यह देश की बढ़ती आर्थिक शक्ति का प्रतीक भी है। यह सोना अब भारत में सुरक्षित भंडारण स्थानों पर रखा जाएगा, जहां इसे देश की वित्तीय स्थिरता को सुदृढ़ करने के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

आर्थिक महत्व

विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था को कई लाभ मिलेंगे। सोने का घरेलू भंडार बढ़ने से आरबीआई की स्वायत्तता और लचीलापन बढ़ेगा। इसके अलावा, यह कदम अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय रुपये की स्थिति को भी मजबूत करेगा। सोने का भंडार बढ़ने से निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।

भविष्य की योजना

आरबीआई का यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को ध्यान में रखकर उठाया गया है। देश की आर्थिक नीतियों को स्थिर और मजबूत बनाने के लिए आरबीआई लगातार प्रयासरत है। आने वाले समय में भी ऐसी और योजनाएं लागू की जा सकती हैं, जिससे देश की वित्तीय स्थिरता और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित हो सके। यह कदम न केवल भारत की आर्थिक प्रगति को दर्शाता है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत का प्रतीक भी है। भविष्य में, ऐसे और कदम उठाए जाने की संभावना है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिल सकेगी।

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