मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के ASI सर्वे के 70 दिन पूरे हो चुके हैं। जैसे-जैसे सर्वे का काम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सनातन धर्म की छाप खुलकर सामने आ रही है। 70वें दिन के सर्वे में जांच दल को भोजशाला के उत्तरी हिस्से में खंभे के अवशेष मिले हैं।
अब तक गर्भगृह, यज्ञ कुंड के दक्षिणी हिस्से और बिल्डिंग के उत्तरी हिस्से से भी मिट्टी हटाई गई है। भोजशाला के गर्भगृह से प्राचीन भित्ति चित्र भी मिले हैं, जिनकी क्लीनिंग करने के बाद उनकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई है। सर्वे टीम को एक खंभे का पुराना टुकड़ा भी मिला ही, जिसका साइज 2 बाय 2 का है।
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उल्लेखनीय है कि इससे पहले 55वें दिन के सर्वे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को स्तंभों और दीवारों पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, परशुराम, शिव और हनुमान की आकृतियां उभरी हुई मिलीं थीं। विशेषज्ञों द्वारा जब स्तंभों और दीवारों की क्लीनिंग के बाद ये आकृतियां अब साफ नजर आने लगी थीं। गर्भगृह के ठीक सामने एक स्तंभ पर भगवान राम-कृष्ण, परशुराम, और भगवान शिव की आकृति एक ही स्तंभ पर दिखी थी।
4 जुलाई को कोर्ट में सबमिट करनी रिपोर्ट
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के के इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद बीते दो माह से एएसआई लगातार भोजशाला का सर्वे कर रही है। एक बार सर्वे का वक्त खत्म हाई कोर्ट ने एएसआई को अतिरिक्त 4 सप्ताह का वक्त दिया था। अब 4 जुलाई को जांच एजेंसी को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी है।
भोजशाला ही है सरस्वती मंदिर
भोजशाला ही ‘सरस्वती मंदिर’ था। इस बात का दावा पूर्व पुरातत्वविद के के मुहम्मद ने बीते दिनों किया था। उनका कहना था कि भोजशाला, जिसे मुस्लिम पक्ष ‘कमल मस्जिद’ असल में वो कोई मस्जिद नहीं, बल्कि सरस्वती मंदिर था। लेकिन बाद में इस्लामवादियों ने इस्लामी इबादतगाह में बदल दिया।
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केके मुहम्मद का कहना था कि धार स्थित भोजशाला के बारे में ये ऐतिहासिक तथ्य है कि ये सरस्वती मंदिर ही था। बाद में इसे मस्जिद बनाया गया। उल्लेखनीय है कि हिन्दू समुदाय लगातार ये दावा करता आ रहा है कि यहां पर कोई मस्जिद कभी थी ही नहीं, बल्कि ये मां सरस्वती का मंदिर था।
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