रामपुर। समाजवादी पार्टी के महासचिव आजम खां के जेल से बाहर आने की संभावनाओं पर नया कानूनी ब्रेक लग गया है। रामपुर कोर्ट ने सपा सरकार में जनता पर किए गए जुल्म के एक और मामले में आजम खां को 10 साल की सजा और 14 लाख के अर्थदंड का फैसला सुनाया है। अत्याचार में आजम का भागीदार रहा बरेली का बरकत अली ठेकेदार भी दोषी करार दिया गया है। आजम खां के खिलाफ 108 केस दर्ज चल रहे हैं, जिनमें से 17 महीने के अंदर 6 मामलों में उनको सजा हो चुकी है।
एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) के न्यायाधीश डॉ. विजय कुमार ने सीतापपुर जेल में बंद चल रहे पूर्व मंत्री आजम खां और बरकत अली ठेकेदार को एक दिन पहले दोषी करार दिया था। सजा पर फैसला आज आया है। जेल से ही वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उनकी पेशी हुई थी। आज़म खान पर डूंगरपुर बस्ती को जबरन खाली कराने, मारपीट तोड़फोड़, लूटपाट, व धमकाने का आरोप था। मामला 6 दिसम्बर 2016 का है, जब यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी और आजम खां कैबिनेट मंत्री थे।
शासकीय अधिवक्ता शिव प्रकाश पांडेय ने मीडिया को जानकारी दी है कि जबरन घर खाली करवाकर उन्हें ध्वस्त कराने के मामले में कोर्ट ने आजम को दोषी माना। सपा शासनकाल में रामपुर के डूंगरपुर इलाके में आसरा आवास बनाए गए थे। पहले से ही मौके पर लोग मकान बनाकर रह रहे थे, जिनको जबरन उजाड़ दिया गया था। सरकारी जमीन पर बताकर 2016 में मकान तोड़ दिए गए थे। पीड़ितों ने लूटपाट का आरोप भी लगाया था। 2017 में जब यूपी में बीजेपी सरकार बनी तो उसके बाद पहली बार रामपुर के गंज थाने में जनता की सुनी गई। इस मामले में करीब एक दर्जन अलग-अलग केस दर्ज कराए गए थे।
पीड़ितों का कहना था कि तत्कालीन मंत्री आजम खां के इशारे पर पुलिस और समाजवादी कार्यकर्ताओं ने उनके घरों को जबरन खाली कराया था। पहले से बने मकानों को बुलडोजर चलवाकर ध्वस्त कर दिया गया था। डूंगरपुर मामले में 12 मुकदमें दर्ज किए गए थे। आजम खां के खिलाफ दर्जनों आपराधिक केस दर्ज चल रहे हैं, जिनमें डेढ़ साल के अंदर छह मामलों में उन्हें कोर्ट सजा सुना चुका है। आजम खां के साथ उनका बेटा अब्दुल्ला आजम भी जेल में बंद हैं। पत्नी तंजीन फातिमा लंबे समय जेल में बंद रहने के बाद एक दिन पहले ही जमानत पर बाहर आई हैं।
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