नई दिल्ली । दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 6 जुलाई तक बढ़ा दिया है। आज सिसोदिया की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त हो रही थी, जिसके चलते उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 15 मई को सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 27 मई तक बढ़ाया था, जो आज खत्म हो रही थी।
यह मामला तब शुरू हुआ जब सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया। इसके बाद, ईडी ने भी 9 मार्च 2023 को तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया।
इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी फंसे हुए हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को एक जून तक की अंतरिम जमानत दी थी। केजरीवाल ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में नियमित जमानत के लिए याचिका दायर की है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 मई को मनीष सिसोदिया की सीबीआई और ईडी के मामलों में दायर दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सिसोदिया ने अपने पद का दुरुपयोग किया था और उनकी याचिका केवल इस आधार पर दायर की गई थी कि ट्रायल में देरी हो रही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभियोजन की ओर से ट्रायल में कोई देरी नहीं की जा रही है, बल्कि आरोपियों की ओर से दायर की गई अनेक याचिकाओं के कारण देरी हो रही है।
मामले की पृष्ठभूमि
दिल्ली आबकारी घोटाला उस समय उजागर हुआ जब जांच एजेंसियों ने आरोप लगाया कि सिसोदिया और अन्य अधिकारियों ने शराब नीति के कार्यान्वयन में अनियमितताएं की थीं। आरोप है कि इस नीति के माध्यम से निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया और सरकार को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान हुआ।
अदालती कार्रवाई
सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से ही उनकी जमानत याचिकाओं पर लगातार सुनवाई हो रही है। पिछली सुनवाई में, हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि सिसोदिया की हरकतें और पद का दुरुपयोग करने के आरोप गंभीर हैं और इस मामले में विस्तृत जांच की आवश्यकता है।
आगे की राह
सिसोदिया की न्यायिक हिरासत बढ़ने के बाद अब अगले कुछ सप्ताह उनके लिए महत्वपूर्ण होंगे। कोर्ट की आगामी सुनवाई में यह देखा जाएगा कि सिसोदिया और उनके वकील किस प्रकार से अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत करते हैं और क्या न्यायालय उन्हें जमानत देने पर विचार करेगा।
दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत बढ़ने से यह साफ है कि जांच एजेंसियां और न्यायालय इस मामले में किसी भी प्रकार की ढील देने के पक्ष में नहीं हैं। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मची रहेगी।
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