Ayodhya: नौतपा के चलते भगवान राम लला के भोग और परिधान में बदलाव, कूलर लगा
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Ayodhya: नौतपा के चलते भगवान राम लला के भोग और परिधान में बदलाव, कूलर लगा

मंदिर प्रशासन और पुजारियों के लगातार संपर्क में रहते हुए और विचार विमर्श में पश्चात ही या पोशाक डिज़ाइन होता है। जिस में दिन के रंगों और मौसम का उचित ध्यान रखा जाता है।

by सुनील राय
May 30, 2024, 12:13 pm IST
in उत्तर प्रदेश
Sree Ram lala nautapa
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अयोध्या। नौतपा (नौ दिन की तपन) को देखते हुए प्रभु श्री रामलला सरकार के पहनावे में बदलाव किया गया है। इसमें हल्के सूती मलमल पर पारंपरिक टाई-डाई विधि की बंधेज, बाटिक व शिबोरी हस्तकला से सुसज्जित होंगे। इसे राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के क्लस्टर की 1500 श्रम साधक महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है। भीषण गर्मी से श्रीराम लला को राहत देने के लिए कूलर भी लगाया गया है और भोग में मौसम के हिसाब से परिवर्तन किया गया है।

भगवान आंध्र प्रदेश की क़लमकारी व तेलंगाना राज्य की विश्व प्रसिद्ध पोछम्पल्ली सूती वस्त्रों से निर्मित पोशाक पहन चुके हैं, साथ ही बंगाल की सूती जामदानी, उड़ीसा से संबलपुरी वस्त्रों का प्रयोग भी प्रभु की आगामी पोशाक में हो रहा है। प्रभु के परिधान को प्राण प्रतिष्ठा के दिन से नित डिज़ाइन कर दिल्ली से भेजने वाले मनीष त्रिपाठी अपनी पूरी टीम के साथ इस पुनीत कार्य में लगे हुए हैं।

इसे भी पढे़ं: Uttar Pradesh: लक्ष्मण टीला और टीले वाली मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष को झटका, कोर्ट ने दावा खारिज किया

मंदिर प्रशासन और पुजारियों के लगातार संपर्क में रहते हुए और विचार विमर्श में पश्चात ही या पोशाक डिज़ाइन होता है। जिस में दिन के रंगों और मौसम का उचित ध्यान रखा जाता है। श्रीराम लला के मुख्य अर्चक सत्येन्द्र दास महाराज बताते हैं कि भीषण गर्मी के दृष्टिगत भगवान के परिधान के साथ ही भोग में भी मौसम का ध्यान रखा जाता है। पूड़ी सब्जी खीर के साथ ही दाल चावल रोटी और दही का भोग लगाया जा रहा है।

क्या है नौतपा

प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ माह में नौतपा प्रारंभ होता है। इस बार नौतपा 25 मई शनिवार से प्रारंभ हुआ और आठ जून को समाप्त होगा। सबसे अधिक तपने वाले दिन तीन जून से प्रारंभ होंगे। नौतपा की अवधि में सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर प्रभाव डालती है। इससे प्रचंड गर्मी होती है जो समुद्र के पानी का वाष्पीकरण तेजी से करके बादलों का निर्माण करती हैं। इससे मानसून में अच्छी बारिश होने की सम्भावना बनती है।

लेकिन, यदि समुद्री क्षेत्रों में नौतपे की अवधि में ही बारिश हो गई तो वाष्पीकरण की यह प्रक्रिया रुक जाती है और बादल कम बन पाते हैं। इसीलिए अतिआवश्यक है कि नौतपा अच्छे से तपे । यदि इन नौ दिनों की अवधि में बारिश हो जाती है तो उसे अच्छा नहीं माना जाता है और इसे नौतपा का गलना कहा जाता है। यदि नौतपा गल जाता है तो अच्छे मॉनसून की आशा नहीं की जा सकती है। इसलिए कहते हैं कि नौतपा में जितनी भीषण गर्मी पड़ती है उतनी ही अच्छी बारिश का संकेत होता है।

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