इजरायल हमास युद्ध के बीच इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद समेत अन्य एजेंसियों पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को कमजोर करने का आरोप लगा है। कानूनी विशेषज्ञों ने कहा है कि इजरायली एजेंसियों की ये कोशिश न्याय प्रशासन के खिलाफ अपराध हो सकता है। इसकी जांच आईसीसी के मुख्य अभियोजक करीम खान से कराने की मांग की गई है।
दरअसल, आईसीसी के खिलाफ इजरायल के 9 वर्षीय जासूसी मिशन को लेकर बीते मंगलवार को खुलासा हुआ था। द गॉर्जियन, इजरायली-फिलिस्तीनी पब्लिकेशन +972 मैगजीन और हिब्रू भाषा के लोकल आउटलेट की संयुक्त जांच में इसको लेकर खुलासा किया गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि किस तरह से इजरायली खुफिया एजेंसी बीते 9 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के वरिष्ठ कर्मियों की जासूसी कर रही थी। इजरायली आउटलेट हैकिंग, उन्हें मजबूर करने, बदनाम करने और धमकाने का खुलासा किया है।
करीम खान ने की थी अरेस्ट वारंट जारी करने की मांग
गौरतलब है कि आईसीसी के मुख्य अभियोजक करीम खान ने इजरायल और हमास के नेताओं के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। इस खुलासे पहले आईसीसी के मुख्य अभियोजक नमे इजरायली अधिकारियों पर आईसीसी के अधिकारियों को काम करने से रोकने, धमकाने का आरोप लगाया था। करीम खान ने इसे आईसीसी के संस्थापक कानून के अनुच्छेद 70 के तहत आपराधिक अपराध माना था।
इस मामले को लेकर इंटरनेशल क्रिमिनल एंड ह्यूमैनिटेरियन लॉ के एक्सपर्ट ब्रिटिश बैरिस्टर टोबी कैडमैन का कहना है कि इजरायली खुफिया एजेंसियों को लेकर जो खुलासा हुआ है वो बेहद चौंकाने और परेशान करने वाला है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से आईसीसी के पूर्व अभियोजक फतो बेन्सौडा को धमकाने और जस्टिस को विकृत करने का मामला प्रकाश में आया है यह अस्वीकार्य है। ये मामला आईसीसी के अधिकार क्षेत्र में आता है। अगर कोई व्यक्ति अभियोजक की स्वतंत्र जांच में बाधा डालने की कोशिश करता है तो उसे परिणाम भुगतने होंगे।
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