भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत है उन्हें प्रोत्साहन देने और तराशने की। ऐसी ही विलक्षण प्रतिभा है मुम्बई की 16 वर्षीया काम्या कार्तिकेयन, जिसने 20 मई को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर नेपाल की ओर से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतेह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही होने का नया रिकॉर्ड बनाया। काम्या ने माउंट एवरेस्ट की 8849 मीटर की चढ़ाई भारतीय नौसेना में कमांडर अपने पिता एस. कार्तिकेयन के साथ सफलतापूर्वक पूरी की। टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) के मुताबिक काम्या अपनी टीम के साथ 6 अप्रैल को काठमांडू पहुंची थी, जिसके बाद अनुकूलन तथा कई दिनों की योजना के बाद एवरेस्ट आधार शिविर से उसकी अंतिम शिखर चढ़ाई 16 मई को शुरू हुई और 20 मई की सुबह शिखर की ओर उसने अपने पिता के साथ अंतिम चढ़ाई शुरू की। भारतीय नौसेना के अनुसार काम्या इस सफलता के साथ ही विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई करने वाली दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की और नेपाल की ओर से एवरेस्ट फतेह करने वाली सबसे कम उम्र की पहली भारतीय पर्वतारोही बन गई है।
भारत में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए दिए जाने वाले ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित की जा चुकी काम्या के मन में महज 3 वर्ष की उम्र में ही पर्वतारोहण के प्रति आकर्षण पैदा हो गया था और केवल 7 वर्ष की आयु में ही काम्या ने अपने माता-पिता के साथ उत्तराखंड के एक शिखर को और 9 वर्ष की आयु में लद्दाख की चोटी को फतेह कर लिया था। दरअसल जब काम्या के पिता की पोस्टिंग भारतीय सेना में लोनावला में थी, तब उन्होंने सहयाद्रि की कई पहाड़ियों की ट्रैकिंग की थी और इसी से प्रभावित होकर काम्या के मन में पर्वतारोहण के प्रति जुनून पैदा हुआ। काम्या की मां लावण्या के. कार्तिकेयन नेवल केजी स्कूल की प्रधानाध्यापिका हैं। हिमालय में पर्वतारोहण की शुरुआत काम्या ने 7 वर्ष की उम्र में 2015 में 12 हजार फीट ऊंची चंद्रशीला चोटी को फतेह करने के साथ की थी। उसके बाद 2016 में उसने 13500 फीट ऊंची हर-की दून, 13500 फीट ऊंची केदारकांठा पीक तथा 16400 फीट ऊंची रूपकुंड झील जैसे स्थानों की कठिन चढ़ाई की। मई 2017 में काम्या ने नेपाल में 17600 फीट ऊंचे एवरेस्ट आधार शिविर तक की चढ़ाई की और तब यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बनी थी। मई 2019 में काम्या ने 14100 फीट ऊंची भृगु झील तक की चढ़ाई की और हिमाचल प्रदेश में 13850 फीट ऊंचे सार दर्रे को पार किया।
मुम्बई के नौसेना बाल विद्यालय की 12वीं कक्षा की छात्रा काम्या अभी तक सात महाद्वीपों में से छह सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई कर चुकी है और उसका लक्ष्य इस वर्ष दिसम्बर में अंटार्कटिका के माउंट विंसन मैसिफ पर चढ़ाई करना है। दरअसल माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही होने का रिकॉर्ड बनाने के बाद काम्या का सपना अब दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों को फतेह करने की चुनौती पूरा करने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बनने का है। काम्या की विलक्षण उपलब्धियों के ही कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ‘मन की बात’ में उसकी उपलब्धियों का उल्लेख कर चुके हैं। टीएसएएफ के अध्यक्ष चाणक्य चौधरी के मुताबिक काम्या कार्तिकेयन हर जगह युवा साहसी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जिसने साबित किया है कि समर्पण और सही सहयोग के साथ, सबसे महत्वाकांक्षी सपनों को भी साकार किया जा सकता है। उनका कहना है कि काम्या की असाधारण उपलब्धियां, उसकी यात्रा दृढ़ता, सावधानीपूर्वक तैयारी और अटूट दृढ़ संकल्प की भावना का प्रमाण हैं।
एक ओर जहां काम्या कार्तिकेयन माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही बन गई हैं, वहीं भोपाल की पर्वतारोही ज्योति रात्रे ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली देश की सबसे उम्रदराज महिला का छह वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़कर अपने नाम कर लिया है और इसी के साथ 55 वर्षीया उद्यमी और फिटनेस फ्रीक ज्योति रात्रे 19 मई की सुबह 6.30 बजे 8848.86 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट के शिखर पर कदम रखने वाली भारत की सबसे उम्रदराज महिला बन गई हैं। इससे पहले यह रिकॉर्ड 53 वर्षीया संगीता बहल के नाम था, जिन्होंने 19 मई 2018 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की सबसे उम्रदराज महिला का खिताब हासिल किया था। ज्योति रात्रे ने अपने दूसरे प्रयास में संगीता बहल का यह खिताब अपने नाम किया है। खराब मौसम के कारण 2023 में उन्हें 8160 मीटर की ऊंचाई से ही वापस लौटना पड़ा था। हालांकि इस बार भी उनके लिए एवरेस्ट को फतेह करना इतना आसान नहीं था। एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान करीब 7800 मीटर की ऊंचाई पर तेज हवाओं के कारण उन्हें 4 रातें एवरेस्ट के कैंप-4 (ल्होत्से कैंप) में रहना पड़ा था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार 19 मई की सुबह बोलीविया के पर्वतारोही डेविड ह्यूगो अयाविरी क्विस्पे के नेतृत्व में 15 सदस्यीय अभियान टीम के साथ मिलकर ज्योति रात्रे ने माउंट एवरेस्ट पर विजय हासिल की। एवरेस्ट को फतेह करने में गाइड लाकपा नुरु शेरपा, मिंग नुरु शेरपा और पासंग तेनजिंग शेरपा ने उनकी मदद की।
भोपाल में स्कूल यूनिफॉर्म का व्यवसाय करने वाली ज्योति रात्रे ने पर्वतारोही बनने की अपनी यात्रा कोरोना काल के दौरान शुरू की थी। उस दौरान उन्होंने पर्वतारोही बनने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की और अपनी फिटनेस पर खास ध्यान दिया। उन्होंने मनाली जाकर पर्वतों पर चढ़ाई करने की ट्रेनिंग ली। मनाली में उन्होंने 6000 फीट ऊंचा ट्रैक देवटिप्पा पार किया। एवरेस्ट फतेह करने से पहले वह आइलैंड पीक, एल्ब्रस, कोसियुज्को जैसी कुछ अन्य चोटियों पर भी विजय हासिल कर चुकी हैं। ज्योति ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी कही जाने वाली किलिमंजारो पर भी फतेह हासिल की है। 2021 में ज्योति ने 52 वर्ष की आयु में विश्व की दो महत्वपूर्ण चोटियों (5642 मीटर ऊंची माउंट एल्ब्रस तथा 5895 मीटर ऊंची माउंट किलिमंजारो) में से एक एल्ब्रस पर चढ़ाई की थी। यह जानना भी दिलचस्प है कि मनाली में प्रोफैशनल ट्रेनिंग लेने के बाद ज्योति ने माउंट एवरेस्ट फतेह करने के लिए आवेदन किया था लेकिन उम्र ज्यादा होने के कारण उनका आवेदन रद्द कर दिया गया था। दरअसल सामान्य नियमानुसार माउंट एवरेस्ट चढ़ने के लिए प्रतिभागी की अधिकतम उम्र 42 साल होती है लेकिन ज्योति ने हार नहीं मानी और अपनी ट्रेनिंग जारी रखी। उन्होंने यूरोप के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एल्ब्रस पर चढ़ने के लिए आवेदन किया। माउंट एल्ब्रस पर चढ़ाई के दौरान उनकी टीम में केवल चार लोग थे, जिसमें वह इकलौती महिला थी। ऊंचाई पर बहुत बर्फबारी होने के बाद भी ज्योति माउंट एल्ब्रस के फाइनल प्वाइंट पर पहुंची, जो ज्योति के साथ भारत के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि थी। पिछले साल उन्होंने पहली बार एवरेस्ट पर चढ़ाई शुरू की थी लेकिन खराब मौसम के कारण वह एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने में विफल हो गई थी। उस विफलता के बाद ज्योति ने एवरेस्ट फतेह करने का दृढ़ संकल्प लिया और अपने दूसरे प्रयास करने में एवरेस्ट की चोटी पर कदम रखने वाली भारत की सबसे उम्रदराज महिला होने का गौरव हासिल किया।
हरियाणा की रीना भट्टी ने तो केवल 20 घंटे 50 मिनट में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट और दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से को फतेह कर नेशनल रिकॉर्ड बनाया है। रीना ने पहले माउंट एवरेस्ट को फतेह कर उसकी चोटी पर तिरंगा फहराया और उसके तुरंत बाद उसने माउंट ल्होत्से पर भी तिरंगा फहराकर एक नया रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले भी केवल 24 घंटे में ही माउंट एल्ब्रस को दोनों ओर से फतेह करने वाली देश की पहली महिला होने का गौरव रीना भट्टी के ही नाम है। हिमाचल प्रदेश की 37 वर्षीया रमा 23 मई की सुबह एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर एवरेस्ट फतह करने का रिकॉर्ड बनाने वाली हिमाचल की पहली महिला बनी हैं। इस अभियान की सफलता के बाद वह कहती हैं कि इस उम्र में एवरेस्ट जाने का उनका उद्देश्य मनाली की महिलाओं को पर्वतारोहण के प्रति जागरूक करना है क्योंकि मनाली में महिलाएं 30 वर्ष की उम्र के बाद ही पर्वतारोहण छोड़ देती हैं। प्रदेश की महिलाओं को संदेश देते हुए वह कहती हैं कि आइए हिम्मत करिए और मेरा रिकॉर्ड तोड़िये, आप सब यह कर सकती हैं।
ये तो हुई भारतीय महिलाओं द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड की बात, एक नेपाली महिला ने तो केवल दो सप्ताह में तीन बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर इतिहास रच दिया है। यह नेपाली महिला है गोरखा जिले की मूल निवासी नेपाल की फोटो जर्नलिस्ट और पर्वतारोही पूर्णिमा श्रेष्ठ, जिन्होंने 25 मई को एवरेस्ट पर चढ़ने का ऐसा इतिहास रच डाला, जो इससे पहले कोई नहीं कर सका है। पूर्णिमा ने इस सीजन में पहली बार 12 मई को एवरेस्ट की पहली चढ़ाई की थी, उसके बाद 19 मई को वह पासांग शेरपा के साथ शिखर पर पहुंची और तीसरी बार 25 मई को एक बार फिर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर सफल चढ़ाई करते हुए तीन बार माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने वाली पहली व्यक्ति बनकर ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना डाला। एक्सपीडिशन के अभियान निदेशक लकपा शेरपा के मुताबिक पूर्णिमा की पिछले कुछ वर्षों में 8848 मीटर शिखर की प्रभावशाली सूची पर्वतारोहण में उनके जुनून और विशेषज्ञता को दर्शाती है। वहीं, एवरेस्ट फतेह करने वाले नीमा डोमा शेरपा कहते हैं कि पर्वतारोहण के इतिहास में यह पहली बार है कि जब किसी पर्वतारोही ने एक ही सीजन में तीन बार एवरेस्ट फतेह किया है। पूर्णिमा इससे पहले चार बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुकी हैं, 2018 में वह पहली बार एवरेस्ट पर चढ़ी थी। माउंट एवरेस्ट के अलावा वह कंचनजंगा, ल्होत्से, धौलागिरि, माउंट के2, अन्नपूर्णा और मनास्लु पर भी सफल चढ़ाई कर चुकी हैं।
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