कर्णावती । राजकोट के टीआरपी गेमिंग जॉन में हाल ही में हुए भयावह अग्निकांड के बाद गुजरात सरकार ने कानून में महत्वपूर्ण बदलाव करने का निर्णय लिया है। सरकार अब मानव निर्मित आपदा कानून में संशोधन और सुधार करेगी, जिससे लापरवाही की वजह से होने वाली आपदाओं के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान होगा।
सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के गांधीनगर स्थित निवास स्थान पर दिनभर उच्च अधिकारियों की बैठकें हुईं। बैठक में मुख्य सचिव राजकुमार समेत कई उच्च अधिकारी शामिल थे। बैठक में तय किया गया कि “गुजरात फायर प्रीवेंशन एंड लाइफ सेफ्टी मेजर्स रेगुलेशन एक्ट-2016” में संशोधन कर, प्रशासनिक लापरवाही को भी कड़े कानून के दायरे में लाया जाएगा।
उच्च अधिकारियों पर भी कसेगा कानून का शिकंजा
अब तक, प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के मामलों में अक्सर कानूनी कार्रवाई कमजोर पड़ जाती थी। नए संशोधन के तहत, अगर किसी अधिकारी की लापरवाही सिद्ध होती है तो उनके खिलाफ न केवल दंडात्मक बल्कि आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी। इससे प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ेगी, और वे अपनी ड्यूटी में लापरवाही नहीं बरत पाएंगे।
क्या नए प्रावधान होंगे?
गुजरात सरकार के प्रस्तावित कानून में न केवल आग लगने बल्कि पानी में डूबने, करंट लगने, और भगदड़ जैसी घटनाओं को भी शामिल किया जाएगा। ये सभी घटनाएं मुख्य रूप से मानव निर्मित या लापरवाही से उत्पन्न होती हैं। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान होने वाली घटनाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।
मॉनसून सत्र में बिल पेश करने की तैयारी
गुजरात विधानसभा का मॉनसून सत्र आने वाले दिनों में आयोजित होगा, जिसमें सरकार इस नए सुधारात्मक बिल को पेश कर सकती है। इसके लिए कानूनी और वैधानिक मार्गदर्शन लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सरकार का उद्देश्य है कि इस बिल के माध्यम से मानव निर्मित आपदाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं और जनता की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
राजकोट के टीआरपी गेमिंग जोन में हुई दुखद घटना ने राज्य सरकार को कानून में बदलाव करने के लिए प्रेरित किया है। सरकार का यह कदम राज्य में सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह उम्मीद की जाती है कि नए कानून से प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा।
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