कर्णावती: राजकोट अग्निकांड के मामले में हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया है। जिस पर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने राजकोट नगर निगम के अधिकारियों को तमाचा जड़ते हुए कहा कि टीआरपी गेमिंग जोन में फायर एनओसी समेत की परमिशन अगर नहीं थी तो यह गेम ज़ोन 2021 से 2024 तक कैसे कार्यरत रहा? हाईकोर्ट ने 3 जून तक राज्य सरकार और संबंधित तमाम अधिकारियों को स्पष्टीकरण के साथ एफिडेविट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
राजकोट टीआरपी गेमिंग जोन में हुए अग्निकांड में 28 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। इस मामले पर हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेकर रविवार को छुट्टी का दिन होते हुए भी कोर्ट में सुनवाई की थी। दूसरे दिन हुई सुनवाई में हाईकोर्ट राजकोट नगर निगम के अधिकारियों पर खफा थी। हाई कोर्ट ने राजकोट नगर निगम के अधिकारियों पर तमाचा जड़ते हुए कोर्ट में सवालों की झड़ी लगा दी। कोर्ट ने राजकोट नगर निगम के अधिकारियों को सवाल किया कि टीआरपी गेमिंग जोन के पास फायर एनओसी समेत आवश्यक परमिशन नहीं थी तो फिर यह गेमिंग जोन साल 2021 से 2024 तक कैसे कार्यरत रहा? इस 4 साल के दौरान एक भी अधिकारी ने इस गेमिंग जोन में जांच क्यों नहीं की? दुर्घटना घटी तब तक गेमिंग जोन के पास ना तो फायर एनओसी थी और ना ही स्ट्रक्चर स्टेबिलिटी थी।
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गेमिंग जोन के पास किसी भी प्रकार की आवश्यक परमिशन नहीं थी यह सामने आया है जिसके चलते इस केस में राजकोट नगर निगम के अधिकारियों की सीधी जिम्मेदारी बनती है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में नियमों का पालन नहीं हुआ है और नियम पालन के लिए राजकोट म्युनिसिपल कमिश्नर और राजकोट पुलिस कमिश्नर को सीधा जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। कोर्ट की बेंच इस हद तक अधिकारियों से खफा थी कि एक बिंदु पर तो बेंच ने म्युनिसिपल कमिश्नर और पुलिस कमिश्नर को सस्पेंड करने तक की बात कह दी। हाई कोर्ट के समक्ष लगातार 4 घंटे तक चली इस सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए। इसके अलावा राज्य सरकार और संबंधित तमाम प्रशासन एवं अधिकारियों को स्पष्टीकरण के साथ 3 जून तक एफिडेविट प्रस्तुत करने का कोर्ट ने आदेश दिया है।
पिछले 4 साल के सभी अधिकारी जिम्मेदार
हाई कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना के लिए राजकोट पुलिस कमिश्नर और म्युनिसिपल कमिश्नर सीधे जिम्मेदार बनते हैं। एवं गेमिंग जोन 2021 से 2024 तक बिना किसी परमिशन के चलता रहा। इसलिए ना सिर्फ वर्तमान पुलिस और म्युनिसिपल कमिश्नर लेकिन 2021 से 2024 के पिछले 4 साल में जितने भी पुलिस और म्युनिसिपल कमिश्नर राजकोट में थे उन सबको जिम्मेदार माना जाएगा। कोर्ट ने पिछले 4 साल में कॉर्पोरेशन में रह चुके इन्चार्ज अधिकारियों के बारे में भी जानकारी मांगी है।
दुर्घटना से पहले अधिकारियों को काम करने की जरूरत थी: हाई कोर्ट
हाई कोर्ट के सवालों की झड़ी के सामने कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने अपना बचाव करते हुए कहा कि पिछले 72 घंटो से अधिकारी बचाव कार्य में लगे हुए हैं। अधिकारियों के इस जवाब पर कोर्ट ने खफा होते हुए कहा कि दुर्घटना घटने से पहले अगर अधिकारियों ने काम किया होता तो इतनी जान नहीं जाती। अधिकारियों की नजर के सामने गैरकानूनी निर्माण हो जाता है और अधिकारी आंखे मूंद कर सब कुछ देखते रहते हैं। हाईकोर्ट की तरफ से किये गए निर्णय का भी अधिकारी पालन नही कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने तमाम 8 नगर निगम के पास उनके शहरों में रहे गेमिंग ज़ोन के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है।
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