पाकिस्तान में अब मुस्लिम बच्चियां भी कट्टरपंथी मौलानाओं के निशाने पर हैं। पंजाब प्रांत में पांच साल की बच्ची का इन जिहादियों ने निकाह करा दिया। मौलाना मोहम्मद खान शेरानी कहता है कि लड़कियों में यौवन के लक्षण दिखने और नौ साल की उम्र होने पर निकाह करा देना चाहिए
इस्लामाबाद (हि.स.)। जिन्ना के जिहादी देश पाकिस्तान में अब मुस्लिम बच्चियां भी कट्टरपंथियों के चंगुल में फंसती जा रही हैं। पंजाब प्रांत के शेखुपुरा के कोट नजीर इलाके में पांच साल की बच्ची का निकाह 13 साल के लड़के से करा दिया गया। पुलिस ने शादी कराने वाले एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 16 साल से पहले शादी करना गैरकानूनी है। सदर मुरेडके थाने के सहायक उपनिरीक्षक की ओर से बाल विवाह अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
बच्चों का जबरन निकाह कराया गया था। यूसुफ ने स्वीकार किया है कि वह अपने बेटे मुजम्मिल अब्बास के साथ मिलकर अपने पोते की शादी करा रहे थे। शादी में लड़की के पिता इमरान, उसके दादा अमजद, बशीर और अकरम सुलेमान उर्फ चना भी मौजूद थे। निकाह का सारा इंतजाम अरशद ने कराया। यह निकाह उमर हयात नाम के एक संदिग्ध ने कराया।
एफआईआर में कहा गया है, कम उम्र के बच्चों की जबरन शादी कराकर बाल विवाह निरोधक (संशोधन) अधिनियम 2015 के तहत अपराध किया गया है। पंजाब सरकार ने 2015 में शादी की कानूनी उम्र 16 साल तय की थी। इस साल 18 वर्ष से कम उम्र में विवाह को रोकने के लिए पंजाब बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 2024 का मसौदा तैयार किया गया है।
पाकिस्तान में कट्टरपंथी संस्थाएं कम उम्र में निकाह का समर्थन करती हैं। ऐसी ही एक संस्था है काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडोलॉजी (सीआईआई)। इसका चेयरमैन मौलाना मोहम्मद खान शेरानी कहता है कि लड़कियों में यौवन के लक्षण दिखने और नौ साल की उम्र होने पर निकाह करा देना चाहिए। कानून में निकाह की न्यूनतम उम्र इस्लामिक कानून के हिसाब से नहीं है। इसे बदलना होगा। वह संसद से इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस कानून में बदलाव करने मांग भी कर चुका है।
शेरानी सिंध असेंबली से पास बाल विवाह के खिलाफ कानून की भी आलोचना करता है। उसका कहना है कि निकाह किसी भी उम्र में किया जा सकता है, लेकिन दुल्हन सिर्फ यौवन अवस्था में आने के बाद ही दूल्हे के साथ रह सकती है। मुस्लिम मैरिज लॉ 1961 में कई अनुच्छेद गैर-इस्लामिक हैं। कानून के सेक्शन-6 का हवाला देते हुए उसने कहा है कि पुरुष का अपनी पत्नी से दूसरी शादी की इजाजत लेना भी गैर इस्लामिक है। यह हक महिलाओं को नहीं है।
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