राजकोट में टीआरपी गेम जोन में लगी आग में 28 लोगों की जलकर मौत होने के मामले में खुद मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल पूरे मामले की रिपोर्ट ले रहे हैं। पूरे मामले को हाईकोर्ट ने मानव सर्जित डिज़ास्टर बताया है तब मुख्यमंत्री के आदेश पर राज्य सरकार ने इस गेम जोन में फायर सेफ्टी समेत कई नियमों के पालन में लापरवाही बरतने वाले 7 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इस पूरे केस की आज हाईकोर्ट में भी सुनवाई होगी।
राजकोट का टीआरपी गेम जोन 28 लोगों की मौत का कारण बना। शनिवार शाम को हुई इस दुर्घटना के चलते फायर विभाग ने भी मेजर कोल जाहिर किया था। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने भी जिम्मेदारों को नहीं बख्शा जाएगा यह निवेदन भी किया था। खुद मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने घटना स्थल का दौरा किया और पूरी घटना की जांच के लिए SIT गठित कर दी। SIT की टीम राजकोट में डेरा डाले हुए है।
पूरे केस को खंगाला जा रहा है। दूसरी और राज्य सरकार ने इस मामले के लिए जिम्मेदार 7 सरकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। आग दुर्घटना के संबंध में राज्य सरकार ने पुलिस, नगर निगम और सड़क निर्माण विभाग और राजकोट नगर निगम के अग्निशमन और आपातकालीन सेवा के स्टेशन अधिकारी रोहित विगोरा समेत 7 अधिकारियों को आवश्यक अनुमोदन के बिना इस गेमज़ोन को शुरू करने की अनुमति देने एवम अन्य सेफ्टी मेज़र्स के प्रति घोर लापरवाही बरतने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराकर निलंबित किया है। तमाम अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से ड्यूटी से हटा दिया गया है।
गेम जोन में किस प्रकार की लापरवाही दिखी ?
गेम जोन के पास फायर NOC नहीं था यह बात खुद पुलिस कमिश्नर राजू भार्गव ने प्रेस वार्ता में बताई थी। फायर NOC न होने के बावजूद भी उसे बुकिंग का लायसन्स इश्यू कर दिया गया। चार मंज़िल जितना स्ट्रक्चर खड़ा कर देने के बावजूद भी उसका बिल्डिंग प्लान, फायर NOC नहीं होने पर भी राजकोट नगर निगम की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गयी। राजकोट नगर निगम, पुलिस प्रशासन, एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर, राजकोट के पूर्व कलेक्टर, म्युनिसिपल कमिश्नर, डीसीपी, एसपी समेत के उच्च अधिकारियों ने इस गेम जोन की मुलाकात ली थी ऐसी तस्वीरे भी सामने आयी हैं। जब इस गेम जोन का प्रारम्भ हुआ उस समय अधिकारियों ने मेहमानों के तौर पर यह मुलाकात की थी। लेकिन, फिर भी गेम जोन में सलामती समेत की व्यवस्था का ब्यौरा नहीं लिया गया था। तमाम अधिकारी गेम जोन में जाकर गेम्स भी खेले थे। लेकिन, फिर भी किसी व्यवस्था की और उनका ध्यान नहीं गया।
हाईकोर्ट ने मानवसर्जित डिज़ास्टर माना
गेम जोन में आगजनी की घटना को गंभीरता से लेते हुए खुद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वंय संज्ञान लिया और रविवार को कोर्ट बंद होते हुए भी खास तौर पर हाई कोर्ट शुरू कर, इस मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान गेम जोन को सरकारी परमिशन, फायर NOC समेत के सवालों के जवाब के साथ राजकोट नगर निगम को सोमवार को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए है। हाईकोर्ट ने राजकोट के अलावा अहमदाबाद, बड़ौदा और सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को भी उनके शहरों के गेम जोन और वहां की सलामती व्यवस्था के बारे में सोमवार को कोर्ट में जवाब देने के आदेश दिए है, जिसके चलते आज हाईकोर्ट की सुनवाई में सभी नगर निगम की तरफ से जवाब रखे जाएंगे।
हाइकोर्ट में दायर हुई अर्जेंट रिट पिटीशन
राजकोट अग्निकांड के चलते हाईकोर्ट में अलग से अर्जेंट रिट पिटीशन दायर की गई है, जिसमें इस दुर्घटना का डिटेल रिपोर्ट तत्काल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने की मांग की गई है। इस मामले में राज्य के चीफ सेक्रेटरी, नगर विकास विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एवम अहमदाबाद समेत तमाम 8 नगर निगम के कमिश्नर के खिलाफ अदालत के आदेश की तौहीन करने के बदले में कार्यवाही करने की मांग की गई है। इस याचिका की सुनवाई भी आज हाईकोर्ट की स्वयं संज्ञान याचिका के साथ ही होगी।
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