पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की क्या हालत है, यह किसी से छिपी नहीं है। एक बार फिर से पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय पर हमला किया गया है। पाकिस्तान के पंजाब सूबे में कुरान की बेअदबी के आरोप में तहरीक-ए-लबैक के सदस्यों के अगुआई में भीड़ ने ईसाई समुदाय के सदस्यों पर हमला किया और सरगोधा जिले की मुजाहिद कॉलोनी में उनके घरों में तोड़फोड़ भी की।
इस घटना में ईसाई समुदाय के दो सदस्य घायल हो गए हैं। सरगोधा जिला लाहौर से लगभग दो सौ किलोमीटर की दूरी पर है। सोशल मीडिया पर इस घटना के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। मीडिया में आई जानकारी के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भीड़ ने एक ईसाई व्यक्ति पर यह आरोप लगाया कि उसने कुरान की बेअदबी की है। इस आरोप में आगजनी शुरू कर दी। पुलिस के अनुसार, उस व्यक्ति की छोटी जूते बनाने की फैक्ट्री भी जलकर राख हो गई है।
इसे भी पढे़ं: Rajasthan: 14 मुस्लिम समूहों को OBC कोटे से कांग्रेस ने दिया था आरक्षण, अब समीक्षा करेगी भजनलाल सरकार
पुलिस को जैसे ही इस घटना की खबर हुई, वैसे ही वे लोग वहाँ पर पहुंचे और उन्होंने कम से कम पाँच लोगों को इस हिंसा से बचाया। सरगोधा के पुलिस चीक सरिक खान ने बताया कि सभी पांचों लोगों को अस्पताल में ले जाया गया है। पुलिस के अनुसार स्थिति अब नियंत्रण में है और पुलिस बेअदबी के आरोपों की जांच कर रही है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी इस घटना को लेकर चिंता व्यक्त की है और एक्स पर पोस्ट करके लिखा है कि वे सरगोधा में हुई घटना को लेकर चिंतित हैं।
पाकिस्तान में नई नहीं हैं बेअदबी के आरोपों की घटनाएं
पाकिस्तान में बेअदबी को लेकर बहुत ही सख्त कानून है और इसके दुरुपयोग की कई घटनाएं सामने आई हैं। ऐसा कहा जाता है कि लोग अपनी निजी दुश्मनी निकालने के लिए या फिर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ इस कानून का प्रयोग अधिक करते हैं। पिछले वर्ष अगस्त में भी पाकिस्तान में ईसाइयों के खिलाफ इसी प्रकार की घटना हुई थी और भीड़ ने कई चर्चों को जला दिया था। हिंदुओं के मंदिरों के खिलाफ भी इस प्रकार की तोड़फोड़ की घटनाएं होती रहती हैं।
पाकिस्तान में अकबराबाद में भी ईसाई समुदाय जमीन को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। पाकिस्तान में जहां आज ईसाई समुदाय के कुछ लोगों के साथ बेअदबी को लेकर हिंसा और आगजनी की खबरें आई हैं, तो वहीं पाकिस्तान के पंजाब सूबे के फ़ैसलाबाद के अकबराबाद में कई ईसाई परिवार सड़कों पर उतरकर रजा रियाज नामक व्यक्ति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जो उन्हें पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उनके ही घर से बेघर कर रहा है।
एशिया न्यूज के अनुसार, यह विवाद तब शुरू हुआ, जब वर्ष 1960 से इस जमीन पर रह रहे 60 ईसाई परिवारों ने एक ताकतवर राजनेता के साथ इस जमीन को लेकर एक समझौता किया था। दरअसल, इन परिवारों को ऐसा लगा था कि यह जमीन सरकारी है, मगर उस राजनेता ने यह साबित किया कि यह जमीन उसके पुरखों की थी, फिर उन परिवारों ने उस जमीन का किराया देना शुरू कर दिया।
इस समझौते में 750,00 रुपये ($ 2,700) प्रति मरला (लगभग 25 वर्ग मीटर) का भुगतान शामिल था, जिसमें भुगतान के प्रमाण के रूप में नियमित रसीदें शामिल थीं। कुछ परिवारों ने जमीन से बेदखली से बचने के लिए 57.6450 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया है, और अनुबंध में शेष राशि का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है।
मगर अब नेता का मूड बदल गया और उसने पैसे अपने पास रखकर यह कहा कि यह समझौता बेकार है और उसे जमीन चाहिए। चूंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी नेता के ही पक्ष में है जिसमें जमीन का टाइटल नेता के नाम पर है और उसे हक है कि वह जमीन ईसाई परिवारों से खाली करवा ले। ईसाई परिवार अब सड़कों पर हैं और शहजाद जोसेफ के अनुसार वे दिहाड़ी मजदूर हैं और मुश्किल से ही रोजाना के खर्च पूरे कर पाते हैं।
टिप्पणियाँ