केरल पूरी तरह से कंगाली की कगार पर है। मुख्यमंत्री पी विजयन की अगुवाई वाली सरकार का कामकाज केवल केंद्र सरकार से मिलने वाले कर्ज पर निर्भर है। वामपंथियों ने अपनी अनीति से राज्य की हालत ऐसी बना दी है कि अगर केंद्र सरकार से कर्ज न मिले तो ये अपने दम पर अपने कर्मचारियों को सैलरी और पेंशन भी नहीं दे सकते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में तय सीमा से अधिक कर्ज लेने के बाद भी केरल सरकार केंद्र से और अधिक कर्ज मांग रही थी। नए वित्तीय वर्ष में भी ऐसा ही हाल है।
नए वित्तीय वर्ष शुरू हुए अभी दो माह ही बीते हैं कि केंद्र सरकार से कर्ज नहीं मिलने पर वामपंथी सरकार बिलबिला उठी है। केरल कौमुदी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक केरल सरकार ने दो-दो बार कर्ज के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिख दिया है। बताया जाता है कि अगर केंद्र सरकार से समय पर केरल को कर्ज नहीं मिला तो जून माह का वेतन और पेंशन देने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं।
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पता चला है कि प्रदेश के वित्त सचिव रवीन्द्र कुमार अग्रवाल कर्ज के लिए केंद्र सरकार को मनाने के लिए इस वक्त दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। केरल में 16000 से अधिक कर्मचारी इस माह रिटायर होने जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें उनका लाभ दिया जाना है। दावा यह किया जा रहा है कि आम तौर पर केंद्र सरकार अप्रैल में कर्ज की उपलब्धता को लेकर राज्य को सूचित कर देता था। लेकिन इस बार अभी तक ऐसा नहीं हो सका है। केंद्र सरकार ने अस्थायी अनुमति देने पर भी अभी तक विचार नहीं किया है।
इस माह केरल को चाहिए 5000 करोड़ का कर्ज
रिपोर्ट के मुताबिक, केरल को अपने कर्मचारियों को वेतन, पेंशन और रोजमर्रा के खर्च के लिए इस माह कम से कम 5000 करोड़ रुपए कर्ज की आवश्यकता है। इस माह को बीतने में अभी भी 5 दिन का समय शेष बचा हुआ है। मंगलवार और शुक्रवार को आरबीआई के जरिए लोन लिया जा सकता है। हालांकि, कर्ज मिलेगा या नहीं इस पर संशय बना हुआ है।
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